भारत मे समय के साथ-साथ नये लोगों का आना व यहीं पर बस जाना चलता आ रहा है और यही कारण है कि यहाँ पर कई प्रकार कि वास्तुकलाओं का आगमन हुआ। भारत मे करीब 8वीं शताब्दी के समय से ही इस्लामी प्रभाव धीरे धीरे प्रसारित होने लगा था। परन्तु वास्तुकला के दृष्टिकोण से यह प्रभाव करीब 12वीं शताब्दी से दिखाई देने लगता है। मामलुक वंश (गुलाम वंश) के शासन काल से हि विभिन्न वास्तुकलाओं के अनुपम उदाहरण दिखाई देते हैं जैसे अढाई दिन का झोपड़ा व कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा बनवाई गयी इमारतें (कुतुब मिनार) आदि।
गुलाम वंश के बाद तुग़लक़, खिलजी आदि वंशों ने वास्तुकलाओं के कई अनुपम उदाहरण पेश किये। हिन्दू मंदिर वास्तुकला मे शिखरों का प्रयोग होता था। इस्लामी वास्तुकला मे गुम्बदों का प्रयोग होने लगा। मस्जिदों पर हस्तशिल्प द्वारा आयतों को व अन्य कई प्रकार के आकृतियों को भी बनाया जाता था। भारत मे इस्लामी वास्तु मे कई मिश्रण देखने को मिलते हैं जिन्हे इंडो-इस्लामिक वास्तु के रूप मे जाना जाता है। फर्ग्यूसन अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन आर्किटेक्चर मे इंडो-इस्लामी वास्तु को पठान वास्तुकला का नाम देते हैं जो कि कदाचित् सही प्रतीत नही होता।
13वीं-14वीं शताब्दी तक भारत मे इस्लामी वास्तुकला का विकास अपनी चरम पर पहुंचने लगा। इसी दौरान कई सल्तनतों का उदय भी हो रहा था और तभी वास्तुकला मे कई नये प्रकार दिखाई देते हैं। जौनपुर मे शर्की कला का उद्गम हुआ। जौनपुर कि अटाला मस्जिद जौनपुर की वास्तुकला का सबसे प्राचीन उदाहरण है। झरझरी मस्जिद अपनी झरोखेनुमा वास्तु से जौनपुरी (शर्की) कला को दर्शाती है। शर्कीयों ने राय बरेली मे भी किलों का निर्माण कराया। दक्कन के बहामनी व गुजरात सुल्तानों द्वारा कई वास्तुकलाओं का निर्माण कराया गया जो कला के अन्दर हुए मिश्रणों व एक विशेष प्रकार के कला को प्रदर्शित करता है जैसे नलदुर्ग व खम्बात की जामी मस्जिद।
मुग़लों के उत्थान के साथ-साथ इस्लामी वास्तुकला मे एक विशिष्टता का प्रवेश होता है। मुग़लकाल के प्रमुख वास्तु के उदाहरणों मे ताजमहल आगरा, लाल किला दिल्ली, इलाहाबाद किला, बीबी का मकबरा, हुमायूँ का मकबरा आदि प्रमुख हैं। मुग़लकाल में मस्जिदों व मकबरों के सौन्दर्य व लेखनकारी ने एक विशिष्ट ऊंचाई प्राप्त की। लाल किले मे बना दिवाने-आम व स्नानागार (हमाम) प्रमुख हैं।
1. आर्कियोलॉजिकल रिमेन्स मोन्युमेन्ट्स एण्ड म्युजियम्स भाग 2
2. हिस्ट्री ऑफ़ इंडियन आर्किटेक्चर: फर्ग्युसन
3. द शर्की सल्तनत ऑफ़ जौनपुर: मिया मुहम्मद सईद, युनिवर्सिटी ऑफ़ कराची पाकिस्तान
4. सल्तनत पीरियड आर्किटेक्चर: सादिक-ए-अकबर, लाहौर पाकिस्तान