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जब भी हम बच्चों को एक साथ खेलते हुए देखते हैं, तो हम भी अपने बचपन में खो जाते हैं। आज अक्सर बच्चे वीडियो गेम (Video Game) तथा अन्य फोन से संबंधित खेलों को खेलने में व्यस्त रहते हैं। जबकि दूर दराज के गांवों में आज भी अक्सर बच्चे समूह में खेलते हुए नज़र आ जाएंगे, इनके प्रिय खेलों में खोखो, कबड्डी, गिल्ली-डंडा, चोर सिपाही आदि प्रसिद्ध हैं। भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में जन्मा कबड्डी खेल आज भारत में राष्ट्रीय स्तर पर खेला जा रहा है। आज यह भारत ही नहीं वरन् अन्य राष्ट्रों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, और पाकिस्तान में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां तक कि बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल भी यही है। चलिए जानें कबड्डी का इतिहास।
महाभारत में कबड्डी
कबड्डी का उल्लेख हमें हमारे पौराणिक महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी मिलता है। कुछ किंवदंतियों के अनुसार अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कबड्डी की कला सीखी। जिसका उपयोग वे चक्रव्यूह को तोड़ने में करते थे। वे बड़ी निपुणता से बिना किसी प्रकार हानि के भीतर प्रवेश कर शत्रुओं का चक्रव्यूह तोड़ देते थे। यह कला इनके पुत्र अभिमन्यु ने अपनी माँ के गर्भ में सीख ली थी। जिसका उपयोग उन्होंने बड़ी कुशलता से कुरूक्षेत्र में दुश्मनों के चक्रव्युह को तोड़ने में किया किंतु वे अंतिम चरण को नहीं भेद पाये तथा वहीं वे दुश्मनों द्वारा वीरगति को प्राप्त हुए। प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार कबड्डी साहसियों का खेल है।
बौद्धों में कबड्डी का उल्लेख
बौद्ध साहित्यों में भी कबड्डी का उल्लेख मिलता है। गौतम बुद्ध भी अपने मित्रों के साथ कबड्डी खेलते थे। जो सिद्ध करता है कि यह खेल प्राचीन भारत में कुशलता और साहस को बढ़ाने में सहायक था।
भारत के अन्य हिस्सों में कबड्डी
कबड्डी का उद्दभव मुख्यतः तमिलनाडू से माना जाता है। कबड्डी मूलतः तमिल शब्द "कै पीडी" (अर्थात हाथ पकड़ना) का रूपांतरण है। वैसे यह खेल भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे:
दक्षिण भारत – चेडुगुडु
पूर्वी भारत - हु तू तू
उत्तर भारत में पंजाब में – कौड्डी
यह खेल मात्र मनोरंजन ही नहीं वरन् विभिन्न शारीरिक, मानसिक विकास में भी सहायक है। साथ ही यह युवाओं के अन्दर उत्साह, सतर्कता, बचाव, आक्रमकता को भर देने वाला खेल है।
1918 में कबड्डी को भारत में राष्ट्रीय खेल का सम्मान प्राप्त हुआ। ताकि बच्चे इसे प्रमुख खेल के रूप में अपनाएं। इसके नियमों को तैयार करने के पांच वर्ष बाद अर्थात 1923 में बड़ौदा में पहला अखिल भारतीय कबड्डी टूर्नामेंट आयोजित किया गया। हिटलर के शासन काल के दौरान कबड्डी जर्मनी पहुंचा। 1936 में बर्लिन में आयोजित ओलंपिक में भारतीय कबड्डी टीम ने मेडल हासिल किया। इसके बाद कबड्डी को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए गये। भारत के सुंदर राम द्वारा कबड्डी जापान में भी प्रसिद्ध हुआ।
कबड्डी का खेल विश्वकप (2004 से प्रारंभ), और प्रो कबड्डी लीग (2014 से प्रारंभ) के माध्यम से अत्यंत लोकप्रियता हासिल कर रहा है। यदि कबड्डी को ओलंपिक में नियमित खेल के रूप में मान्यता प्राप्त हो जाती है, तो यह एक नया मुकाम हासिल कर लेगी।
कबड्डी खेल के प्रति तीव्रता से बढ़ती लोकप्रियता आने वाले युवाओं के लिए एक शुभ संकेत है। जौनपुर के जो युवा इस खेल के प्रति आकर्षित हो रहे हैं, उनके लिए यह एक अच्छा अवसर है। अभी हाल ही में उत्तराखण्ड में संपन्न हुए अंडर 17 कबड्डी में जौनपुर के बालकों ने जीत हासिल की।
संदर्भ:
1.https://www.jagran.com/uttarakhand/tehri-garhwal-jaunpur-and-narendra-nagar-kabaddi-champion-18443412.html
2.https://www.sportskeeda.com/kabaddi/history-and-origin-kabaddi
3.https://www.quora.com/What-is-the-history-of-Kabaddi
4.https://www.thequint.com/sports/sports-buzz/mythology-origins-history-kabaddi-pro-league-2017
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Kabaddi
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