भारत के प्रसिद्ध घोड़े एवं उनकी नस्लें

शारीरिक
01-09-2018 01:26 PM
भारत के प्रसिद्ध घोड़े एवं उनकी नस्लें

विश्व के इतिहास से मिले साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि तत्कालीन राजा महाराजा और कुलिन वर्गों के मध्य घोड़ा एक लोकप्रिय और वफादार पशु माना जाता था। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक और महान सिकंदर का घोड़ा बुकेफला। परंतु गाड़ियों के आगमन के बाद इनका इस्तेमाल कम होने लगा, लेकिन लोगों का घोड़ों के प्रति लगाव कम नहीं हुआ। घोड़ों को फौज में, घोड़ा पालन में, वाणिज्यिक में इस्तेमाल किया जाने लगा।

आपको पता है कि घुड़सवारी को एक अन्तराष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त है। भारत में घोड़ों का पालन अधिकतर राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मणिपुर में किया जाता है। इनकी कई नस्लें भारत में पायी जाती हैं, आइये जानते हैं इनके बारे में -

1.मारवाड़ी घोड़े :- मारवाड़ी नस्ल के घोड़े राजस्थान के मारवाड़ में पाए जाते हैं और इनके अंदर की ओर मुड़े कानों से आसानी से पहचाना जा सकता है। इनकी लम्बाई 130 से 140 से.मी. और ऊँचाई 152 से 160 से.मी. होती है। इनका इस्तेमाल ज्यादातर खेल प्रतियोगिताओं, और सेना द्वारा किया जाता है।

2.कठियावाड़ी घोड़े :- इस घोड़े की जन्मस्थली गुजरात का सौराष्ट्र इलाका है। अब वे भारतीय सेना द्वारा भारत में एक पुलिस घोड़े के रूप में उपयोग किए जाते हैं और यह युद्ध घोड़े और पर्वत घुड़सवार के रुप में भी उपयोग किए जाते हैं। यह घोड़ा 147 से.मी. ऊँचा होता है।

3.स्पीती घोड़ा :- ये ज्यादातर हिमांचल प्रदेश में पाए जाते हैं। इनकी ऊँचाई अधिकतर 127 से.मी. होती है। इस नस्ल के घोड़े पहाड़ी इलाकों में बेहतरीन काम करते हैं।

4.ज़नस्कारी नस्ल :- यह घोड़े लेह और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में बहुत पाए जाते हैं। इन घोड़ों का इस्तेमाल अधिकतर बोझा ढोने के लिए किया जाता है।

5.मणिपुरी पोनी घोड़े :- यह मंगोलियाई जंगली घोड़े और अरब घोड़े के बीच एक क्रॉस था, जो मुख्य रूप से रेसिंग और भारत में पोलो खेलने के लिए पैदा किया गया था।

6.भोटिया नस्ल :- यह घोड़े ज्यादातर सिक्किम और दार्जिलिंग में पाए जाते हैं।

यह तो हुई भारत के घोड़ों की बात लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में कुछ ऐसे घोड़े हैं जो ऐतिहासिक रूप से भारत में आयात किये गए थे। भारत में पाए जाने वाला एक्सोटिस घोड़ा अरब के घोड़े की नस्ल का है, इसी प्रकर इंग्लैंड से थोरौघब्रेड, ऑस्ट्रेलिया से हफ्लिंगर और वालर घोड़ा, आयरलैंड से जिप्सी घोड़ा, मालोपोल्स्की पोलिश घोड़े नस्ल और आयरलैंड से कॉन्नेमेरा पोनी को भारत में आयात किया गया है।

इन सब नस्लों में मारवाड़ी, काठियावाड़ी और मणिपुरी नस्ल के घोड़े सबसे बेहतर हैं। इसलिए इनका वाणिज्यिक पालन किया जा रहा है। जिससे कि घोड़ा पालकों को इनकी ऊँची क़ीमत मिलती है। इसके अलावा भारतीय घोड़ों का निर्यात भी किया जाता है। लेकिन इनका निर्यात इतना ज्यादा हो गया कि सरकार द्वारा इनके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

संदर्भ :-

1.http://nrce.gov.in/breeds.php
2.https://en.wikipedia.org/wiki/History_of_the_horse_in_South_Asia
3.https://www.business-standard.com/article/beyond-business/horse-the-indian-story-113092001165_1.html
4.https://www.indiatoday.in/magazine/offtrack/story/20030217-kathiawari-and-marwari-horses-pride-of-indian-royalty-are-back-on-the-game-track-793249-2003-02-17

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