वक़्त है गोमती की ज़िम्मेदारी उठाने का

नदियाँ
13-07-2018 02:07 PM
वक़्त है गोमती की ज़िम्मेदारी उठाने का

शिराज़-ए-हिन्द, हमारा जौनपुर, गोमती नदी के किनारे बसा है। इस स्थान पर बसे होने के कारण जौनपुर की कई जल सम्बंधित मुसीबतों का आसानी से निवारण हो जाता है। परन्तु कब तक? यह तो काफी स्पष्ट रूप से हम देख पा रहे हैं कि अतीत में गोमती की जो दशा थी, वह आज नहीं है। तो कब तक यह वरदान रुपी नदी हमारा सहारा बनी रहेगी। आइये देखते हैं जौनपुर के नज़दीक बह रही गोमती को क्या कोई व्यथा है, और यदि है तो इसका कारण क्या है?

गोमती नदी के आसपास के इलाकों में पीलीभीत और खेड़ी को छोड़कर हर स्थान पर बढ़ते शहरीकरण के कारण वनों और आर्द्र्भूमि में कमी आई है। इसने गोमती नदी में पानी के प्रवाह को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है क्योंकि अधिकांश सहायक नदियां जल निकायों या जंगलों से उत्पन्न होती हैं और उनके घनत्व में कमी से नदी में पानी की उपलब्धता में कमी आई है। इसके अलावा, नदी के पानी की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है क्योंकि पूरी 960 कि।मी। की नदी में कम से कम 50 बड़े नालों का पानी छोड़ा जाता है जो हानिकारक रसायनों से भरा होता है। सुल्तानपुर से जौनपुर के बीच का अनुप्रवाह इस नदी का सबसे दूषित हिस्सा है। हालांकि इस प्रदूषण में अकेला जौनपुर ही ज़िम्मेदार नहीं है, काफी कुछ तो नदी जौनपुर आने से पहले ही दूषित हो जाती है परन्तु इसका यह मतलब नहीं कि इलज़ाम एक दूसरे पर डाल दिया जाये। बल्कि स्वयं अपनी ज़िम्मेदारी समझकर इसके प्रति कदम उठाने चाहिए और एक ज़िम्मेदार नागरिक की तरह पेश आना चाहिए।

इसके अलावा दूसरी दिक्कत जो गोमती नदी झेल रही है वो है काई और जंगली पौधों की जो कि नदी की सतह पर जम जाते हैं जिसकी वजह से नदी में ऑक्सीजन की कमी आ जाती है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से मछलियाँ और जल वनस्पति की मौत हो जाती है जिस कारण नदी में और कचरा बढ़ जाता है। साथ ही कुछ परीक्षणों से पता चला कि गोमती में भारी धातुओं की मात्रा भी जायज़ मात्रा से बहुत ऊंची है। इस कारण भी जलीय जीवन पर बहुत असर पड़ता है।

ऐसा नहीं है कि इस प्रदूषण के लिए सिर्फ बड़े बड़े उद्योग ही ज़िम्मेदार हैं, बल्कि हमारी नदियों को शुद्ध रखने के लिए हम आम नागरिकों का भी एक फ़र्ज़ बनता है जिसे निभाने में हम में से कई असफल हो रहे हैं। उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में, हम अपनी नदियों को फिर से एक मां जैसी प्राचीन छवियों के रूप में वापस पाने में सक्षम होंगे जो हर किसी की अशुद्धियों को अवशोषित करने और उन्हें एक स्वच्छ भविष्य प्रदान करने में सक्षम हैं। हमारी नदियों को शुद्ध रखना सिर्फ हमारे अस्तित्व को बनाये रखने की मांग नहीं है बल्कि मानव भावना को बनाए रखने के लिए भी ऐसा प्रतीकवाद आवश्यक है।

संदर्भ:

1.https://www.researchgate.net/publication/263477858_Restoration_Plan_of_Gomti_River_with_Designated_Best_Use_Classification_of_Surface_Water_Quality_based_on_River_Expedition_Monitoring_and_Quality_Assessment
2.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/gomti-cleaned-and-beautified-but-what-about-pollution-in-its-downstream/articleshow/58991634.cms
3.https://www.researchgate.net/publication/310528986_Pollution_in_the_Gomti_river_at_Jaunpur_possible_threat_to_survival_of_the_fish_biodiversity

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