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कई बार कई बातें जब एक भाषा से दूसरी में अनुवादित की जाती हैं तो वे अपना कुछ अर्थ खो बैठती हैं। भारत में अंग्रेजों के सामाजिक जीवन पर हास्य व्यंग्य करती कुछ पहली किताबों में से थी ‘कोई है – अ हुडीब्रान्स्टिक पोएम इन एट कैंटोस’ (Qui Hi - A Hudibranstic Poem in Eight Cantos) जिसमें थॉमस रोलैंडसन द्वारा 1815 में बनाये गये कुछ कार्टून भी शामिल थे। भारत आने वाले शुरूआती अंग्रेजी परिवार 3 प्रेसीडेंसी की राजधानियों में आए और बस गए। इन सभी ने एक दुसरे के नाम भी रखे, जैसे बंगाल प्रेसीडेंसी वालों का नाम ‘कोई है’ (क्योंकि वे अपने भारतीय सेवकों को हिंदी में ‘कोई है?’ की आवाज़ लगाकर पुकारते थे), बॉम्बे प्रेसीडेंसी वालों को ‘डक’ कहा जाता था (क्योंकि वे बम्बई की मछली ‘बोम्बिल डक’ खाया करते थे) और मद्रास प्रेसीडेंसी वालों को ‘मल’ कहा जाता था (क्योंकि उनमें से कई लोग मलमल या रूई के व्यापर में लिप्त थे)। उस समय के कई दिलचस्प कार्टून आज भी उस समय की किताबों और पत्रिकाओं में ज़िन्दा हैं।
ये कार्टून काफी मज़ेदार एवं हास्य पैदा करने वाले हैं। इनमें मौजूद लिखावट अंग्रेज़ी (रोमन लिपि) में है परन्तु हिंदी के वचन (जो कि भारतियों द्वारा बोलते हुए दर्शाए जाते थे) को अंग्रेज़ी में ज्यों का त्यों लिख दिया गया है, उनका अंग्रेज़ी अनुवाद नहीं किया गया। हैरतंगेज़ बात तो यह है कि इन कार्टून को ब्रिटिश म्यूजियम द्वारा बड़े गर्व से अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया है और इनका अभी तक अंग्रेज़ी अनुवाद नहीं हुआ है। तो लीजिये पेश करते हैं आपके सामने सन 1815 के इस चित्र के पूर्ण वार्तालाप को, जहाँ अंग्रेज़ी को रोमन लिपि में लिखा जाएगा और हिंदी को देवनागरी लिपि में। इसे पढ़कर एक नया ही मतलब समझ आता है जो हम देवनागरी समझने वालों के लिए काफी ज़ाहिर सा है। यह चित्र हिंदी गालियों के सबसे शुरुआती छपे हुए रूप का हिस्सा है।
लॉर्ड हेस्टिंग्स और उनकी बीवी अपने-अपने घोड़े पर सवार एक जंगल से गुज़र रहे थे। तभी उनका सामना एक हिन्दू परिवार से होता है जिसके सदस्य कुछ नारियल के पेड़ों के नीचे बैठ अपने भोजन की तैय्यारी कर रहे होते हैं।
उन्हें देख लेडी हेस्टिंग्स कहती हैं, “My dear Lord! We had better take some other road these poor people are evidently disturbed by our presence we had better turn!” (हमें कोई और रास्ता लेना चाहिए। हमारी मौजूदगी से ये लोग परेशान हो रहे हैं)।
इसके जवाब में लॉर्ड हेस्टिंग्स कहते हैं “No, No. Your Ladyship is really too considerate, let us continue our ride, those wretches are unworthy of our notice, nothing but superstition curse their prejudices. If I allow these liberties I shall soon be as bad here as I was in England!!” (नहीं, हम अपना सफ़र जारी रखेंगे, ये लोग हमारे ध्यान देने योग्य नहीं हैं। यदि मैंने आज अपना रास्ता बदल लिया तो मेरी इज्ज़त यहाँ भी वैसी ही हो जाएगी जैसी इंग्लैंड में है)।
तभी उस भारतीय परिवार का एक सदस्य गुस्से में घड़े पर एक डंडा मारते हुए बोलता है, “बहनचोद सूअर, तेरी माँ....”।
इसके पश्चात दूसरा मर्द कहता है, “इधर रास्ता नहीं—What for Master come here, and spoil all peoples dinner—Master not proper character for Hindoo—All same cast as dog eat everything, all chatty broke rice make spill, not eat dinner, all masters fault—other time Master keep proper distance see old man make too much angry.” (मालिक इधर क्यों आया है, हमारा भोजन ख़राब कर दिया, इनका चरित्र हम हिन्दुओं के लिए सही नहीं है, इन्हें तो धर्म की भी समझ नहीं है, सब एक धर्म के हैं जैसे एक कुत्ता सब कुछ खा लेता है, वैसे हैं ये, सारे बनाये हुए चावल फ़ैल गए, अब कोई भोजन नहीं कर पाएगा, सब मालिक की गलती की वजह से, मालिक को हमसे दूरी बनाये रखनी चाहिए)।
परिवार की एक औरत लॉर्ड और लेडी हेस्टिंग्स की ओर इशारा कर कहती है, “देखो! देखो! जंगली वाला” और एक छोटा बच्चा हेस्टिंग्स की टोपी देख इस औरत के पीछे छिपकर कहता है’ “टोपीवाला”।
परिवार की वृद्ध सदस्या कहती है, “अरे बाप रे! खबरदार”।
बात को और आगे न बढ़ाने के लिए लॉर्ड और लेडी हेस्टिंग्स चुपचाप अपने घोड़े लेकर निकल जाते हैं।
संदर्भ:
1.http://www.britishmuseum.org/research/collection_online/collection_object_details.aspx?assetId=186943001&objectId=1656070&partId=1
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