कौनसे वन गए थे श्री राम वनवास पर?

जंगल
18-06-2018 10:50 AM
कौनसे वन गए थे श्री राम वनवास पर?

जब तक इस धरती पर पर्वत और नदियां मौजूद हैं, तब तक रामायण का इतिहास प्रबल और लोगों के बीच फैला रहेगा। संत वाल्मीकि ने दिव्य प्रेरणा के माध्यम से 24,000 दोहों में रामायण की गाथा गाई, जो पूरी दूनिया में आदि-काव्य के नाम से प्रसिद्ध है।

अयोध्या, सरयू या घाघरा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है, जहां श्री राम का जन्म हुआ था। लेकिन अब यह लखनउ-वाराणसी रेल मार्ग पर स्थित है। माता कैकेयी की मांगों पर जब श्री राम ने जंगल में जाने का फैसला किया, तब सारथी सुमंत द्वारा श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण को रथ से गंगा नदी के किनारे तक छोड़ा गया।

जहां से श्री राम ने गंगा नदी से तमसा नदी ताल क्षेत्र तक की यात्रा तय की, जो अयोध्या से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गोमती नदी पार करने के बाद श्री राम श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो इलाहाबाद से 20 किलोमीटर की दूरी पर निशादराज गुह राज्य में स्थित है। यह स्थल ‘केवट प्रसंग’ के नाम से भी जाना जाता है। पुराने कथन अनुसार, केवट नाम के एक नाविक ने उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर दिया था। उसका कहना था कि जिनके पैरों की धूल, एक पत्थर को महिला में बदल सकती है, वो श्रीराम क्या कुछ नहीं कर सकते हैं।

गंगा नदी को पार करने के बाद वो पैदल ही गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम स्थल प्रयाग में पहुंचे, जिसे त्रिवणी संगम भी कहा जाता है। वहां वो ऋषि भारद्वाज के आश्रम पहुंचे, जिन्होंने उनको प्रयाग से चित्रकूट की पहाड़ियों के पास जगह खोजने की सलाह दी।

प्रयाग यात्रा के बाद, वे चित्रकूट पहुंचे जहां वाल्मीकि आश्रम, माण्डवया आश्रम और भारत कूप जैसे स्मारक आज भी मौजूद हैं। वहां पर श्री लक्ष्मण ने नदी के तट पर रहने के लिए एक साधारण-सी कुटिया बनायी। फिर चित्रकूट से श्रीराम, अत्री आश्रम पहुंचे। तत्पश्चात् वे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को पार करके दंडक अरण्य में पहुंचे, जहां वो शारबांग और सुतीशन मुनी आश्रम में पहुंचे। दंडक अरण्य एक विशाल क्षेत्र है, जिसने विन्ध्य पर्वत श्रेणी का दक्षिण का क्षेत्र घेरा हुआ है।

उन्होंने जंगल में चारों ओर घूमना शुरू किया और ऋषि अ़त्री के आश्रम का दौरा किया और उनसे अपने लिए आशीर्वाद मांगा। ऋषि अत्री की पत्नी अनुसूया ने उपहार स्वरूप सीता को सुन्दर आभूषण भेंट किये। ये वही गहनों का संग्रह था जिनका उपयोग सीता माता ने किश्किंडा के रास्ते में किया था, जब रावण उन्हें अपने पुष्पकयान से लंका ले जा रहा था।

श्रीराम और लक्ष्मण ने अपने वनवास काल के दौरान नर्मदा और महानदी के साथ-साथ और कई आश्रमों का भी दौरा किया और अंत में सुतीक्षा आश्रम लौट आए। पउना, रायपुर, बस्तर और जगदलपुर में मंडवया आश्रम, श्रिंगी आश्रम, राम-लक्ष्मण मंदिर और इससे आगे के कई स्मारकों के अवशेष आज भी यहां संजोए हुये हैं।

आखिरकार, वे अगस्त्य मुनि आश्रम पहुंचे, जो नासिक में है। वहां पर उन्हें अगस्त्य मुनि द्वारा अग्निशाला से बने हथियार भेंट किये गये। अगस्त्य मुनि आश्रम से वे पंचवटी पहुंचे, जहां पर वे गोदावरी नदी के तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे। उसी जगह पर रावण की बहन सूर्पखा भी छिपी हुई थी। मायावी हिरण के छलावे से रावण, सीता माता को श्रीराम से दूर लंका ले गया।

गोदावरी नदी त्रियमबंकेश्वरम् नामक जगह के पश्चिमी घाटों से निकलती है, जो नासिक में है, किन्तु वर्तमान में इस जगह पर जाना निषेध है। पंचवटी बंगाल की खाड़ी के नज़दीक गोदावरी नदी के तट पर भद्रचलम के पास स्थित है। नासिक क्षेत्र मृगवीदेश्वर, बनेश्वर, सीता-सरोवर और राम-कुण्ड जैसे स्मारकों से भरा है। सरस्वती स्मारक आज भी नासिक से 56 किलोमीटर दूर टेकड गांव में संरक्षित है।

रामायण के इतिहासानुसार, भद्रचलम मंदिर का महत्तव रामायण युग से भी पहले का है। यह पहाड़ी स्थान रामायण काल के ‘दंडकारण्य’ में मौजूद था, जहां भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना वनवास काल व्यतीत किया था। यह स्थान पाणशाला कहलाता है- जो सुनहरे हिरण और रावण द्वारा माता सीता के अपहरण के लिए प्रसिद्ध है। पाणशाला क्षेत्र, भद्रचलम मंदिर के आस-पास ही है। तुंगभद्रा और कावेरी के पास राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने जटायु और काबंध से भेंट की। उसके बाद वे दक्षिण में ऋषिमूक पर्वत की ओर बढ़ गये। रावण द्वारा सीता माता को ले जाने के बाद, श्रीराम और लक्ष्मण जंगल में चारों ओर भटकते रहे और भटकते-भकटते हम्पी क्षेत्र में किश्किन्धा पर्वत श्रेणी की तुंगभद्रा नदी घाटी में जा पहुंचे।

रास्ते में उन्होंने पम्पासरोवर; बेलगांव में सोरवनद्ध क्षेत्र में शबरी आश्रम का दौरा किया, जो आज भी अपने बेर के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है। उसके बाद ऋषिमूक पर्वत पहुंचे, जहां उनकी भेंट हनुमान और सुग्रीव से हुयी। होस्पेट के पास अंजनाधरी नामक एक जगह है, जहां पर हनुमान का जन्म हुआ था। यह खास जगह श्रीराम के निर्वासन से सम्बंधित है, जहां उन्होंने बाली को मारा था। यह हम्पी क्षेत्र अब कर्नाटक में है। सुग्रीव द्वारा प्रदान सुसज्जित सेना के साथ, श्रीराम भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर पहुंचे।

हनुमान द्वारा, लंका में सीता माता का पता लगाने के बाद श्रीराम और लक्ष्मण भूमि के दक्षिणी सिरे पर पहुंचे। जहां पर उनके द्वारा अपने धनुष से उस जगह को चिन्हित किया गया, इस प्रकार इस जगह को धनुषकोडी नाम मिला। जहां उन्होंने दिव्य राम-सेतु के पुल का निर्माण करके लंका-चढ़ाई अभियान आरम्भ किया। 1964 में एक ज्वारीय लहर द्वारा धनुषकोडी को धोया गया, जो अब समुद्र के नीचे है। लेकिन धनुषकोडी के कुछ अवशेष अभी भी वहां पर मिलते हैं। रामेश्वरम का शिव मंदिर जहां श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की थी, वो जगह हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। यहां पर श्रीराम ने एक शिवलिंग का निर्माण किया और राम-सेतु बनाने से पहले शिव से विजयी होने की प्रार्थना की। तमिल संगम साहित्य में श्रीराम के सभी पराक्रमों का उल्लेख मिलता है।

हजारों सालों से रामायण पूरे भारत में उत्तर से दक्षिण और पश्चिम से पूर्व तक यथार्थ ढंग से नाटकीय, त्यौहारों और समारोहों के रूप में गली, गांव और जनजातीय कलाओं के माध्यम से फैली हुआ है।

संदर्भ
1.https://indiasix.wordpress.com/2016/03/28/14-years-of-vanvas-of-shri-ram-some-details/
2.https://nationalviews.com/lord-rama-vanvas-route-ayodhya-to-lanka
3.http://www.ramayam.ramprasadmaharaj.org/ramayam/14-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%82/
4.http://blog.onlineprasad.com/place-lord-ram-11-years-vanvas/

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.