मुस्लिम संस्कृति दर्शाती फ़िल्में लुभाती हैं शिराज़-ए-हिन्द को

द्रिश्य 2- अभिनय कला
13-06-2018 01:53 PM
मुस्लिम संस्कृति दर्शाती फ़िल्में लुभाती हैं शिराज़-ए-हिन्द को

जौनपुर शहर पूर्व-मुग़ल काल सल्तनत पर प्रकाश डालता है। आज भी, पहली बार आने वाला पर्यटक अक्सर स्वीकार करता है कि अकबर पुल के चारों ओर पुराने शहर में घूमना, मानो ऐसा है जैसा कि मुगलकालीन फिल्मों के सेट पर घूमना। कुछ फिल्में हैं जोकि जौनपुर में हमेशा पंसदीदा होनी चाहिए, क्योंकि वे मुग़ल मनोदशा को बहुत अच्छे से दर्शाती हीं और भारत भर में ब्लॉकबस्टर हिट थीं, साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र् अरब, पाकिस्तान, ईरान और पूरे मुस्लिम देशों में भी।

भारत में मुस्लिम संस्कृति ने सदियों तक अपना आकार लिया है। मुगल साम्रज्य 1526-1857 के दौरान अपने चरम पर था। जबकि कई तरह से भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम संस्कृति हिन्दू संस्कृति के साथ मिली हुयी है, इसका अपना स्वयं का सुंदर और व्यक्तिगत चरित्र है, जो इसकी संस्कृति और प्रभाव के विशिष्ट और अचूक पहलू हैं। मुस्लिम संस्कृति की सुंदरता और लालित्य को बॉलीवुड फिल्मों में सफलता और प्रशंसा के साथ बार-बार प्रदर्शित किया गया है। फिल्मों में मुस्लिम शिष्टाचार, उत्कृष्ट उर्दू कविता और संवाद को सुंदर प्रेम कहानियों के साथ चित्रित कर दर्शाया है। यहां पर मुस्लिम संस्कृति को दर्शाती कुछ सर्वोत्तम फिल्मों के बारे में बताया जा रहा है।

मुगल-ए-आज़म (1960) फिल्म सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी दिखाती है। जहां इस फिल्म में दिलीप कुमार और मधुबाला के बीच सुंदर प्रेम देखने को मिलता है, वहीं दूसरी ओर नौशाद द्वारा रचित शानदार संगीत भी हमें फिल्म की ओर खींचता है, जैसे ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’, ‘तेरी महफ़िल में किस्मत’, ‘ऐ मोहब्बत जिन्दाबाद’ आदि। लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे महान गायकों ने फिल्म के गीतों को अपनी आवाज देकर सदा के लिए अमर बना दिया। सेट और वेशभूषा काफी बड़ा और शानदार तरीके से तैयार किये गये थे। मुगलों को आंनद देने वाली भव्य जीवन शैली और उत्कृष्ट उर्दू संवाद फिल्म की जान है। इस ‘ब्लैक एण्ड वाइट’ (Black & White) फिल्म को 2004 में रंग भरके नवीनीकृत करके फिर से रिलीज़ किया गया था।

पाकीज़ा (1972) फिल्म लगभग 14 सालों में बनकर तैयार हुयी। पाकिज़ा को मीना कुमारी के जीवनकाल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना जाता है और यही उनकी आखिरी फिल्म भी है, क्योंकि फिल्म के रिलीज़ होने के कुछ सप्ताह बाद ही मीना कुमारी की मृत्यु भी हो गयी थी। इस फिल्म में बहुत से सुंदर दृश्य और संवाद थे। इस फिल्म की गजलें- कैफी आज़मी, मजरूह सुल्तानपुरी, कैफ भोपाली और कमल अमरोही जैसे दिग्गजों द्वारा बहुत सुंदर तरीके से लिखी गयी थीं। लेकिन फिल्म के लिए लिखे गये 18 गानों में से सिर्फ 9 गानों को ही फिल्म में जगह मिल पायी थी। इस फिल्म में मीना कुमारी और राजकुमार द्वारा मुख्य भूमिका निभाई गयी थी। इसके गानों ने फिल्म पर चार चांद लगा दिये थे। लता मंगेशकर ने एक बार फिर अपनी आवाज से हमें अपनी ओर खींच लिया। मीना कुमारी का नृत्य यादगार बन गया। फिल्म में कथक की झलक हमें देखने को मिलती है।

इसी श्रेणी में ‘जोधा अकबर’ (2008), ‘अनारकली’ (1953), ‘ताजमहल’ (1963), ‘उमराव जान’ (1981), ‘जहां आरा’ (1964), ‘चौदहवीं का चाँद’ (1960), ‘शतरंज के खिलाड़ी’ (1977) आदि भी शामिल हैं। इन मुग़ल झुकाव वाली फिल्मों से हमारी संस्कृति पर भी एक प्रभाव पड़ता है। इनमें इस्तेमाल किये गए उर्दू, अरबी और फ़ारसी के कुछ शब्द आज इतने सामान्य रूप से इस्तेमाल होने लगे हैं कि वे हिंदी के ही प्रतीत होने लगे हैं, जैसे कुछ शब्द हैं – मोहब्बत (अरबी), ज़िंदगी (फ़ारसी), जान-ए-वफ़ा (फ़ारसी), दिल (अरबी), खान (मंगोलियन), किस्मत (फ़ारसी), मुबारक (अरबी) आदि। तो ज़ाहिर है कि इन फिल्मों से हमारी भाषा और संस्कृति भी प्रभावित होती है।

1. https://www.theodysseyonline.com/8-historical-bollywood-films-display-muslim-culture
2. https://www.quora.com/How-has-the-Mughal-Empire-influenced-Bollywood-cinema

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.