क्या जौनपुर में मौजूद थे आदिमानव?

जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक
26-05-2018 01:43 PM
क्या जौनपुर में मौजूद थे आदिमानव?

यदि कहा जाए कि जौनपुर से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर पाषाण कालीन मानव या आदिमानव के अवशेष प्राप्त हुए हैं तो शायद बहुत कम लोग ही इस बात को मानेंगे। जौनपुर से अभी तक आदिमानवों से जुड़े किसी भी पुरास्थल की प्राप्ति नहीं हुयी है। परन्तु जौनपुर का पड़ोसी जिला मिर्जापुर और प्रतापगढ़ आदिमानवों के रहने का एक उत्तम स्थान था और यही कारण है कि यहाँ से आदिकालीन मानवों के अनेकोनेक साक्ष्य प्राप्त होते हैं। मिर्जापुर से आदिकालीन मानवों द्वारा बनाये गए कई शैलचित्र प्राप्त हुए हैं। ये शैल चित्र आदिकालीन मानवों द्वारा बनाये गए थे तथा ये उनके जीवन के कार्यकलापों व उस क्षेत्र में पाए जाने वाले जानवरों का अंकन समेटे हुए हैं। भारत का पहला शैलचित्र मिर्जापुर की सोहागी पहाड़ी से मिला था। इस शैलचित्र की खोज कार्लाइल ने की थी। यह भारत ही नहीं बल्कि विश्व के पहले खोजे गए शैल चित्र थे और तब से अब तक सैकड़ों शैलचित्र मिर्ज़ापुर, चंदौली, सोनभद्र आदि जिले में मिले हैं। ये सभी जिले जौनपुर से अधिक दूरी पर स्थित नहीं हैं और यह इस बात को सिद्ध करते हैं कि जौनपुर का क्षेत्र उस काल में पाषाणकालीन मानवों द्वारा प्रयोग में लाया जाता होगा।

मिर्ज़ापुर के शैल चित्रों को 9,000 साल से 10,000 साल पुराना माना जा सकता है तथा ये शुरुआती मध्यकाल तक बनाये गए हैं। ये शैल चित्र जल प्रपातों, जल के संसाधनों आदि के पास पाए जाते हैं जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि मानव अपना बसाव वहीं रखता था जहाँ पर जल व खाने की आपूर्ति आराम से हो जाती थी। ये चित्र गेरू, खड़िया आदि से बनाये जाते थे तथा कभी-कभी लार का भी प्रयोग किया जाता था। लार में गेरू को मिला कर चित्रकारी की जाती थी। पेड़ों, फूलों आदि से भी निकले रंगों का भी प्रयोग चित्रकारी के लिए किया जाता था। दिया गया चित्र मिर्ज़ापुर के लेखनिया दरी का है, यह शैलचित्र हाथियों का विषद विवरण प्रस्तुत करता है। यहीं से ऊंट द्वारा रथ को खींचे जाने का भी अंकन मिलता है। इन चित्रों में आखेटन का, मानव जीवन का, लड़ाइयों का, विभिन्न नृत्यों आदि का भी अंकन हमें देखने को मिलता है। ये चित्र प्राचीन काल में रहने वाले लोगों की सोच को और उनके रहने के ढंग को प्रदर्शित करते हैं।

जौनपुर के पश्चिम में बसा प्रतापगढ़ भी आदिकालीन पुरस्थालों से यहाँ मानव जीवन के कई प्रमाण प्रस्तुत करता है। प्रतापगढ़ के दमदमा, महदहा और सराय नाहर राय से आदिकालीन मानवों के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। महदहा से कुल 28 कब्र मिली हैं जिनमें से पुरुष और महिला की कब्र अत्यंत मशहूर है। यहाँ से प्राप्त साक्ष्यों से यह पता चलता है कि उस काल में मानव कद में लम्बे हुआ करते थे, पुरुषों का कद 190 सेंटीमीटर और महिलाओं का कद 162-175 सेंटीमीटर। यहाँ से और अन्य दोनों पुरस्थालों से मनुष्यों द्वारा पहने जाने वाले आभूषण आदि की भी प्राप्ति हुयी है।

इस प्रकार प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि उस समय का मानव शिकारी हुआ करता था और वह शिकार के लिए आस पास के क्षेत्रों में घूमा करता था। जौनपुर और आसपास के क्षेत्र में आदिमानवों की बड़ी आबादी निवास करती थी इसके भी प्रमाण हमें प्राप्त होते हैं।

1. रॉक आर्ट ऑफ़ मिर्ज़ापुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण
2. http://www.bradshawfoundation.com/india/pachmarhi/index.php
3. http://homeoftaj.com/rock-painting-uttar-pradesh-travel-back-pre-historic-times/
4. https://www.athensjournals.gr/humanities/2016-3-4-3-Chattopadhyaya.pdf
5. http://groovyganges.org/wp-content/uploads/2012/08/rock_painting_low.pdf
6. https://www.indianetzone.com/43/mesolithic_sites_india.htm

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.