एम एस पी करती है, जौनपुर के किसानों की फ़सलों और भविष्य की सुरक्षा

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
17-01-2025 09:30 AM
एम एस पी करती है, जौनपुर के किसानों की फ़सलों और भविष्य की सुरक्षा

जौनपुर के किसानों ने "न्यूनतम समर्थन मूल्य" या एम एस पी (MSP) शब्द, ज़रूर सुना होगा। एम एस पी एक ऐसी फ़िक्स यानी तय कीमत होती है, जिसे भारत सरकार खरीफ़ और रबी सीज़न की कुछ फ़सलों के लिए निर्धारित करती है। एम एस पी का उद्देश्य किसानों को उनकी फ़सल की उचित कीमत दिलाना और देश में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है। आमतौर पर सरकार फ़सल की बुवाई शुरू होने से पहले ही एम एस पी की घोषणा कर देती है। आज के इस लेख में एम एस पी के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसके तहत हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि एम एस पी किन फ़सलों पर लागू होता है और इनकी कीमतें कैसे तय की जाती हैं? इसके अलावा, हम खरीफ़ और रबी फ़सलों के लिए 2024-25 सीज़न के नवीनतम एम एस पी पर भी नज़र डालेंगे। साथ ही, हम यूरोपीय देशों में किसानों को दी जाने वाली आय सहायता के बारे में भी जानकारी लेंगे। इसके अलावा, यह भी देखेंगे कि ब्राज़ील, न्यूज़ीलैंड और अमेरिका जैसे देश अपने कृषि क्षेत्र को कैसे सहारा देते हैं।
आइए सबसे पहले भारत में एम एस पी कार्य्रकम के बारे में जानते हैं!
एम एस पी या न्यूनतम समर्थन मूल्य एक सरकारी योजना है, जो किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना के तहत, केंद्र सरकार विभिन्न फ़सलों के लिए एक न्यूनतम मूल्य तय करती है। इससे किसानों को उनकी फ़सलों का उचित मूल्य मिलता है।
किसानों को एम एस पी का लाभ दिलाने के लिए सरकार, किसानों से उचित औसत गुणवत्ता (fair average quality (एफ़ ए क्यू)) का धान/मोटा अनाज खरीदती है। महाराष्ट्र में, इस कार्यक्रम को भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) के माध्यम से चलाया जाता है। राज्य सरकार इस काम में दो एजेंसियों की मदद लेती है:
1. गैर-आदिवासी क्षेत्रों में - महाराष्ट्र राज्य सहकारी विपणन संघ।
2. आदिवासी क्षेत्रों में - महाराष्ट्र राज्य सहकारी आदिवासी विकास निगम।
पंजीकरण और प्रक्रिया:
धान और मोटे अनाज उगाने वाले किसानों को पंजीकृत करने की ज़िम्मेदारी एन ई एम एल एजेंसी निभाती है। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। इसका प्रबंधन जिला आपूर्ति प्रणाली करती है। इस योजना के लिए जरूरी फंड राज्य सरकार के खाते से आता है। बाद में इस खर्च की भरपाई केंद्र सरकार करती है।
लाभार्थी: इस योजना का लाभ केवल उन किसानों को मिलता है, जो एम एस पी कार्यक्रम के तहत पंजीकृत होते हैं। सरकार द्वारा तय की गई राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है।
पंजीकरण कैसे करें:
किसान दो तरीकों से एम एस पी कार्यक्रम के लिए पंजीकरण कर सकते हैं:
➜ महानंदनी ऐप का उपयोग करें।
➜ पास के किसी खरीद केंद्र पर जाएं।
पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज़:
➜ आधार कार्ड
➜ बैंक पासबुक या रद्द चेक
➜ हाल ही का 7/12 दस्तावेज़
यह योजना, किसानों की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करती है और उनकी फ़सलों का सही मूल्य दिलाने में मदद करती है।
आइए अब जानते हैं कि एम एस पी के तहत कौन सी फसलें आती हैं?
केंद्र सरकार 23 फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम एस पी) तय करती है।
ये फ़सलें, चार श्रेणियों में बांटी गई हैं:
1. अनाज: बाजरा, गेहूं, मक्का, धान, जौ, रागी, और ज्वार (कुल 7)।
2. दालें: अरहर, चना, मसूर, उड़द, और मूंग (कुल 5)।
3. तिलहन: कुसुम, सरसों, नाइजर बीज, सोयाबीन, मूंगफली , तिल, और सूरजमुखी (कुल 7)।
4. वाणिज्यिक फ़सलें: कच्चा जूट, कपास, खोपरा, और गन्ना (कुल 4)।
एम एस पी का निर्धारण कैसे होता है?
सरकार, हर फ़सल सीज़न की शुरुआत में एम एस पी घोषित करती है। यह प्रक्रिया खरीफ़ और रबी दोनों सीज़न के लिए होती है। एम एस पी तय करने से पहले सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (सी ए सीपी) की सिफ़ारिशों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करती है। सीएसीपी, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
एम एस पी तय करने का फॉर्मूला:
सीएसीपी किसानों की वास्तविक लागत को ध्यान में रखकर एम एस पी की सिफारिश करता है। इसमें शामिल हैं:
- फ़सल की खेती में लगी लागत।
- परिवार के श्रम का मूल्य।
- किसानों द्वारा दी गई किराए या अचल संपत्ति का खर्च।
एम एस पी के लिए कानूनी गारंटी कैसे दी जा सकती है?
सरकार एम एस पी की कानूनी गारंटी देने के लिए दो तरीके अपना सकती है:
1. न्यूनतम मूल्य का नियम: सरकार बाज़ार में 23 फ़सलों के लिए एम एस पी तय कर सकती है। इससे निजी कंपनियों को किसानों से एम एस पी पर खरीद करनी होगी। हालांकि, इससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
2. सीधी खरीद: सरकार सभी 23 फ़सलों को सीधे किसानों से एम एस पी पर खरीद सकती है।
भारत में फ़सलों की बुवाई और कटाई का समय राज्यों और फ़सलों के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर खरीफ़ फसलें, अक्टूबर से पहले बाज़ार में आ जाती हैं। 2024-25 के खरीफ़ सीज़न के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 1 सितंबर 2024 से लागू हो गया था। रबी फ़सलों का एम एस पी 2025-26 के रबी विपणन सीज़न (RMS) के दौरान लागू होगा।

2025-26 सीज़न में रबी फ़सलों के लिए एम एस पी की घोषणा किसानों को उचित मूल्य देने के उद्देश्य से की गई है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी रेपसीड और सरसों के लिए है, जिनमें 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि होगी। मसूर के लिए 275 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि चना, गेहूं, कुसुम और जौ के लिए क्रमशः 210 रुपये, 150 रुपये, 140 रुपये, और 130 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।
2024-25 के खरीफ़ सीज़न और 2025-26 के रबी सीज़न में एम एस पी में बदलाव किए गए हैं, जिससे किसानों को उनकी फ़सलों का उचित मूल्य मिल सके।

वस्तुकिस्म2023-2024 के लिए एम एस पी (रु. प्रति क्विंटल)2024-2025 के लिए एम एस पी (रु. प्रति क्विंटल)पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी (रु. प्रति क्विंटल)
धानसामान्य21832300117
ग्रेड 'ए'22032320117
ज्वारहाइब्रिड31803371191
मालदंडी32253421196
बाजरा-25002625125
मक्का-20902225135
रागी-38464290444
अरहर (तूर)-70007550550
मूंग-85588682124
उरद-69507400450
कपासमध्यम स्थायी*66207121501
लंबा स्थायी **70207521501
भूरे चने के भीतर-63776783406
सूरजमुखी बीज-67607280520
सोयाबीनपीला46004892292
तिल-86359267632
नाइजर बीज-77348717983
गेहूं-22752425150
जौ-18501980130
चना-54405650210
मसूर (दाल)-64256700275
बियाज और सरसों-56505950300
सूरजमुखी-58005940140
तोरिया (2024-25 सीज़न)-54505650200

क्या आप जानते हैं कि यूरोपीय संघ भी अपने अंतर्गत आने वाले देशों के किसानों को आय सहायता प्रदान करता है। इसे प्रत्यक्ष भुगतान कहा जाता है। यह सहायता कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों को पूरा करती है:
⦁ यह किसानों को उनके काम से कमाई करने के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।
⦁ यह सुनिश्चित करती है कि यूरोप में पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध हो।
⦁ यह किसानों को सुरक्षित, स्वस्थ और किफ़ायती भोजन का उत्पादन करने में मदद करती है।
⦁ यह किसानों को ग्रामीण क्षेत्रों और पर्यावरण की देखभाल जैसे कार्यों के लिए प्रोत्साहित करती है, जिनके लिए बाजार भुगतान नहीं करता।
सहायता कैसे दी जाती है?
किसानों को आम तौर पर हेक्टेयर में उनके खेत के आकार के आधार पर आय सहायता मिलती है। सभी यूरोपीय संघ के देशों को स्थायी खेती प्रथाओं (पारिस्थितिकी-योजनाओं) को बढ़ावा देने के लिए एक बुनियादी भुगतान, जलवायु, पर्यावरण और पशु कल्याण के लिए भुगतान करना होता है। चूंकि यूरोपीय संघ के देशों के लिए ये भुगतान प्रदान करना अनिवार्य है, इसलिए उन्हें अक्सर अनिवार्य भुगतान कहा जाता है।
ये योजनाएं, टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती हैं। हालांकि, इन योजनाओं में भाग लेना किसानों की मर्ज़ी पर निर्भर करता है।
आइए, अब जानते हैं कि कुछ अन्य देशों में किसानों को समर्थन प्रदान करने के लिए क्या योजनाएं चलाई जाती हैं:
: ब्राज़ील की सरकार अपने किसानों का समर्थन तीन मुख्य तरीकों से करती है!
⦁ मूल्य नियंत्रण: सरकार कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम मूल्य तय करती है।
⦁ ऋण सुविधाएं: किसानों को कम ब्याज पर ऋण दिया जाता है। इससे वे कीमतें बढ़ने तक अपनी फ़सल को रोककर रख सकते हैं।
⦁ फ़सल बीमा: सब्सिडी वाले बीमा से प्राकृतिक आपदाओं के नुकसान की भरपाई होती है।
न्यूज़ीलैंड:
मुख्य रूप से किसानों को अनुसंधान और जैव सुरक्षा के लिए मदद करता है। यह देश पशु कल्याण, कृषि नवाचार और टिकाऊ खेती पर अधिक ध्यान देता है।
यहां कृषि व्यापार ज़्यादातर स्वतंत्र रूप से संचालित होता है। कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के अनुसार तय होती हैं। स्वास्थ्य कारणों से ताजे मुर्गे और अंडों के आयात पर प्रतिबंध है, जिससे स्थानीय बाज़ार को सुरक्षा मिलती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका:
अमेरिका में किसानों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाते हैं! जैसे कि 
मूल्य हानि कवरेज: जब बाजार की कीमतें एक निश्चित सीमा से नीचे गिरती हैं, तो किसान को भुगतान किया जाता है।
कृषि जोखिम कवरेज: जब कृषि राजस्व एक निश्चित औसत से नीचे जाता है, तो किसानों को भुगतान दिया जाता है।
इस प्रकार, एम एस पी और अन्य सहायता योजनाएं मिलकर किसानों की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/26dzq6lz
https://tinyurl.com/25brt9z9
https://tinyurl.com/253yssxb
https://tinyurl.com/yvff6mmc
https://tinyurl.com/29rhhcga

चित्र संदर्भ
1. खेत जोतते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एम एस पी लेखन को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. खेत में उर्वरक छिड़कते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
4. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक भारतीय किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels) body 

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