इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
25-12-2024 09:23 AM
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इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
हमारे शहर में, क्रिसमस का जश्न, कोई असामान्य बात नहीं है। चर्चों में जाना, पेड़ों को सजाना, दावतों की तैयारी करना और घरों को सुंदर रोशनी से रोशन करना, इस दिन के कुछ उत्सव हैं। माना जाता है कि, भारत में, ईसाई धर्म, सेंट थॉमस(Saint Thomas) के साथ, 52 ईस्वी में, आया था। कहा जाता है कि, वह केरल में उतरे और ईसाई धर्म ने वहां जड़ें जमा लीं। इसके बाद, वह वर्तमान चेन्नई के मायलापुर में चले गए। एक नई भूमि में, उन्होंने एक नए भगवान के बारे में बात की, और समय की रेत पर अपने पैरों के निशान छोड़ दिए। तो, इस क्रिसमस त्योहार पर चलिए, भारत में ईसाई धर्म की उत्पत्ति पर नज़र डालें। इस संदर्भ में हम सेंट थॉमस और भारत में इस धर्म के प्रसार में, उनके योगदान के बारे में बात करेंगे। उसके बाद, हम केरल में सीरियाई ईसाइयों के बारे में जानेंगे, और मध्यकाल में यह स्थान भारत में ईसाई धर्म का केंद्र क्यों बन गया, यह भी देखेंगे। आगे, हम भारत में ईसाई धर्म के विकास और प्रसार से संबंधित, महत्वपूर्ण तिथियों पर कुछ प्रकाश डालेंगे। फिर, हम भारत के कुछ सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय चर्चों का पता लगाएंगे। अंत में, हम चेन्नई में सेंट थॉमस माउंट (St. Thomas Mount) के महत्व को समझने की कोशिश करेंगे।
सेंट थॉमस का परिचय:
सेंट थॉमस, सेंट जॉन(St. John) के सुसमाचार(Gospel) में, तीन बार प्रकट होते हैं। ये तीन अवसर – लज़ार का पुनरुत्थान(Resurrection of Lazar), अंतिम भोज(Last Supper), और ईसा मसीह का पुनरुत्थान, हैं। सुसमाचार में उसका नाम थॉमस रखा गया है, जिसे डिडिमस(Didymus) के नाम से जाना जाता था।
सेंट थॉमस, अपने पहले मिशन पर, पार्थियन राजा(Parthian King) – गोंडोफ़ेरेस(Gondophares) की राजधानी पहुंचे, जिन्होंने एक व्यापारी – अब्बनेस(Abbanes) के साथ, तक्षशिला को राजधानी बनाकर, अफ़गानिस्तान और पंजाब पर शासन किया था। अपने दूसरे मिशन पर, उन्होंने दक्षिण भारत के एक राज्य की यात्रा की, जिस पर पहली सदी के एक राजवंश का शासन था। परंपरा के अनुसार, सेंट थॉमस ने इस क्षेत्र में प्रचार किया और फिर वे दक्षिणपूर्व भारत के कोरोमंडल तट को पार कर गए। जब वह मद्रास के पास मायलापुर में अपने मिशन को अंजाम दे रहे थे, तो उनकी हत्या कर दी गई। उनके शरीर को वहीं दफ़नाया गया और फिर चौथी शताब्दी में, एडेसा(Edessa) और वहां से इटली(Italy) के ओर्थानो(Orthano) ले जाया गया।
ईसाई धर्म, भारत में कैसे पहुंचा?
केरल के आधुनिक सीरियाई ईसाई(Syrian Christians) जो यहां की बहुसंख्यक ईसाई आबादी है, मानते हैं कि, एपोस्टल थॉमस(Apostle Thomas), जिन्होंने, प्रसिद्ध रूप से यीशु से सवाल किया था, 52 ईस्वी में यहां आए थे। उन्होंने तब, अपने पुरखाओं को बपतिस्मा (Baptism) प्रदान किया। इतिहासकारों का अनुमान है कि, केरल के विविध व समृद्ध व्यापारिक केंद्र ने रोमन साम्राज्य के इस फ़िलिस्तीनी यहूदी(Palestinian Jew) को आकर्षित किया होगा, जो सुसमाचार का प्रचार करना चाहते थे।
फिर, 1498 में, प्रसिद्ध पुर्तगाली खोजकर्ता – वास्को डी गामा(Vasco da Gama) पहला यूरोप-भारत समुद्री मार्ग खोलने के लिए केरल गए। यहां आकर, जब उन्हें ईसाई लोग मिले, तो वे आनंदित हुए। दो साल बाद, कैप्टन पेड्रो अल्वारेस कैब्राल(Captain Pedro Álvares Cabral), आठ फ़्रांसीसी पुजारी, आठ पादरी और एक पादरी प्रमुख के साथ, यहां आए। फिर उन्होंने कुछ लोगों को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने लैटिन-पठित रोमन कैथोलिक-संस्कार की शुरुआत की थी।
केरल, भारत में ईसाई धर्म का केंद्र क्यों बन गया?
लैटिन संस्कार 16वीं शताब्दी के पुर्तगालियों के माध्यम से, केरल में आए थे। या फिर, सिरिएक संस्कार(Syriac rite) ईसा मसीह के जन्म के ठीक बाद की शताब्दियों में, बहुत पहले आया था। इसमें मसालों – काली मिर्च, इलायची, दालचीनी – की एक कहानी है, जिसने केरल को प्राचीन दुनिया में एक प्रख्यात स्थान बना दिया। यह कहानी, यह समझाने में मदद करती है कि, कैसे ईसाई धर्म भारत में एक बार नहीं, बल्कि दो बार आया।
विश्व के कुछ ही क्षेत्रों में मसालों की खेती के लिए, अधिक आदर्श परिस्थितियां मौजूद हैं। यीशु के समय से बहुत पहले, यहूदी लोग अरब और अन्य प्राचीन समुद्री व्यापारी मसाले खरीदने, व्यापार करने और भंडारण करने के लिए केरल में बस गए थे।
भारत में इतिहास या ईसाई धर्म की महत्वपूर्ण तिथियां:
१.52 ईसवी – परंपरा के अनुसार, थॉमस भारत आए और सात मंडलियों की स्थापना की।
२.189 ईसवी – अलेक्ज़ेंड्रिया(Alexandria) से एक मिशनरी – पैन्टेनस(Pantaenus) भारत आए।
.200 ईसवी – एडेसा के सिरिएक क्रॉनिकल(The Syriac Chronicle of Edessa) में भारत में “ईसाइयों के चर्च” का वर्णन किया गया है।
४.345 ईसवी – फ़ारस(Persia) में महान उत्पीड़न के दौरान, थॉमस ए काना(Thomas a Kana), 400 ईसाई शरणार्थियों को मालाबार तट पर ले गए।
५.883 ईसवी – राजा अल्फ़्रेड(King Alfred) द्वारा भेजे गए एंग्लो-सैक्सन बिशप(Anglo-Saxons bishops) – सेंट थॉमस (मायलापुर) की कब्र पर गए।
६.1293 ईसवी – मार्को पोलो(Marco Polo) कोरोमंडल तट पर रहते हैं, सेंट थॉमस की कब्र को तीर्थस्थल के रूप में वर्णित करते हैं, और क्विलोन(Quilon) में ईसाइयों और यहूदियों से मिलते हैं।
७.1502 ईसवी – थॉमस ईसाई नेताओं ने, वास्को डा गामा से मुस्लिम शिकारियों के खिलाफ़ गठबंधन के लिए कहा। फिर, 1542 में जेसुइट मिशनरी(Jesuit missionary) – फ़्रांसीस ज़ेवियर (Francis Xavier) और दो तमिल सहायक पारावारों को, एपोस्टल का पंथ, प्रभु की प्रार्थना और दस आज्ञाएं सिखाते हैं। साथ ही, एक ही महीने में, वे 10,000 लोगों को बैपटिज़म प्रदान करते हैं।
८.1706 – जर्मन पीटिस्ट(Pietists) – बार्थोलोमियस ज़िजेनबाल्ग(Bartholomaeus Ziegenbalg) और हेनरिक प्लुत्शाउ (Heinrich Plütschau), ट्रेंक्यूबार(Tranquebar) पहुंचे। वहां उन्होंने एक प्रिंटिंग प्रेस और चैरिटी स्कूल की स्थापना की।
९.1855 – त्रावणकोर (केरल) में गुलामी के उन्मूलन से अछूत, निचली जाति और पूर्व गुलाम जाति के लोगों के बीच बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का रास्ता खुल गया।
भारत में सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध चर्च:
1.) बेसिलिका ऑफ़ बॉम जीसस(Basilica of Bom Jesus) – गोवा:
बेसिलिका ऑफ़ बॉम जीसस, 300 साल पुराना चर्च है, और यह भारत के प्रसिद्ध चर्चों में से एक है। सेंट फ़्रांसीस ज़ेवियर(Francis Xavier) के नश्वर अवशेषों को रखते हुए, इस चर्च की वास्तुकला पर पुर्तगाली प्रभाव है। अब इसे यूनेस्को(UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर स्थल माना जाता है। चर्च के अंदरूनी हिस्से कीमती पत्थरों, वेदी पर सोने के काम और संगमरमर के फ़र्श से बने हैं। बेसिलिका में एक आर्ट गैलरी भी है, जो बाइबिल की विभिन्न कहानियों को प्रदर्शित करती है।
2.) क्राइस्ट चर्च(Christ Church) – शिमला:
1857 में निर्मित क्राइस्ट चर्च, शिमला शहर के मध्य भाग में स्थित है। नियो-गॉथिक शैली(Neo-gothic style) में बना क्राइस्ट चर्च, भारत का दूसरा सबसे पुराना चर्च है। इस चर्च में 5 रंगीन कांच की खिड़कियां हैं, जिनमें से प्रत्येक खिड़की ईसाई धर्म के गुणों का प्रतिनिधित्व करती है, जो विश्वास, आशा, विनम्रता, धैर्य और दान हैं।
3.) सेंट पॉल कैथेड्रल(St. Paul’s Cathedral) – कोलकाता:
सेंट पॉल कैथेड्रल वर्ष 1847 में निर्मित, एशिया का पहला एपिस्कोपल चर्च(Episcopal Church) है। अपनी गॉथिक वास्तुकला के लिए जाना जाने वाला यह चर्च, एपोस्टल पॉल को समर्पित है, जो यीशु मसीह के संदेश को फ़ैलाने के लिए यात्रा कर रहे थे। यह चर्च, अपने भित्तिचित्रों और कैनवास के लिए प्रसिद्ध है, जो ईश्वर के वचनों को एक साथ लाते हैं।
4.) वेलंकन्नी (Velankanni) चर्च, तमिलनाडु:
तमिलनाडु के वेलंकन्नी शहर में स्थित, वेलंकन्नी चर्च 16वीं शताब्दी में विकसित एक कैथोलिक चर्च है। इसे सबसे महान कैथोलिक चर्च माना जाता है। यहां आप मदर मैरी(Mother Mary) को खूबसूरत साड़ी में देख सकते हैं। उपासकों को अपनी बीमारी को ठीक करने के लिए, यहां मोमबत्तियां चढ़ाते हुए देखा जाता है। क्योंकि, बेसिलिका, “स्वास्थ्य की महिला” को समर्पित है। इसे ‘हमारे अच्छे स्वास्थ्य की महिला’ या ‘हमारी लेडी ऑफ़ वेलंकन्नी’ भी कहा जाता है।
5.) सेंट फ़्रांसीस चर्च, केरल:
इसे भारत के सबसे पुराने यूरोपीय चर्चों में से एक माना जाता है। सेंट फ़्रांसीस चर्च केरल के कोच्चि शहर में स्थित है। वर्ष 1524 में निर्मित, इस चर्च से बहुत सारा भारतीय और यूरोपीय इतिहास जुड़ा हुआ है। इस स्थान पर, एक समय में खोजकर्ता वास्को डा गामा के शव दफ़नाए गए थे। लेकिन 14 साल बाद, उनके बचे हुए हिस्सों को, वापस पुर्तगाल(Portugal) भेज दिया गया। आज तक, दुनिया भर से लाखों यात्री इस खोजकर्ता की समाधि को देखने, यहां आते हैं।
सेंट थॉमस माउंट का महत्व:
चेन्नई के हलचल भरे शहर में स्थित, सेंट थॉमस माउंट सदियों के इतिहास, आध्यात्मिकता और वास्तुशिल्प प्रतिभा के प्रमाण के रूप में खड़ा है। गिंडी में एक छोटी पहाड़ी के ऊपर स्थित, यह प्रतिष्ठित स्थल न केवल अपने धार्मिक संघों के लिए, बल्कि अपने मनोरम दृश्यों और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी बहुत महत्व रखता है।
सेंट थॉमस माउंट, जिसे ‘पारंगी मलाई’ या ‘माउंट ऑफ़ द एपोस्टल थॉमस(Mount of the Apostle Thomas)’ के नाम से भी जाना जाता है, वह स्थान है, जहां सेंट थॉमस, ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में भारत की अपनी मिशनरी यात्रा के दौरान, कुछ समय बिताया था। भारत में ईसाई धर्म के प्रारंभिक इतिहास के साथ इसका जुड़ाव, इसे दुनिया भर के ईसाइयों के लिए एक श्रद्धेय तीर्थ स्थल बनाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4s9hm43r
https://tinyurl.com/yckhv7jb
https://tinyurl.com/57hfmdfw
https://tinyurl.com/y6hw6bks
https://tinyurl.com/3may5a3z

चित्र संदर्भ
1. चेन्नई में सेंट थॉमस माउंट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. सेंट थॉमस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय ईसाईयों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बेसिलिका ऑफ़ बॉम जीसस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. क्राइस्ट चर्च शिमला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. सेंट पॉल कैथेड्रल कोलकाता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. वेलंकन्नी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. सेंट फ़्रांसीस चर्च, केरल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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