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जौनपुर के बगीचों, जंगलों और खेतों में घूमते हुए आपको अक्सर इल्ली या कैटरपिलर (Caterpillar) ज़रूर नज़र आ जाएंगे। दरअसल ये कैटरपिलर, पतंगों (moths) और तितलियों के लार्वा रूप होते हैं। इन आकर्षक जीवों के विकास और पोषण के लिए, जौनपुर की गर्म जलवायु और प्राकृतिक परिवेश, एकदम आदर्श होता है। कैटरपिलर, अपने अनोखे चरणों के साथ-साथ, हमारे पर्यावरण के पोषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये जीव, पौंधों का सेवन करते हैं और अन्य जानवरों के लिए भोजन का स्रोत बनते हैं। कैटरपिलर का एक लार्वा से तितली में बदलना भी एक रोमांचक प्रक्रिया है। आज के इस लेख में, हम इल्ली या कैटरपिलर के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसी क्रम में हम पतंगों और तितलियों के जीवन चक्र और उनके आवासों का भी पता लगाएंगे।कैटरपिलर का परिचय: कैटरपिलर को हम पतंगों और तितलियों की युवा अवस्था मानते हैं। ये दोनों जीव लेपिडोप्टेरा (Lepidoptera) नामक समूह से संबंधित हैं। इस समूह में 150,000 से ज़्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं। तितलियाँ आमतौर पर दिन के समय सक्रिय होती हैं तथा बहुत चमकीली और रंगीन होती हैं। दूसरी ओर, पतंगे आमतौर पर रात में उड़ते हैं और अक्सर भूरे या काले रंग के होते हैं। वयस्क तितलियाँ फसलों को नुकसान नहीं पहुँचाती हैं। वे ज़्यादातर पराग का सेवन करती हैं। लेकिन तितली बनने से पहले इनकी अपनी कैटरपिलर अवस्था में ये अपने मज़बूत जबड़ों से, बड़ी मात्रा में पौधों को खा जाते हैं।
लेपिडोप्टेरा नाम ग्रीक शब्द "लेपिस (Lepis)" से आया है। वैज्ञानिकों ने इस समूह में लगभग 180,000 प्रजातियों की पहचान की है। ये प्रजातियाँ 126 परिवारों और 46 सुपरफ़ैमिली में विभाजित हैं। हालांकि, आज इनमें से केवल 10% प्रजातियाँ ही जीवित हैं। लेपिडोप्टेरा का मतलब "पंखों वाले कीट" होता है। इनके पंख हज़ारो छोटे, ओवरलैपिंग स्केल (Overlapping scales) से बने होते हैं। जब आप इनके पंखों को छूते हैं, तो स्केल पाउडर की तरह गिर सकते हैं।
तितलियाँ ' पैपीलियोनॉइडिया ('Papilionoidea')' सुपरफ़ैमिली का हिस्सा हैं। इस सुपरफ़ैमिली में कई समूह शामिल हैं, जैसे:
हेस्पेरिडे (Hesperiidae) - इन्हें स्किपर तितलियों (Skipper Butterflies) के नाम से जाना जाता है।
पैपिलियोनिडे (Papilionidae) - इस परिवार में 550 से ज़्यादा प्रजातियाँ हैं, जिनमें से कुछ दुनिया की सबसे बड़ी तितलियाँ भी शामिल हैं।
पियरिडे (Pieridae)- इस परिवार में 1,100 से ज़्यादा प्रजातियाँ हैं। ये तितलियाँ अक्सर पीले या नारंगी रंग की होती हैं और ज़्यादातर अफ्रीका और एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
रियोडिनिडे (Riodinidae) - इस परिवार में 1,500 से ज़्यादा प्रजातियाँ हैं। इन तितलियों के पंखों पर अक्सर चमकदार, धातुई धब्बे होते हैं।
लाइकेनिडे (Lycaenidae) - इस समूह में 6,000 से ज़्यादा प्रजातियाँ हैं, जिनमें से कई के पंख नीले और काले रंग के होते हैं।
निम्फ़ालिडे (Nymphalidae) - यह तितलियों का सबसे बड़ा समूह है, जिसमें दुनिया भर में 6,000 से ज़्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस समूह को 13 छोटी श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
आइए अब पतंगों के जीवन चक्र को समझने का प्रयास करते हैं:
1. अंडा: मादा पतंगे और तितलियाँ, पौधों पर छोटे-छोटे अंडे देती हैं। ये अंडे बाद में उनके कैटरपिलर के लिए भोजन बनते हैं। कुछ कैटरपिलर, कई तरह के पौधे खाते हैं, लेकिन ज़्यादातर खास पौधों को पसंद करते हैं। एक मादा पतंगा या तितली, सैकड़ों अंडे दे सकती है।
3. कैटरपिलर (लार्वा): अंडे से निकलने के बाद कैटरपिलर, पौधों को खाना शुरू करता है। यह उसके जीवन का एकमात्र चरण होता है, जहाँ उसका विकास होता है। इस विकास प्रक्रिया के दौरान यह कई बार अपनी त्वचा को छोड़ता है और कभी-कभी अपने रंग या पैटर्न में बदलाव भी कर सकता है। इस चरण में कैटरपिलर का मुख्य काम खाना और बढ़ना होता है।
4. प्यूपा (क्रिसलिस): इस अवस्था में, कैटरपिलर एक कठोर खोल बनाता है, जिसे प्यूपा (Pupa) कहते हैं। यह एक स्लीपिंग बैग (Sleeping Bag) की तरह दिखता है। अंदर, कैटरपिलर एक पतंगे या तितली में बदल जाता है। कुछ प्यूपा सुरक्षा के लिए रेशम के कोकून में लिपटे होते हैं।
5. वयस्क: जब वयस्क पतंगा या तितली प्यूपा से बाहर निकलता है, तो वह अपने पंख फैलाता है और उड़ान के लिए तैयार होता है। इसके बाद, यह संभोग करता है और इस प्रकार जीवन चक्र फिर से शुरू होता है। वयस्क पतंगे, आमतौर पर कुछ दिनों तक जीवित रहते हैं। लेकिन इनका जीवनकाल कुछ महीनों तक भी हो सकता है।
पतंगे समुद्र तटों से लेकर पहाड़ों की चोटियों तक लगभग हर जगह पाए जा सकते हैं। वे जहाँ भी पौधे उगते हैं, वहाँ रहते हैं, क्योंकि उनके कैटरपिलर को खाने के लिए पौधों की ज़रुरत होती है। हालांकि, उनके पर्यावरण में छोटे-छोटे बदलाव भी पतंगों के जीवित रहने में मुश्किलें पैदा कर सकते हैं।
पतंगे की तरह तितलियाँ भी अपने जीवन काल में एक अनोखी प्रक्रिया से गुज़रती हैं। इस प्रकिया को मेटामोर्फोसिस (metamorphosis) कहा जाता हैं। मेटामोर्फोसिस का मतलब ‘आकार में परिवर्तन' होता है। अंटार्कटिका को छोड़कर तितलियाँ पूरी दुनिया में पाई जाती हैं। उनके आवासों में मैंग्रोव, घास के मैदान, आर्द्रभूमि, पहाड़ और यहाँ तक कि रेगिस्तान भी शामिल हैं। तितलियों की एलाडा चेकरस्पॉट (Elada Checkerspot) जैसी कुछ प्रजातियाँ, कठोर वातावरण में भी जीवित रह सकती हैं।
कुछ कीट, जैसे टिड्डे और तिलचट्टे, अधूरे कायापलट से गुजरते हैं। इसमें युवा ( निम्फ़) बिना पंखों के छोटे वयस्कों की तरह दिखते हैं। हालांकि तितलियाँ और पतंगे पूर्ण कायापलट से गुज़रते हैं। इसमें युवा (लार्वा) वयस्कों से बहुत अलग दिखते हैं और अलग भोजन खाते हैं।
आइए, अब तितलियों के जीवन चक्र को समझने का प्रयास करते हैं:
अंडे: पतंगों की तरह मादा तितलियाँ अपने कैटरपिलर के लिए उपयुक्त पौधों पर अंडे देती हैं। प्रजाति के आधार पर, ये अंडे, वसंत, गर्मी या पतझड़ में दिए जाते हैं।
कैटरपिलर (लार्वा): कैटरपिलर का मुख्य काम, खाना और बढ़ना होता है। यह 4-5 बार अपनी त्वचा को छोड़ता है और अपने मूल आकार से 100 गुना तक बढ़ सकता है।
प्यूपा (क्रिसलिस) : जब कैटरपिलर खाना बंद कर देता है, तो यह प्यूपा में बदल जाता है। प्यूपा के अंदर, यह एक वयस्क में बदल जाता है। यह चरण हफ़्तों से लेकर महीनों तक रहता है।
वयस्क: वयस्क तितली, उड़ान के लिए तैयार पंखों के साथ उभरती है। यह संभोग करती है और जीवन चक्र को जारी रखती है। अधिकांश वयस्क तितलियाँ, कुछ सप्ताह तक जीवित रहती हैं, हालांकि कुछ हाइबरनेट करती हैं और लंबे समय तक जीवित रहती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/22jp7wnx
https://tinyurl.com/27lhduwk
https://tinyurl.com/yy4htkm8
चित्र संदर्भ
1. सफ़ेद हरे और भूरे रंग के ककून के नीचे स्वैलोटेल तितली (Swallowtail butterfly) को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. हरे पत्ते पर हरे कैटरपिलर को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. मिश्रित रंग की तितलियों से सजी दीवार को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
4. कॉमन जे (common jay (ग्राफ़ियम डोसन)) के जीवन चक्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नाज़ुक फूल पर बैठी हीथ फ्रिटिलरी (Heath fritillary) नामक तितली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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