मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह

पर्वत, चोटी व पठार
20-11-2024 09:24 AM
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मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
जौनपुर में आज भी कई लोगों ने बर्फ़ से लदे पहाड़ों को नहीं देखा होगा। यदि आप बर्फ़ीले पहाड़ो को देखने के लिए किसी अच्छी जगह की तलाश कर रहे हैं, तो यकीन मानिए आपके लिए मुनस्यारी से बेहतर जगह ढूंढना बहुत ही मुश्किल होगा। मुनस्यारी, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में बसा एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। यह क्षेत्र, बर्फ़ से ढके हिमालय पर्वतों के शानदार नज़ारों के लिए मशहूर है। इस शांत घाटी को ट्रेकिंग के लिए एक बेहतरीन जगह माना जाता है। यहाँ से मिलम ग्लेशियर और नंदा देवी मंदिर जैसी लोकप्रिय जगहों के लिए कई ट्रेकिंग रूट्स भी हैं। मुनस्यारी एक समृद्ध संस्कृति वाला क्षेत्र है। यहाँ आने वाले आगंतुक, स्थानीय बाज़ारों और घरों में पारंपरिक कुमाऊँनी भोजन का आनंद ले सकते हैं। आज के इस लेख में, हम मुनस्यारी की अनूठी विशेषताओं को जानेंगे जिनकी वजह इसे "छोटा कश्मीर" कहा जाता है। इसके बाद, हम यहाँ के आदिवासी विरासत संग्रहालय का दौरा करेंगे, जो मुनस्यारी की स्थानीय संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है। अंत में, हम मुनस्यारी में देखने लायक कुछ शानदार जगहों के बारे में भी जानेंगे।
आइए शुरुआत मुनस्यारी के परिचय के साथ करते हैं:
मुनस्यारी, उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के बर्फ़ीले पहाड़ों की तलहटी में बसा एक छोटा सा हिल स्टेशन है। यहाँ से हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियों के ख़ूबसूरत नज़ारे दिखाई देते हैं। हर दिन, सुबह और शाम, आप यहाँ के शांत पहाड़ों के पीछे उगते और डूबते हुए सूरज के शानदार नज़ारों को देख सकते हैं। मुनस्यारी से, आप सूरज की रोशनी से जगमगाती पंचाचूली चोटियों के अद्भुत नज़ारे देख सकते हैं। पंचाचूली चोटियाँ, पिथौरागढ़ ज़िले में पूर्वी कुमाऊँ क्षेत्र के अंत में बर्फ़ से ढकी पाँच चोटियों का एक समूह हैं, जो कई पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। ये चोटियाँ चिमनी की तरह दिखती हैं और इस क्षेत्र के सबसे आश्चर्यजनक स्थलों में से एक हैं। इनकी ऊँचाई, 6,334 मीटर से लेकर 6,904 मीटर के बीच है। ये चोटियाँ गोरी और दरमगंगा घाटियों को अलग करती हैं। पंचाचूली भी गोरी गंगा और लस्सार यांकती के बीच की सीमा पर है। ये चोटियाँ पिथौरागढ़ से 138 किलोमीटर दूर हैं। आस-पास की अन्य चोटियों में नंदा देवी, नंदकोट, राजरंभा और नेपाल के पहाड़ शामिल हैं। यह स्थान रालम और मिलम ग्लेशियरों के साथ-साथ नंदा देवी चोटी की ट्रेकिंग ट्रिप के लिए एक शुरुआती बिंदु भी है। इस घाटी की अनछुई प्रकृति आसपास के पहाड़ों के लुभावने दृश्य प्रदान करती है। मुनस्यारी को ख़ासतौर पर अपनी बेमिसाल प्राकृतिक सुंदरता और ट्रेकिंग के अवसरों के लिए जाना जाता है। यह स्थान ट्रेकर्स और रोमांच प्रेमियों के बीच खासा लोकप्रिय है।
एक समय में मुनस्यारी एक प्रतिबंधित क्षेत्र हुआ करता था, क्योंकि यह भारत, तिब्बत और नेपाल की सीमाओं के बीच स्थित है। हालाँकि, आज धीरे-धीरे यह एक लोकप्रिय ट्रेकिंग गंतव्य बन रहा है। उत्तराखंड सरकार, कुमाऊँ के इस छोटे से स्वर्ग में पर्यटन के अवसरों को बढ़ावा दे रही है।
मुनस्यारी में एक जनजातीय विरासत संग्रहालय भी है। यह एक छोटा सा निजी संग्रहालय है। इसकी स्थापना, 2000 में हुई थी। यह संग्रहालय, भोटिया समुदाय के लोगों के इतिहास, संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को दर्शाता है। भोटिया एक जातीय समूह है, जो उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाल की ऊपरी हिमालयी घाटियों में निवास करता है।
मुनस्यारी के इस संग्रहालय में कई कलाकृतियाँ हैं। इनमें घरेलू सामान, लकड़ी के बर्तन और याक की खाल से बने बैग शामिल हैं। यहाँ पीतल का हुक्का भी है। ये वस्तुएँ, हमें लुप्त होती भोटिया संस्कृति की ऐतिहासिक झलक प्रदान करती हैं। इस संग्रहालय के मालिक और क्यूरेटर, शेर सिंह पांगटे ने आसपास के कई  गाँवों से इन कलाकृतियों को इकट्ठा करने में 15 साल से ज़्यादा का समय बिताया है।
इस संग्रहालय में कटोरे, केतली, तश्तरी, खाना पकाने के बर्तन, चम्मच, डिस्पेंसर और वैनिटी बॉक्स जैसी कुछ अनूठी वस्तुएँ भी हैं। ये शांगर पेड़ की मज़बूत लकड़ी से बने हैं। यहाँ आने वाले आगंतुक मिट्टी से बनी कलम और अनूठी तिब्बती ईंट को भी देख सकते हैं। संग्रहालय में सूखे हिमालयी फूल भी प्रदर्शित किए गए हैं। यहाँ देखी जा सकने वाली कुछ विशेष वस्तुओं में भालू के नाखूनों से बने आभूषण और हस्तनिर्मित साबुन तथा ब्रश आदि शामिल हैं।
आइए, अब हम मुनस्यारी में घूमने योग्य कुछ प्रसिद्ध स्थलों के बारे में जानते हैं:
खलिया टॉप: खलिया टॉप, मुनस्यारी के पास उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौजूद एक शानदार बुग्याल है। यहाँ से बर्फ़ से ढकी पंचाचूली पर्वत श्रृंखला का शानदार नज़ारा दिखाई देता है। खलिया टॉप तक जाने के लिए रोडोडेंड्रोन और ओक के पेड़ों से भरे जंगलों से होकर जाना पड़ता है। इस रास्ते में आपको पक्षियों की अनेकों प्रजातियाँ दिखाई देंगी। इसके शीर्ष पर पहुचने के बाद आपको हिमालय का एक मनमोहक दृश्य दिखाई देगा। सूर्यास्त के समय यहाँ से सुंदर गुलाबी और नारंगी रंगों से चमकते हुए पर्वत शिखर दिखाई देते हैं।
बिर्थी फ़ॉल्स (Birthi Falls): बिर्थी फ़ॉल्स, उत्तराखंड के सबसे ऊँचे झरनों में से एक है। ये झरना, 126 मीटर से अधिक नीचे गिरता है। इस झरने तक पहुचने के लिए हरे पौधों और काई से ढकी चट्टानों वाले एक सुंदर रास्ते से होकर गुज़रना पड़ता है। झरने का गिरता हुआ पानी, हवा में एक ठंडी धुंध बनाता है। बिर्थी फ़ॉल्स, शांति से आराम करने और प्रकृति की सुंदरता और शक्ति का आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थान है।
थमरी कुंड: थमरी कुंड का रास्ता, आपको जंगलों और घास के मैदानों से होकर ले जाता है। यहाँ पर आप विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों को देख सकते हैं। यह झील, अपने साफ़ पानी और आसपास के पहाड़ों के दर्शनीय नज़ारों के लिए जानी जाती है। थमरी कुंड भी प्रकृति के गोद में आराम करने और इसकी सुंदरता का आनंद लेने के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान है।
नंदा देवी मंदिर: नंदा देवी मंदिर, इस क्षेत्र की मुख्य देवी ‘माँ नंदा देवी’ को समर्पित है। यह मंदिर, मुनस्यारी में है और इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। यहाँ आने वाले आगंतुक, इस मंदिर की सुंदर वास्तुकला को निहारते ही रह जाते हैं। मंदिर में विभिन्न अवसरों पर पूजा अर्चना भी की जाती है, जिससे आपको स्थानीय परंपराओं की झलक मिलती है।
दरकोट गांव: दरकोट गांव में जाकर आपको यहाँ के लोगों के स्थानीय जीवन और पारंपरिक शिल्प देखने का मौका मिलता है। इस गांव में संकरी गलियां हैं, जिनमें नक्काशी की गई लकड़ी और तराशे गए पत्थर के घर हैं। दरकोट अपने ऊनी शॉल, कालीन और कपड़ों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के स्थानीय कारीगर पीढ़ियों से चले आ रहे कौशल का उपयोग करके इन वस्तुओं को बनाते हैं। यहाँ आने वाले आगंतुक अपनी आँखों के सामने इन स्थानीय कारीगरों को काम करते हुए देख सकते हैं, और सीधे उनके शिल्प खरीद सकते हैं। गांव की संरचना और पारंपरिक इमारतें एक आकर्षक माहौल बनाती हैं।
मेसर कुंड: मेसर कुंड एक झील है, जिसका गहरा ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रहा है। यह झील, नाग देवता से जुड़ी हुई है। कई तीर्थयात्री धार्मिक कारणों से इस झील के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह झील, घने जंगलों और पहाड़ों से घिरी हुई है। मेसर कुंड तक पहुँचने के लिए आपको कठिन इलाकों से होकर गुज़रना पड़ता है। झील की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व इसे एक लोकप्रिय स्थान बनाते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/28rd3t9j
https://tinyurl.com/2d9xcsyd
https://tinyurl.com/235u5qhm
https://tinyurl.com/29zkdvhw

चित्र संदर्भ
1. मुनस्यारी के पास स्थित पंचाचूली चोटियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पंचाचूली पर्वतमाला (mountain range) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मुनस्यारी से दिखाई देने वाले जोहार घाटी के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मुनस्यारी में खलिया बुग्याल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. बिर्थी फ़ॉल्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. नंदा देवी मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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