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भारतीय शास्त्रीय संगीत, जब संगीत की जैज़ (Jazz) शैली के साथ मिश्रित होता है, तब मन को मंत्रमुग्ध कर देने वाला एक विशिष्ठ प्रकार का संगीत उत्पन्न होता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत का, जैज़ शैली के साथ सम्मिश्रण दशकों से लोकप्रिय रहा है। 1970 के दशक की शुरुआत में, एल सुब्रमण्यम ने इंडो-जैज़ (Indo-jazz) सम्मिश्रण की शुरुआत की, जिसे उन्होंने "नियो- फ़्यूजन " (neo-fusion) नाम दिया। यह सम्मिश्रण, खास तौर पर उनके ‘ फ़ैंटसी विदाउट लिमिट्स’ (Fantasy Without Limits-1979), ‘ब्लॉसम’ (Blossom-1981) और ‘स्पैनिश वेव’ (Spanish Wave-1983) जैसे एल्बमों के रिलीज़ होने के बाद बहुत लोकप्रिय हुआ। इंडो जैज़, संगीत की एक शैली है, जिसमें जैज़, शास्त्रीय और भारतीय संगीत को शामिल किया गया है। इसकी संरचना और पैटर्न भारतीय संगीत पर आधारित होते हैं, जिसमें विशिष्ट जैज़ इम्प्रोवाइज़ेशन (jazz improvisation) को शामिल किया जाता है। हालाँकि, इंडो जैज़ शब्द, अपने आप में तुलनात्मक रूप से वर्तमान समय का है, लेकिन इसकी अवधारणा, 1950 के दशक के मध्य की है। जॉन कोल्ट्रेन (John Coltrane), यूसेफ़ लतीफ़ (Yusef Lateef) और अन्य विदेशी संगीतकारों के कार्यों में हमें भारतीय संगीत की झलक देखने को मिलती है। महाविष्णु ऑर्केस्ट्रा (Mahavishnu Orchestra), भारतीय प्रभावों वाले जैज़ समूह का एक प्रारंभिक उदाहरण हो सकता है, क्योंकि उस समय, जॉन मैकलॉफ्लिन (John McLaughlin), श्री चिन्मय के भक्त थे। हालांकि, कुछ का मानना है कि भारतीय संगीत में पहले से ही ऐसे तत्वों का उपयोग किया गया, जो जैज़ शैली के थे। तो आज, आइए, अश्विन बातिश, रंजीत बरोट और अन्य गीतकारों द्वारा जैज़ संगीत के साथ मिश्रित रागों के चलचित्र देखें। इसके अलावा, हम इलेक्ट्रिक गिटार, वायलिन, तबला और बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों के साथ, जैज़ और भारतीय संगीत के सम्मिश्रण के चलचित्र भी देखेंगे। साथ ही, हम जॉर्ज ब्रुक्स(George Brooks) के उन प्रदर्शनों पर भी नज़र डालेंगे, जिसमें उन्होंने भारतीय और जैज़ संगीत के मिश्रण का उपयोग किया है।
संदर्भ:
https://rb.gy/gjb1xw
https://rb.gy/bkz00n
https://rb.gy/8esz6f
https://rb.gy/rfnp16
https://rb.gy/25sq64
https://tinyurl.com/466h9p5c
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