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जौनपुर को इत्र की नगरी कहा जाना कतिपय गलत नहीं प्रतीत होता। कारण है यहाँ पर प्राचीन काल से ही होते आ रहे इत्र का उत्पादन। जौनपुर जिले में इत्र का निर्माण पुष्पों आदि से किया जाता है। यही कारण है कि यहाँ पर विभिन्न प्रकार के पुष्पों की खेती भी की जाती है। जौनपुर के इत्रों में रजनीगंधा का इत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा यहाँ पर इत्र बनाने के लिए जिले में ही कई स्थानों पर रजनीगंधा की खेती भी की जाती है। रजनीगंधा का अर्थ है "रात की खुशबू"। यह फूल पौराणिक और जादुई दोनों मायनों में अपना स्थान विभिन्न ग्रन्थो में बनाये हुए है।
रजनीगंधा फूलों की व्यवस्था में कंदयुक्त फूल लोकप्रिय हैं और उनकी खुशबू का उपयोग दुनिया भर में इत्र का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। रजनीगंधा कहीं-कहीं सुगंधराज नाम से भी जाना जाता है। उर्दू में इसको ‘गुल-ए-शब्बो' के नाम से पहचाना जाता है। अंगरेजी और जर्मन भाषा में रजनीगन्धा को 'ट्यूबेरोजा', फ़्रेंच में 'ट्यूबरेयुज' इतालवी और स्पेनिश में 'ट्यूबेरूजा' कहते हैं। रजनीगंधा का फूल अपनी मनमोहक भीनी-भीनी सुगन्ध, अधिक समय तक ताजा रहने तथा दूर तक परिवहन क्षमता के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
यह पुष्प हर किस्म की साफ़ मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है। विशेषकर यह बलुई-दोमट या दोमट मिट्टी में अधिक उगता है। रजनीगंधा की व्यावसायिक खेती पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, तामिलनाडु और महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश में होती है। जौनपुर में इनकी खेती पूर्ण रूप से इत्र व्यवसाय पर आधारित है। यहाँ पर इनका प्रयोग पूजा पाठ या सजावट में न के बराबर किया जाता है। इसकी खेती से जौनपुर में रोजगार में भी इजाफा हुआ है।
1. http://www.flowersofindia.net/catalog/slides/Rajanigandha.html
2. एरोमेटिक प्लांट्स, बेबी पी स्कारिया
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