यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की विफलता: कारण और उदाहरण

नगरीकरण- शहर व शक्ति
30-07-2024 09:15 AM
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यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की विफलता: कारण और उदाहरण

हर साल हमारे पड़ोसी शहर वाराणसी में सैकड़ों नए व्यवसाय, स्टार्टअप (Startup) और औद्योगिक इकाइयां पंजीकृत होती हैं, जिनमें से कुछ ही जीवित रह पाती हैं। यहां तक कि कुछ बड़े स्टार्टअप, जिनमें बड़ी मात्रा में निवेश होता है, भी निवेशकों को नुकसान पहुंचा देते हैं। व्यवसाय या स्टार्टअप सफल होना और विफल होना जीवन का हिस्सा है और यही बात सबसे बड़े व्यवसायों और कंपनियों पर भी लागू होती है। आइए, इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यूनिकॉर्न (Unicorn) जैसे स्टार्टअप क्यों विफल हो जाते हैं। साथ ही, हम कुछ बड़े भारतीय और विश्व स्तर के स्टार्टअप्स पर भी नज़र डालेंगे जो विफल हो गए हैं और उनके पतन के कारणों का विश्लेषण करेंगे।

बड़े स्टार्टअप क्यों विफल होते हैं?

स्टार्टअप कंपनियों की विफलता दर सामान्यतः बहुत अधिक होती है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि 90% स्टार्टअप कंपनियां विफल हो जाती हैं। बड़े स्टार्टअप को  वास्‍तव में विफल नहीं होना चाहिए लेकिन फिर भी वे विफल हो जाते हैं। इसके कारण निम्नलिखित हैं:

  1. अतिमूल्यांकन (Overvaluation): यूनिकॉर्न कंपनियों जैसे बड़े स्टार्टअप कई  चरणों से  होकर  गुज़रते हैं | इनकी परेशानियां दूसरे चरणों से  प्रारंभ होती है जिसका मुख्‍य  कारण  शुरुआती चरणों में उनका अधिक मूल्यांकन है। निजी  बाज़ार में निवेशकों की भरमार है जो प्रचार में आकर निवेश के लिए तैयार हो जाते हैं और ऐसे स्टार्टअप में भारी मात्रा में पैसा लगाते हैं जिनका कोई सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता है। कई बार, इसकी वजह से यूनिकॉर्न अपने ही खर्चों के वजन के नीचे दब जाते हैं।
  2. अधिग्रहण की बढ़ी हुई लागत (Increased Cost of Acquisition): बहुत सी स्टार्टअप कंपनियाँ बहुत कम मार्जिन पर काम कर रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपने उत्पादों की कीमत  कम रखती हैं। शुरुआती चरणों में, उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। हालाँकि, बाद के चरणों में, कंपनी अपने घाटे की भरपाई के लिए कीमतें बढ़ाने की कोशिश करती है। कंपनियों के पास अभी भी मूल्य निर्धारण की शक्ति नहीं होती है जिस  कारण वे अपने उत्पादों की कीमत कम ही रखती हैं। ऐसी कंपनियाँ ग्राहक अधिग्रहण (अपने उत्‍पादों के लिए नए ग्राहक लाने की प्रक्रिया) की लागत को कम रखने पर निर्भर हो जाती हैं। यदि ग्राहक अधिग्रहण की लागत थोड़ी भी बढ़ जाती है, तो कंपनी डूब जाती है। इसके अलावा, यदि बाजार संतृप्ति के करीब है, तो ग्राहक अधिग्रहण की लागत में वृद्धि होना सामान्य है। इसलिए, ये कंपनियाँ बाद के चरणों में वित्तीय उथल-पुथल से ग्रस्त हो  जाती हैं।
  3. निवेशक मानसिकता में अंतर (Difference in Investor Mindset): बहुत से यूनिकॉर्न इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि वे निजी स्वामित्व वाली कंपनियों से सार्वजनिक स्वामित्व वाली कंपनियों में बदलाव करने में सक्षम नहीं होते हैं। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ निजी स्वामित्व वाली कंपनियों के शेयर सार्वजनिक बनने के बाद गिर गए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि सार्वजनिक निवेशक निजी निवेशकों की तुलना में निवेश का पूरी तरह  और अलग तरीके से मूल्यांकन करते हैं।

सार्वजनिक निवेशक वित्तीय विवरणों में पाए जाने वाले मूल्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं। दूसरी ओर, निजी निवेशक भविष्य पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। स्टार्टअप कंपनियों को संक्रमण पूरा होते ही सार्वजनिक बनना पड़ता है। यदि कंपनी वित्तीय विवरण में संख्याओं के आधार पर अपने मूल्यांकन को सही ठहराने में सक्षम नहीं होती है, तो उसके शेयरों को खुले  बाज़ारों में गिरा दिया जाता है।

भारत के सबसे बड़े विफल स्टार्टअप्स

  1. बायजू (Byju's): 2008 में स्थापित, बायजू को परिचालन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे महत्वपूर्ण पुनर्गठन प्रयास और लागत में कटौती के उपाय किए गए। वित्तीय कुप्रबंधन के कारण बायजू विफल हो गया। खराब फैसले और असंगत वित्तपोषण ने निगम को अपने दायित्वों का भुगतान करने से रोक दिया। कंपनी के मतभेद और नेतृत्व की अस्थिरता ने बायजू के संचालन को नुकसान पहुंचाया। कंपनी पिछले वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व लक्ष्य पूरा करने में असफल रही और $1.2 बिलियन के  कर्ज़ का सामना किया।

  2. शटल (Shuttl): शटल एक मोबाइल ऐप (App)  था जो लोगों को कार्यालय में आवागमन सेवाएं प्रदान करता था। इसने 1200 बसों का संचालन किया था और इसने लगभग 60,000 राउंड पूरे किए। इन्‍होंने अपनी पहली सेवा दिल्ली-एनसीआर में शुरू की और इसने $36 मिलियन की धनराशि जुटाई। महामारी ने शटल के बिजनेस मॉडल (Business Model) को प्रभावित किया, जिससे मांग में अचानक गिरावट आई। कंपनी वर्तमान में अपने व्यवसाय को बेचने के लिए खरीदार खोज रही है। अंतरराष्ट्रीय विस्तार की योजनाओं के बावजूद, कोविड-19 के प्रभाव बहुत गंभीर थे। शटल ने अपनी सेवाओं को बदलने में विफल रहने के कारण आलोचना का सामना किया।
  3. Jabong.com: जबौंग, एक भारतीय ई-कॉमर्स पोर्टल (E-commerce portal) था जो ग्राहकों तक   विभिन्न उत्पादों  को पहुँचाने के लिए एक ऑनलाइन मॉल (online mall) के रूप में कार्य कर रहा था। 2012 में एलेक्सा ट्रैफ़िक (Alexa Traffic ) द्वारा इसे भारत में 44वाँ स्थान और गूगल ज़ाइगाइस्‍ट इंडिया (Google Zeitgeist India) में 10वाँ स्थान मिला। फ़्लिपकार्ट (flipkart) ने 2016 में $70 मिलियन में जबोंग का अधिग्रहण कर लिया और मिंत्रा (Myntra) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए फ़रवरी 2020 में इसे बंद कर दिया। यह निर्णय रणनीतिक है, क्योंकि जबोंग पर ट्रैफ़िक कम हो रहा था और फ़्लिपकार्ट का मार्केटिंग बजट कुशल नहीं था। 2019 में, वॉलमार्ट ने  जबौंग पर लाभहीन निवेश के कारण $290 मिलियन का गैर-नकद हानि शुल्क भरा। 
  4. डेज़ो (Dazo): 2015 में मोनिका रस्तोगी और शशांक शेखर सिंघल ने खाद्य और पेय स्टार्टअप के रूप  में डेज़ो की शुरूआत की, जिसे उन्‍होंने 2016 में बंद कर दिया। इस खाद्य-तकनीक स्टार्टअप के माध्‍यम से वे भोजन ऑर्डर करने की  प्रक्रिया को आसान बनाना चाहते थे। हालाँकि, इसे परिचालन चुनौतियों और कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा, जिसके कारण इसे बंद करना पड़ा। इसकी विफलता के मुख्य कारण एक अस्थिर व्यवसाय मॉडल, अपर्याप्त फंडिंग और स्केलिंग के साथ संघर्ष थे।
  5. दूधवाला (Doodhwala): दूधवाला के माध्‍यम से डेयरी उत्पादों की डोरस्टेप डिलीवरी (Doorstep Delivery) की शुरूआत की, लेकिन इसे संचालन और लाभप्रदता हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कंपनी ने अन्य आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ  ताज़े दूध को सीधे ग्राहकों के घरों तक पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित किया। हालाँकि, इसे पर्याप्त पैसा कमाने और सुचारू रूप से चलने में समस्याएँ आईं। कंपनी को अकुशलता और बिग बास्केट (Big Basket) और ग्रोफ़र्स (Grofers) से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इससे इसकी  बाज़ार स्थिति गिर गई और परिचालन जारी रखना मुश्किल हो गया। परिणामस्वरूप, कंपनी भारत में विफल होने वाले स्टार्टअप में से एक बन गई।

दुनिया के सबसे बड़े विफल स्टार्टअप्स

  1. ज़ूम (Zume): 2015 में स्थापित ज़ूम, एक रोबोटिक  पिज़्ज़ा डिलीवरी स्टार्टअप (robot pizza  ) था | ज़ूम ने लगभग $500 मिलियन जुटाए,  और  पिज़्ज़ा बनाने की प्रक्रिया को स्वचालित करने का प्रयास किया, लेकिन इसे तकनीकी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। फिर इसने अपने व्यवसाय मॉडल को बदलकर एक स्थायी पैकेजिंग निर्माता बनने की कोशिश की। द इन्‍फोर्मेशन  (The Information) के अनुसार, ज़ूम 'दिवालिया' हो  गया था, और पुनर्गठन फ़र्म  शेरवुड पार्टनर्स (Sherwood Partners) को कंपनी की संपत्तियों को बेचने का निर्देश दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, मई में इसने व्यापार करना बंद कर दिया। 
  2. आईआरएल (IRL): सोशल ऐप आईआरएल (Social App IRL) के उपयोगकर्ता वास्तविक जीवन में मौजूद नहीं हैं। आईआरएल के निदेशक मंडल द्वारा की गई आंतरिक जांच में पाया गया कि ऐप के 20 मिलियन उपयोगकर्ताओं में से 95% उपयोगकर्ता 'स्वचालित या बॉट्स' (Automated or bots) थे। 
  3. गोल्डफिंच बायो (Goldfinch Bio): इसके सीईओ (CEO) टोनी जॉनसन (Tony Johnson) और मुख्य वित्तीय एवं परिचालन अधिकारी काइल कुवलंका (Kyle Kuvalanka) ने फियर्स बायोटेक (Fierce Biotech) को बताया कि कंपनी अतिरिक्त वित्तपोषण प्राप्त करने में विफल रही जिसके बाद उन्‍हें अपनी दुकान बंद करनी पड़ी। 
  4. माइंडस्ट्रॉन्ग (Mindstrong): डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य कंपनी सोंडरमाइंड (Sondermind) ने माइंडस्ट्रॉन्ग की प्रौद्योगिकी परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया जबकि कुछ महीने पहले ही साथी मानसिक स्वास्थ्य  फ़र्म ने सौ से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था और अपना मुख्यालय बंद कर दिया था। इस सौदे में माइंडस्ट्रॉन्ग की तकनीक और कंपनी के कुछ तकनीक-संबंधी कर्मचारी शामिल थे। डिजिटल हेल्थ  बिज़निस एंड टेक्नोलॉजी की रिपोर्ट (Digital Health Business and Technology Report) के अनुसार, सोंडरमाइंड में लगभग 20 कर्मचारियों को नौकरी मिलेगी। माइंडस्ट्रॉन्ग के बाकी कर्मचारियों ने परिचालन बंद कर दिया।
  5. फ़्रेशली (Freshly): फ़्रेशली ने आर्थिक चुनौतियों के कारण अपने सीधे-से-उपभोक्ता (D2C) भोजन वितरण को बंद कर दिया क्योंकि 2021 में कोविड के बाद उपभोक्ता अपने घरों से बाहर निकलने लगे और 2022 में आर्थिक परिस्थितियाँ बिगड़ने के साथ, कई उपभोक्ताओं ने अपनी खुदरा सदस्यताओं को कम कर दिया, जिस  कारण कंपनी के प्रदर्शन में गिरावट आई।

इस लेख में हमने देखा कि बड़े स्टार्टअप्स की विफलता के पीछे के कारण कई और अधिक जटिल हो सकते हैं। इन निष्कर्षों से हमें सीखने और उन गलतियों से बचने की आवश्यकता है जो अगली पीढ़ी के उद्यमियों को यह समझाती हैं कि सफलता की राह पर विश्वासपूर्वक अग्रसर होना होता है।

 

संदर्भ :

https://rb.gy/m1n5w1

https://rb.gy/9jni8e

https://rb.gy/ynk9kf

https://rb.gy/091ow4

 

चित्र संदर्भ
1. एक परेशान व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
2. समूह में बैठे युवाओं को दर्शाता चित्रण (Flickr)
3. बायजू के सी ई ओ, बायजू रवींद्रन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. शटल की गाड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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