जौनपुर में मेंढकों की पारिस्थितिक भूमिका और संरक्षण की आवश्यकता

मछलियाँ व उभयचर
15-07-2024 10:09 AM
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जौनपुर में मेंढकों की पारिस्थितिक भूमिका और संरक्षण की आवश्यकता

मेंढकों की आबादी दुनिया भर में अभूतपूर्व दर से घट रही है, इसके साथ ही दुनिया की लगभग एक तिहाई उभयचर प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। 1980 से अब तक 200 प्रजातियाँ पूरी तरह विलुप्त हो चुकी हैं। उभयचर प्राणियों को कई पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें प्रदूषण, संक्रामक रोग, आवासीय क्षेत्र की हानि, आक्रामक प्रजातियाँ, जलवायु परिवर्तन और पालतू जानवरों तथा खाद्य व्यापार के लिए अत्यधिक शिकार शामिल है। इन उभयचर प्रजातियों में शामिल मेंढक पारिस्थितिकी बैरोमीटर के रूप में कार्य करते हैं। इनकी त्वचा पारगम्य होती है, जो इन्हें पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील बनाती है। इस प्रकार मेंढकों का स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को दर्शाता है। स्वस्थ मेंढकों की बहुतायत का  अर्थ  है कि पारिस्थितिकी तंत्र भी स्वस्थ है। इसके अतिरिक्त, उनके टैडपोल (tadpole) हमारे पीने के पानी को भी फ़िल्टर करते हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि मेंढक हमारे जौनपुर शहर और पूरे भारत के लिए पारिस्थितिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण हैं। हम उन कारणों को  समझेंगे जो इस   जीव को  पर्यावरण के लिए इतना महत्वपूर्ण  बनाते हैं और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता क्यों है?


मेंढक: पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा

खाद्य जाल का एक अभिन्न अंग

मेंढक खाद्य जाल का एक अभिन्न अंग हैं। अपने पूरे जीवनचक्र में, मेंढकों का खाद्य श्रृंखला में शिकारी और शिकार दोनों ही रूप में महत्वपूर्ण स्थान होता है। मेंढकों के टैडपोल शैवाल खाकर जलमार्गों को साफ रखते हैं। वयस्क मेंढक बड़ी मात्रा में कीड़े खाते हैं, जिनमें रोग वाहक कीड़े भी शामिल हैं जो मनुष्यों को घातक बीमारियाँ (जैसे मच्छर/मलेरिया)  दे सकते हैं। जब मेंढक अपने भोजन को निगलता है, तो वह पलकें झपकाता है, जिससे उसकी आंखें मुंह के ऊपर की ओर दब जाती हैं, जिससे भोजन को गले से नीचे धकेलने में मदद मिलती है। मेंढक ड्रैगनफ़्लाई (Dragonfly), मछली, साँप, पक्षी, भृंग, सेंटीपीड (Centipede) और यहाँ तक कि बंदरों सहित कई शिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत के रूप में भी कार्य करते हैं। इस प्रकार, मेंढकों की आबादी का विलुप्त होना एक जटिल खाद्य जाल को बाधित करता है, और इसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी तंत्र में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

संकेतक प्रजाति

मेंढकों को जीवित रहने के लिए उपयुक्त भूमि और मीठे पानी वाले आवास की आवश्यकता होती है। उनकी त्वचा भी अत्यधिक पारगम्य होती है जो बैक्टीरिया, रसायनों और अन्य विषाक्त पदार्थों को आसानी से अवशोषित कर सकती है। ये गुण उन्हें पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं और इसी लिए  ये हमारे पर्यावरण के स्वास्थ्य के महान संकेतक हैं।


मेंढक और वैज्ञानिक शोध : अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका

वैज्ञानिकों ने मेंढकों को प्रायोगिक जीव के रूप में उपयोग किया है। इनका इस्तेमाल कई तरह के जानवरों में जैविक घटनाओं को समझने के लिए किया गया, जिसमें पक्षियों, स्तनधारियों और सरीसृपों के प्रजनन, विकास और वृद्धि शामिल है।  फिज़ियोलॉजी  (Physiology) और मेडिसिन (Medicine) में किए गए शोध जिनके लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था, में लगभग 10 प्रतिशत मेंढकों का उपयोग किया गया था। मेंढकों की त्वचा से निकलने वाला स्राव फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals) के रूप में उपयोग किया जाता है जो मानव स्वास्थ्य  के लिए लाभदायक होता है। उदाहरण के लिए, दर्द निवारक एपिबेटिडाइन (Epibatidine), मॉर्फिन (Morphine) की तुलना में 200 गुना अधिक शक्तिशाली होता है और इसे  ज़हरीले डार्ट मेंढकों की प्रजाति से एकत्रित किया जाता है। मेंढक के  ज़हर अलग-अलग तरह  के होते हैं, जो  बताते हैं कि उनके औषधीय गुणों और चिकित्सीय दवाओं में संभावित योगदान के लिए उनका अध्ययन किया जाना चाहिए।


मेंढकों का अस्तित्व संकट में : खतरे और चुनौतियाँ

मेंढक लगभग 300 मिलियन वर्षों से अस्तित्व में हैं, लेकिन वे बीमारी, प्रदूषण, आवास की कमी, आक्रामक प्रजातियों और जलवायु परिवर्तन से खतरे में हैं। 1950 के दशक से उनकी आबादी में नाटकीय रूप से गिरावट आई है, और ऐसा माना जाता है कि 1980 के दशक से 120 से अधिक प्रजातियाँ   विलुप्त हो चुकी हैं। दुनिया भर में मेंढकों की लगभग 6,000 प्रजातियाँ हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, मेंढक स्वरतंत्री वाले पहले स्थलीय प्राणी थे। मेंढक सप्ताह में एक बार अपनी पूरी त्वचा बदलते हैं और उतारने के बाद मृत त्वचा को खा लेते हैं।

मेंढक संरक्षण: आपका योगदान

यदि आपके पास पर्याप्त  ज़मीन है तो आप अपने आसपास भी मेंढकों के लिए अनुकूल आवास बना सकते हैं। आप इनके लिए एक छायादार क्षेत्र में उथला तालाब बना सकते हैं और आसपास के क्षेत्र को घने पौधों से ढक   सकते हैं ताकि उन्हें गर्म और ठंडा दोनों पानी मिल सके। ध्यान रहे कि तालाब को पर्याप्त धूप भी मिले। यह शैवाल और अन्य पौधों को बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो टैडपोल के लिए भोजन प्रदान करते हैं। सुनिश्चित करें कि आपके तालाब के किनारे हल्की ढलान बनी रहे। इससे मेंढक आसानी से बाहर निकल सकते हैं। पत्थरों और लकड़ियों को जोड़ने से वयस्क मेंढकों के लिए आश्रय मिलता है।


निष्कर्ष

मेंढकों का पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। वे खाद्य जाल का हिस्सा होने के साथ-साथ संकेतक प्रजाति के रूप में भी कार्य करते हैं, जो पर्यावरण के स्वास्थ्य का संकेत देते हैं। वैज्ञानिक शोध में उनका उपयोग और औषधीय गुण भी उन्हें महत्वपूर्ण बनाते हैं। लेकिन, मानव गतिविधियों और पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण मेंढक संकट में हैं। हमें उनके संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए। एक मेंढक-मैत्रीपूर्ण पिछवाड़ा बनाना एक सरल  और प्रभावी तरीका है,  जिससे हम मेंढकों के लिए सुरक्षित और अनुकूल आवास प्रदान कर सकते हैं। मेंढकों का संरक्षण करना न केवल उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक है, बल्कि हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।

संदर्भ :

https://rb.gy/jfw6fh

https://rb.gy/bcrjz6

https://rb.gy/qopq0t


चित्र संदर्भ

1. एक कीट को खाते मेंढक को दर्शाता चित्रण (pxhere)

2. मेंढक को खा रहे सांप को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

3. पानी में तैरते मेंढक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

4. प्रयोगशाला में मेंढक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

5. एक मृत मेंढक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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