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हम सभी का बचपन बारिश में कागज की नाव को तैराते हुए या फिर कक्षाओं में एक दूसरे पर कागज के विमानों से भयानक हमले करते हुए बीता है। अपनी जिन गहरी भावनाओं को हम अपने किसी खास को भी बताने से झिझकते हैं, उसी बात को हम अपनी कागज की डायरी में आँख मूंदे हुए लिख देते हैं। कई लोग तो ईश्वर के बाद सबसे अधिक भरोसा कागज की छोटी सी डायरी पर ही करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, एक विशालकाय पेड़ से लेकर आपकी छोटी सी डायरी तक एक कागज की यात्रा कितनी रोमाचक होती है?चलिए जानते हैं:
कागज का निर्माण फाइबर (fiber) के बहुत बारीक टुकड़ों को आपस में जोड़कर किया जाता है। फाइबर को उन्नत मिल में भी बनाया सकता है या इसे हाथ से भी बनाया जा सकता है।
फाइबर को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- फैब्रिक रैग्स (fabric rags)
- पौधों से सेल्यूलोज फाइबर (cellulose fiber)
- पेड़ (सबसे महत्वपूर्ण स्रोत)
परंपरागत रूप से, उच्च गुणवत्ता वाले कागज बनाने के लिए फैब्रिक यानी कपड़े का उपयोग किया जाता है। कपास और लिनन फाइबर (cotton and linen fiber) से विशेष उपयोग के लिए उत्कृष्ट कागजात (जैसे कि शादी के निमंत्रण और कलम और स्याही स्केच बुक) आदि का उत्पादन किया जाता है।
कागज बनाना एक अपेक्षाकृत सरल प्रक्रिया है:
इस प्रक्रिया के दौरान, फाइबर कभी भी पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं। जब कागज संयुक्त और नरम हो जाता है, तो वे कागज के भीतर एक इंटरवॉवन पैटर्न (interwoven pattern) का उत्पादन करते हैं। आधुनिक समय की पेपरमैकिंग प्रक्रियाएं (papermaking processes) भी हमारी पूर्वजों की पेपरमैकिंग प्रक्रिया का थोड़ा सा विकसित रूप ही हैं। क्या आप जानते हैं कि लगभग 30% कागज़ पुनर्चक्रित कागज़ (recycled paper) से बनाया जाता है? कागज बनाने हेतु लकड़ी मुख्य कच्चा माल होती है, जो कागज़ में इस्तेमाल होने वाले गूदे का 90% से ज़्यादा हिस्सा बनाती है। इसके अलावा खासकर विकासशील देशों में कागज बनाने हेतु गैर-लकड़ी सामग्री, जैसे कि खोई (bagasse), अनाज के तिनके, बांस, एस्पार्टो, सिसल, सन और ज्वार, का भी उपयोग किया जाता है। हमारे जौनपुर में भी काशिका पेपर मिल प्राइवेट लिमिटेड (Kaashika Paper Mill Private Limited) और सतहरिया में विंध्य वासिनी पैकेजिंग (Vindhya Vasini Packaging) जैसी कुछ पेपर मिलें हैं।
कागज बनाते समय, सही कच्चे माल का चयन करना ज़रूरी है। यह चुनाव उत्पादित कागज की गुणवत्ता, लागत और उपलब्धता को प्रभावित करता है।
आधुनिक समय में जैसे-जैसे कागज की मांग बढ़ रही है, वैसे-वैसे पल्पिंग उद्योग (pulping industry) में भी नवाचारों से नए और ज़्यादा टिकाऊ कच्चे माल के विकल्प सामने आ रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में हर साल 27,000 पेड़ों के बराबर टॉयलेट पेपर (toilet paper) को टॉयलेट में बहा दिया जाता है। इसके अलावा अपने छोटे रेशों के कारण टिशू पेपर (tissue paper) को भी रिसाइकिल (recycle) नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमें हर बार डिस्पोजेबल टिशू (disposable tissue) खरीदने के बजाय, बार-बार इस्तेमाल किए जा सकने वाले रुमाल का इस्तेमाल करना चाहिए। लगातार टिशू खरीदने की तुलना में रुमाल को धोना और दोबारा इस्तेमाल करना पर्यावरण के लिए लाभदायक साबित होता है।
हर साल, उत्पाद पैकेजिंग और अन्य कागज के कचरे के कारण लगभग 1.4 बिलियन पेड़ लैंडफिल में समा जाते हैं। कागज के लिए हर साल काटे जाने वाले पेड़ों की सही संख्या का सटीक अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि कागज बनाने हेतु हर साल लगभग 4 बिलियन से 8 बिलियन पेड़ों की बलि दे दी जाती है। लकड़ी के उत्पादों की मांग से प्रेरित लॉगिंग उद्योग की आपूर्ति हेतु हर सेकंड, लगभग एक फुटबॉल मैदान के बराबर जंगल नष्ट हो जाते है।
संदर्भ
चित्र संदर्भ
1. पेपर मिल का निरिक्षण करते बच्चों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. कटे हुए पेड़ों को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik)
3. पेपरमैकिंग प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
4. फाइबर की एक शीट जो स्क्रीन के साथ तरल निलंबन से एकत्र की गई थी। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. टिशू पेपर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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