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शतरंज, लूडो या सांप-सीढ़ी सहित सभी ऐसे खेल, जिन्हें बैठकर खेला जा सकता है, वे सभी खेल आज ऑनलाइन (Online) भी उपलब्ध हो गए हैं। इन खेलों को ऑनलाइन भी उसी आनंद के साथ खेला जा सकता है, जितने आनंद से आप इन्हें ऑफलाइन (Offline) यानी चार लोगों के साथ समूह में बैठकर खेलते हैं। लेकिन इन सभी में “ताश के पत्तों का खेल” आज भी उन चुनिंदा खेलों में से एक बना हुआ है, जिसे खेलने का असली मज़ा तभी है, जब इसे असली कागज़ के पत्तों को हाथों में उठाकर और आमने-सामने बैठकर खेला जाए।
चलिए आज इसी ऐतिहासिक खेल के रोमांचक सफर पर चलते हैं, जिसे खेलने में यह पता ही नहीं चलता कि आपका समय और आपका पैसा आपके हाथों से कब फिसल गया?
माना जाता है कि ताश के खेल में प्रयुक्त होने वाले, ताश के पत्तों की उत्पत्ति नौवीं शताब्दी के दौरान एशिया में हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे ताश के पत्ते पश्चिम की ओर यूरोप में भी फैल गए। आज हम जिस आधुनिक डेक “Modern Deck” (इस संदर्भ में, "डेक" का मतलब कार्ड गेम में इस्तेमाल किए जाने वाले ताश के पत्तों का पूरा सेट है।) का उपयोग करते हैं, उसकी उत्पत्ति फ्रांस में हुई। ताश के पत्तों का सबसे पहला उल्लेख 1377 में फ़्रांस में जारी किये गए एक अध्यादेश में मिलता है, जिसमें कार्यदिवसों पर ताश के खेल पर प्रतिबंध लगाया गया था।
15वीं शताब्दी में, जर्मन कार्ड-निर्माताओं ने इतालवी लोगों पर आधारित सूट प्रतीकों (Suit Symbols) के साथ प्रयोग किया। आखिरकार, उन्होंने ताश के पत्तों पर बलूत, पत्ते, दिल और घंटियों (हॉक-बेल) जैसे प्रतीकों को छाप दिया, जिनका उपयोग आज भी किया जाता है। 1480 के आसपास, फ्रांसीसी लोगों ने भी ताश के पत्तों का उत्पादन शुरू किया, जिसमें जर्मन आकृतियों को सरल बनाने के लिए स्टेंसिल का उपयोग किया।
अधिकांश लोग फ्रांसीसी ताश के पत्तों से खेलना पसंद करते थे, क्योंकि उन्हें बनाना आसान था तथा यूरोप के अन्य हिस्सों में बने ताश के पत्तों की तुलना में उनका निर्माण भी सस्ता पड़ता था।
प्रिंटिंग प्रेस से पहले, फ्रांसीसी कार्ड स्टेंसिल या वुडकट (Stencil Or Woodcut System) प्रणाली का उपयोग करके हाथ से बनाए जाते थे। पुनर्जागरण के दौरान, मार्सिले (Marseille), बोर्डो और ट्रॉयस (Bordeaux And Troyes) जैसे कई फ्रांसीसी शहरों में कार्ड बनाए जाते थे। 1650 और 1675 के बीच अकेले ल्योन (lyon) में 200 से अधिक कार्ड निर्माता थे। हालाँकि, आधुनिक ताश के पत्तों की जड़ें 16वीं शताब्दी के फ्रांस के एक शहर रूएन (Rouen) से जुड़ी हुई हैं, जहाँ के पियरे मारेचल (Pierre Maréchal) द्वारा 1567 के आसपास बनाया गया एक डेक आधुनिक कार्डों के लिए एक मॉडल बन गया।
फ्रांसीसी डेक में चार सूट होते थे:
♥ - कोइर (दिल)
♠ - पिक (हुकुम)
♦ - कैरेउ (हीरा)
♣ - ट्रेफ़ल (क्लब)
इतिहासकारों का मानना है कि ये सूट मध्ययुगीन समाज के चार वर्गों (दरबार या पादरी, सेना, व्यापारिक वर्ग और किसान वर्ग) का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाद में अंग्रेजी कार्ड निर्माताओं ने भी फ्रांसीसी सूट प्रतीकों को ही अपनाया लेकिन उनके नाम बदल दिए। उदाहरण के लिए, "स्पेड (Spade)" संभवतः स्पेनिश शब्द "एस्पाडास (Espadas)" से आया है, जिसका अर्थ तलवार होता है। "डायमंड" भी सिक्कों के पुराने सूट से संबंधित है, जो धन से जुड़ा था।
1400 के दशक में ब्रिटेन द्वारा भी अपने खुद के कार्ड नहीं बनाए जा रहे थे। वे उन्हें फ्रांस (खास तौर पर रूएन और एंटवर्प जैसी जगहों) से कार्ड यानी ताश के पत्तों को खरीदते थे। 1500 के आसपास, ब्रिटेन ने थोड़े-बहुत बदलाव करके फ्रांसीसी डिज़ाइन के आधार पर अपने खुद के कार्ड बनाना शुरू किया। समय के साथ ताश के पत्तों का अंग्रेजी डिज़ाइन सरल होता गया, जिसमें तस्वीरें बड़ी और विवरण कम होते थे। 1800 के दशक में, कार्ड डबल-हेडेड “Double-Headed” (दोनों तरफ से पढ़े जा सकने वाले) हो गए और कोनों में मूल्य दिखाने के लिए छोटी संख्याएँ (जैसे 7 या रानी) को शामिल कर दिया गया। यह अंग्रेजी पैटर्न डेक 1900 के दशक तक बहुत लोकप्रिय हो गया। 19वीं शताब्दी के दौरान, अंग्रेजी पैटर्न पूरी दुनिया में फैल गया और आज लगभग हर जगह इसका ही उपयोग किया जाता है, यहां तक कि उन देशों में भी जहां पारंपरिक पैटर्न और अन्य सूट लोकप्रिय हैं। अमेरिकियों ने अंग्रेजी कार्ड को थोड़ा चौड़ा कर दिया।
डे ला रू (De La Rue) नामक एक ब्रिटिश कंपनी ने 19वीं सदी में ताश के पत्तों के उत्पादन में क्रांति ला दी। कंपनी के संस्थापक थॉमस डे ला रू को "अंग्रेजी ताश का जनक" माना जाता है। 1831 में, उन्होंने लेटर-प्रेस प्रिंटिंग और विनिर्माण (Letterpress Printing And Manufacturing) प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण सुधार पेश किए, जिसमें जल्दी सूखने वाली रंगीन स्याही, उन्नत ग्लेज़िंग तकनीक (Glazing Techniques) और एनामेल्ड पेपर (Enamelled Paper) का उपयोग शामिल था। डे ला रू कंपनी के संस्थापक थॉमस डे ला रू (Thomas De La Rue) का जन्म 1793 में ग्वेर्नसे (Guernsey) में हुआ था। उन्होंने अपना करियर स्ट्रॉ हैट (Straw Hat) निर्माता के रूप में शुरू किया था। बाद में वे लंदन चले गए और बुकबाइंडिंग, चमड़े पर एम्बॉसिंग और कागज़ निर्माण में क्रांति लाने वाली शख्सियत बने।
डे ला रू ने लेटर-प्रेस प्रिंटिंग के जरिये ताश के पत्तों के उत्पादन की शुरुआत की, जिसका पेटेंट उन्होंने 1831 में कराया गया और 1832 में अपना पहला ताश का पत्ता बनाया। वे आधुनिक अंग्रेजी ताश के पत्तों के आविष्कारक के रूप में जाने गए। डे ला रू ने एक प्रसिद्ध ग्राफिक डिजाइनर ओवेन जोन्स (Owen Jones) को नियुक्त किया, जिन्होंने कंपनी के लिए 173 बैक डिज़ाइन बनाए। इस फर्म ने रेलवे टिकट, विजिटिंग कार्ड (Visiting Cards) और राजकोषीय, अंतर्देशीय राजस्व और डाक टिकट भी छापे। डे ला रू ने 1986 में अपना प्लेइंग कार्ड व्यवसाय (Playing Card Business) जॉन वाडिंगटन (John Waddington) को बेच दिया। डे ला रू कंपनी आज भी उच्च सुरक्षा मुद्रण और भुगतान प्रणाली प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनी हुई है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5n84tda6
https://tinyurl.com/yeywrn6a
https://tinyurl.com/3vbhckz8
https://tinyurl.com/4zhxyxn3
चित्र संदर्भ
1. ताश के पत्तों के विकास क्रम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ताश के पत्तों के अंग्रेजी पैटर्न को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. जर्मन, फ्रेंच और स्पेनिश पत्तों के अंतर दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. विंटेज फ्रेंच प्लेइंग कार्ड्स को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कुछ पुराने ताश के पत्तों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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