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क्रिकेट का भी अपना एक अनोखा एवं लंबा इतिहास रहा है। पांच दिवसीय टेस्ट मैच से लेकर 7 घंटे के एकदिवसीय मैच और 3 घंटे के 20-20 मैच तक, समय के साथ क्रिकेट के प्रारूप में परिवर्तन होते रहे हैं। समय की मांग के अनुरूप क्रिकेट के प्रारूपों के साथ-साथ खेलने के समय में भी परिवर्तन आया। शुरुआत में जहां क्रिकेट केवल दिनके दौरान खेला जाता था, 1952 के बाद से इसे दूधिया रोशनी में दिन/रात मैच के रूप में खेला जाने लगा।
आइए, आज के लेख में जानते हैं कि पहली बार फ्लड लाइट में क्रिकेट मैच कब खेला गया था और उसकी शुरुआत कैसे हुई थी। इसके साथ ही यह भी जानते हैं कि भारत में पहली बार फ्लड लाइट में मैच का आयोजन कब और किन देशों के बीच किया गया था। हमारे उत्तर प्रदेश के फ्लड लाइट से युक्त दो स्टेडियमों में लखनऊ के 'के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम' और कानपुर के 'ग्रीन पार्क स्टेडियम' के विषय में भी जानते हैं।
दूधिया रोशनी (floodlit) में पहला क्रिकेट मैच 1952 में 'आर्सेनल फुटबॉल क्लब' (Arsenal Football Club) और 'मिडलसेक्स काउंटी क्रिकेट क्लब' (Middlesex County Cricket Club) के बीच खेला गया था। वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट (World Series Cricket (WSC)) के प्रबल समर्थक केरी पैकर (Kerry Packer) द्वारा शुरू किए गए 'सुपरटेस्ट' (Supertest) प्रयोग के विफल हो जाने के बाद, फ्लडलाइट मैचों की मेजबानी का विचार सामने आया। उन्होंने 'विश्व सीरीज क्रिकेट' में खेलने के लिए दुनिया के 50 प्रमुख क्रिकेटरों को अनुबंधित किया, जिसे ICC ने मंजूरी नहीं दी थी। हालांकि WSC में क्रिकेट का स्तर निस्संदेह ऊंचा था, लेकिन सुपरटेस्ट में ज्यादा भीड़ नहीं जुट पाई। इसे एक आलोचनात्मक और व्यावसायिक विफलता दोनों माना गया। इस विफलता से प्रेरित होकर पैकर ने सुपरटेस्ट से 'फ्लडलाइट' एक दिवसीय मैचों की ओर कदम बढ़ाया, जिसके परिणाम 1978 में, ऑस्ट्रेलिया (Australia) और वेस्ट इंडीज (West Indies) के बीच दूधिया रोशनी में WSC मैच आयोजित किया गया जिसमें 44,377 दर्शकों ने भाग लिया और दिन/रात क्रिकेट मैचों का विचार रातोंरात सफल हो गया।
दूधिया रोशनी में पहला अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच 1979 में, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया। जबकि भारत ने पहली बार दूधिया रोशनी में 1984 में दिन/रात एकदिवसीय मैच की मेजबानी की। ऑस्ट्रेलिया के 1984-85 के भारत दौरे का पहला मैच इस ऐतिहासिक अवसर के लिए निर्धारित किया गया था। दिल्ली के फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने 220 रनों का लक्ष्य रखा था। लेकिन भारतीय टीम ने जल्दी ही अपने सारे विकेट गवां दिए और ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच को 46 रनों से जीत लिया था।
हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में भी दो ऐसे स्टेडियम हैं, जो दूधिया रोशनी की सुविधा प्रदान करते हैं। राजधानी लखनऊ में के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम और कानपुर में ग्रीन पार्क स्टेडियम (Green Park Stadium) दूधिया रोशनी की सुविधा से युक्त स्टेडियम हैं। के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम, जिसे पहले 'सेंट्रल स्पोर्ट्स स्टेडियम' (Central Sports Stadium) के नाम से जाना जाता था, एक बहुउद्देश्यीय स्टेडियम है। इस स्टेडियम का नाम प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी के.डी. सिंह के नाम पर रखा गया है। इस स्टेडियम की स्थापना 1957 में हुई थी और यह शहर के मध्य में, लखनऊ के व्यस्त हजरतगंज इलाके के पास स्थित है। इसमें 25,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
यह दिन रात के मैचों के लिए फ्लडलाइट की सुविधा प्रदान करता है। यह स्टेडियम उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम का घरेलू मैदान भी है। इस स्टेडियम में नियमित रूप से घरेलू प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। यहां कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मैदानी हॉकी मैच खेले जा चुके हैं, अब स्टेडियम का उपयोग घरेलू और कुछ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के लिए भी किया जाता है। स्टेडियम का उपयोग कभी-कभी एसोसिएशन फुटबॉल खेलों के लिए भी किया जाता है।
कानपुर में स्थित ग्रीन पार्क स्टेडियम निश्चित रूप से भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित क्रिकेट स्टेडियम में से एक है, और यह दुनिया के उन कुछ क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है जिसने क्रिकेट इतिहास के कुछ सबसे यादगार और रिकॉर्ड तोड़ने वाले मैच देखे हैं। ग्रीन पार्क स्टेडियम का स्वतंत्रता-पूर्व युग का एक समृद्ध और आकर्षक इतिहास है। यह मूल रूप से कानपुर में यूरोपीय समुदाय के लिए एक क्लब मैदान था, और इसका उपयोग हॉकी, फुटबॉल और टेनिस जैसे विभिन्न खेल आयोजनों की मेजबानी के लिए किया जाता था।
स्टेडियम में पहला क्रिकेट मैच 1945 में उत्तर प्रदेश और संयुक्त प्रांत गवर्नर (XI United Provinces Governor's XI) के बीच खेला गया था। इस स्टेडियम का नाम सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर (Sir Spencer Harcourt Butler) के नाम पर रखा गया था, जिन्हें उनकी हरे रंग की कार और बागवानी के प्रति उनके प्रेम के कारण स्थानीय लोग प्यार से 'मैडम ग्रीन' (Madam Green) कहते थे।
यह स्टेडियम क्रिकेट इतिहास के कुछ सबसे शानदार और रोमांचक क्षणों का गवाह रहा है, जैसे:
- 1979 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में गावस्कर का सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर।
- भारत में 1981 में भारत और इंग्लैंड के बीच पहला वनडे।
- 1999 में न्यूजीलैंड के खिलाफ द्रविड़ और लक्ष्मण द्वारा टेस्ट में सबसे बड़ी साझेदारी।
- 2016 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच भारत में 500वां टेस्ट।
- 2017 में टी20 में श्रीलंका के खिलाफ रोहित शर्मा का सबसे तेज शतक।
ग्रीन पार्क स्टेडियम अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ भारत के सबसे आधुनिक और अच्छी तरह से सुसज्जित क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है। इसमें 32,000 लोगों के बैठने की क्षमता है और यह फ्लडलाइट, इलेक्ट्रॉनिक स्कोरबोर्ड, डिजिटल स्क्रीन और हाई-डेफिनिशन कैमरों से सुसज्जित है। इसमें विश्व स्तरीय पिच भी है, जो अपनी उछाल और गति के लिए जानी जाती है और क्रिकेटरों के लिए बल्लेबाजी का स्वर्ग मानी जाती है। स्टेडियम का प्रबंधन उत्तर प्रदेश खेल प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdrm6hr2
https://tinyurl.com/ud2w92w7
https://tinyurl.com/2p9hshkd
https://tinyurl.com/ycyj6dbz
चित्र संदर्भ
1. फ्लड लाइट में खेले जा रहे क्रिकेट मैच दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. कानपुर स्टेडियम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम के वृहंगम दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कानपुर में स्थित ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेले जा रहे आईपीएल मैच को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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