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अंग्रेज़ी भाषा में लिखने और अपनी रचनाएं प्रकाशित करने वाली, भारत की सबसे पहली महिला लेखिका, फ्रांसीसी भाषा में भी पारंगत थीं। और वास्तव में, उन्होंने फ्रांसीसी भाषा में कविताएं भी लिखी थी।वह लेखिका तोरू दत्त थी। इसलिए, हमें उनके फ्रांसीसी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में, उनके अग्रणी कार्यों को पहचानना चाहिए। आइए जानते हैं।
‘एंशिएंट बैलाड्स एंड लेजेंड्स ऑफ हिंदुस्तान(Ancient Ballads and Legends of Hindustan)’ (1882) तोरू दत्त की कविताओं का एक संग्रह है। उनकी मृत्यु के बाद संकलित, और लंदन(London) में प्रकाशित, यह पुस्तक भारतीय इतिहास और बंगाली साहित्य में, एक अग्रणी व्यक्ति की कला का एक अमूल्य काम है। कलकत्ता में बंगाली ईसाइयों के एक परिवार में जन्मी तोरू दत्त का पालन-पोषण अंग्रेज़ी और भारतीय संस्कृतियों के चौराहे पर हुआ था। अपनी मूल बंगाली भाषा के अलावा, वह एक युवा लड़की के रूप में अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी और संस्कृत भाषाओं में भी पारंगत हो गईं। और अंततः,उन्होंने प्रत्येक भाषा में उपन्यास और कविताएं लिखीं। अपने सीमित कार्य के बावजूद, एक अग्रणी लेखिका के रूप में दत्त की विरासत भारत और दुनिया भर में कायम है।
तुकबंदी वाली अपनी अंग्रेज़ी कविताओं में,कवि तोरु दत्त प्राचीन भारत की कुछ सबसे पुरानी और महाभारत व रामायण जैसी पवित्र कहानियां प्रस्तुत करती है। इन कविताओं के साथ-साथ, दत्त के बंगाली लोककथाओं के संस्करण – “जोघध्या उमा” – और यूरोप में उनके प्रवास के दौरान लिखी गई कविताएं भी काफ़ी प्रसिद्ध हैं।
1876 में, बिना किसी प्रस्तावना या परिचय के,‘ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स’ (A Sheaf Gleaned in French Fields) प्रकाशित हुई थी। दत्त द्वारा इसकी 165 कविताओं का, फ्रांसीसी भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया है। सबसे पहले इस संग्रह ने थोड़ा ही ध्यान आकर्षित किया था। हालांकि, अंततः यह 1877 में एडमंड गोसे(Edmund Gosse) के ध्यान में आया, जिन्होंने उस वर्ष एक्जामिनर(Examiner) में इसकी अनुकूल समीक्षा की। इस संग्रह का 1878 में दूसरा भारतीय संस्करण और 1880 में लंदन के केगन पॉल(Kegan Paul) द्वारा तीसरा संस्करण प्रकाशित किया गया था। लेकिन, दत्त इनमें से कोई भी संस्करण देखने के लिए, जीवित नहीं रही। तपेदिक के कारण महज़ 21 वर्ष की उम्र में ही, उनकी मृत्यू हो गई। ‘ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स’ के दूसरे संस्करण में 44 नई कविताएं, तोरू दत्त और उनकी बहन का एक चित्र और उनके पिता की एक प्रस्तावना जोड़ी गई थी।
आइए अब कवि के बारे में जानते हैं। तरुलत्ता दत्ता, जो ‘तोरू दत्त’ के नाम से लोकप्रिय है, ब्रिटिश भारत की एक भारतीय बंगाली कवि और अनुवादक थी। वह हेनरी लुईस विवियन डेरोज़ियो(Henry Louis Vivian Derozio), मनमोहन घोष और सरोजिनी नायडू के साथ इंडो-एंग्लियन साहित्य(Indo-Anglian literature) की संस्थापक हस्तियों में से एक हैं।
दत्त का जन्म 1856 में, बंगाल प्रांत के प्रसिद्ध रामबगन दत्त परिवार में हुआ था। गोविन चंद्र दत्त और क्षेत्रमोनी मित्तर की सबसे छोटी संतान के रूप में, तोरू लेखकों के परिवार से संबंधित थी। उनके पिता गोविंद दत्त, जो भारत सरकार के कर्मचारी थे, एक भाषाविद् थे और उन्होंने कुछ कविताएं भी प्रकाशित की थी। उनकी मां, क्षेत्रमोनी मित्तर, हिंदू पौराणिक कथाओं को बहुत पसंद करती थीं और उन्होंने ‘द ब्लड ऑफ क्राइस्ट(The Blood of Christ)’ इस पुस्तक का बंगाली में अनुवाद किया था। और, उनके पिता की सरकारी नौकरी के कारण, तोरू का परिवार अक्सर विभिन्न स्थानों की यात्रा करता था।
उस समय, महिलाओं को पर्दे के पीछे ही रहने के लिए कहा जाता था। लेकिन, तोरू दत्त ने अपनी बहन अरु और अपने माता-पिता के साथ फ्रांस की यात्रा की। दत्त परिवार अगले दो वर्षों के लिए, इंग्लैंड जाने से पहले एक वर्ष तक फ्रांस में रहे।
वह अंग्रेज़ी में अपनी कविताओं – सीता (Sita), ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स (A Sheaf Gleaned in French Fields) और एंशिएंट बैलाड्स एंड लेजेंड्स ऑफ हिंदुस्तान (1882) तथा फ्रांसीसी उपन्यास – ले जर्नल डी मैडेमोसेले डी’आर्वर्स(Le Journal de Mademoiselle d’Arvers) के लिए जानी जाती हैं। उनकी कविताएं अकेलेपन, लालसा, देशभक्ति और पुरानी यादों के विषयों पर अक्सर चर्चा करती हैं।
तोरू दत्त ने अपना कार्य तब प्रकाशित करना शुरू किया, जब वह केवल 18 वर्ष की थी। उनकी पहली प्रकाशित रचनाएं, अर्थात हेनरी डेरोज़ियो और लेकोन्टे डी लिस्ले(Leconte de Lisle) पर निबंध, 1874 में बंगाल मैगजीन(Bengal Magazine) में छपीं थी। इन कवियों की बहुराष्ट्रीय और अंतरजातीय पृष्ठभूमि तोरू के लिए रुचिकर विषय था। अपने साहित्यिक पेशे की शुरुआत, गद्यों से करने के बावजूद, तोरू दत्त अपनी कविताओं के लिए जानी जाती हैं।
उन्होंने एक और उपन्यास – ‘बियांका ऑर द यंग स्पैनिश मेडेन(Bianca or The Young Spanish Maiden)’ लिखना भी शुरू किया था, जो उनकी युवावस्था और असामयिक मृत्यु के कारण अधूरा रह गया। ये दोनों उपन्यास भारत के बाहर गैर-भारतीय नायकों पर आधारित थे।इसी उपन्यास को किसी भारतीय महिला लेखक द्वारा, अंग्रेज़ी में पहला उपन्यास माना जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4zaj79jz
https://tinyurl.com/3rrhmzys
https://tinyurl.com/s2c26h8t
https://tinyurl.com/2pkzfe7n
https://tinyurl.com/2jdzznee
चित्र संदर्भ
1. 'तोरू दत्त' को संदर्भित करता एक चित्रण (Madras Courier)
2. तोरु दत्त के चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स को संदर्भित करता एक चित्रण (AbeBooks)
4. अरु दत्त और तोरु दत्त को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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