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आइए, आज मुल्ला नसरुद्दीन के चरित्र का पता लगाने की कोशिश करते हैं, जो मध्य पूर्व और उसके निकतवर्ती क्षेत्रों की लोककथाओं में से एक प्रसिद्ध व्यक्ति है। नसरुद्दीन ज्ञान और हास्य के अद्वितीय मिश्रण के लिए भी प्रसिद्ध है। आइए यह भी देखें कि, मुल्ला नसरुद्दीन, अपनी मज़ेदार कहानियों के साथ हमें जीवन के बारे में कौन से महत्वपूर्ण सबक सिखाते है। उनकी कहानियां बुद्धिमत्ता और मूर्खता दोनों को दर्शाती हैं, फिर भी, वे जीवन में हास्य और ज्ञान खोजने के बारे में सूफी शिक्षाओं को कैसे दर्शाते हैं। आइए जानते हैं।
मुल्ला या होजा या होका नसरुद्दीन दुनिया भर के कई क्षेत्रों, विशेष रूप से मध्य पूर्व या उसके आस-पास के देशों में बताई जाने वाली अनेक मनोरंजक कहानियों में मुख्य पात्र है। इस चरित्र को कभी बुद्धिमान, तो कभी मूर्ख और कभी दोनों भावों में पेश किया जाता है। वह अतार्किक होते हुए भी तार्किक, तार्किक होते हुए भी अतार्किक, विचित्र होते हुए भी सामान्य तथा सरल होते हुए भी अत्यंत बुद्धिमान है। मुल्ला नसरुद्दीन की प्रत्येक कहानी उन्हें एक अलग स्थिति में दर्शाती है, और उनके दृष्टिकोण के माध्यम से वे विभिन्न जीवन विषयों पर विनोदी ढंग से टिप्पणियां और सबक प्रकट करती हैं।
नसरुद्दीन की कहानियों का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि, वे मज़ेदार होने के साथ-साथ शिक्षाप्रद और विचारोत्तेजक भी हैं। माना जाता है कि, मुल्ला नसरुद्दीन का चरित्र 1300 के दशक में रहने वाले एक वास्तविक व्यक्ति पर आधारित है। हालांकि, कई देश वास्तविक मनुष्य और उसकी कहानियों की उत्पत्ति का दावा करते हैं, मुल्ला नसरुद्दीन की वास्तविक उत्पत्ति अनिश्चित है। हम जो जानते हैं, उसके आधार पर, ऐसा लगता है कि, अधिकांश कहानियां मूल रूप से क्षेत्रीय लोककथाएं और/या चुटकुले हैं, और किसी एक स्रोत से संबंधित नहीं हैं।
मुल्ला नसरुद्दीन के मूल के बारे में कई जातीय समूहों द्वारा दावे किये जाते हैं। कई स्रोत नसरुद्दीन का जन्मस्थान, 13वीं सदी में, वर्तमान तुर्की(Turkey) के इस्कीसिर प्रांत( Eskişehir Province) के सिवरीहिसार(Sivrihisar) में होर्टू(Hortu) गांव बताते हैं, जिसके बाद वह अक्सेहिर(Akşehir) में बस गए। और बाद में, वह सेल्जूक शासन(Seljuq rule) के तहत कोन्या(Konya) में बस गए। जहां 1275/6 या 1285/6 ईसवी में उनकी मृत्यु हो गई। यह दावा किया जाता है कि, नसरुद्दीन की कब्र अक्सेहिर में है, और ‘अंतर्राष्ट्रीय नसरुद्दीन होजा महोत्सव’ प्रतिवर्ष 5-10 जुलाई को अक्सेहिर में आयोजित किया जाता है।
इस बात के भी विरोधी विचार हैं कि, नसरुद्दीन का मूल स्थान मध्य एशिया में है। उनके चरित्र का अरबी संस्करण, जिसे ‘जुहा’ के नाम से जाना जाता है, उनके चरित्र का सबसे पुराना प्रमाणित संस्करण है और सबसे भिन्न है। इसका उल्लेख अल-जाहिज़ की पुस्तक ‘अलकावल फाई अलबीघल’ में किया गया है।
आज, मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियां विभिन्न क्षेत्रों में बताई जाती हैं, और उनका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। कई क्षेत्रों में, मुल्ला नसरुद्दीन संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा भी है, और उनका दैनिक जीवन में अक्सर उद्धृत या उल्लेख किया जाता है।
मुल्ला नसरुद्दीन एक सूफी शख्सियत भी बताए जाते है, जो सूफी उपाख्यानों के सबसे पुराने शख्सियतों में से एक हैं। मुल्ला नसरुद्दीन बताते हैं कि, दुनिया एक त्रासदी नहीं, बल्कि एक सुखांत नाटक है। वह यह भी दर्शाते है कि, दुनिया एक ऐसी जगह है, जहां अगर आप हंसना सीख गए तो, आपने सब कुछ सीख लिया।
दरअसल, कभी-कभी महान शास्त्र भी उतनी गहराई तक नहीं जा पाते, जितनी गहराई तक कोई चुटकुला जा सकता है। क्योंकि, चुटकुला सीधे दिल को छू जाता है। यह तुरंत ही, हमारी मुस्कुराहट और हंसी बन जाता है। और चूंकि, मुल्ला का नाम कई कहानियों में बुद्धि और हास्य का स्पर्श जोड़ने के लिए प्रयुक्त किया जाता है, उनके मजेदार किस्से लोगों को हंसने पर मजबूर कर देते हैं।
आइए, नसरुद्दीन की कुछ कहानियों के उदाहरण देखते हैं, जो हमें हंसने पर मजबूर कर देते हैं:
#1: हमारे स्वयं के साथ एक रिश्ता
मुल्ला (अपनी पत्नी से): मुझे लगता है कि, तुम्हें कुछ दिन एकांत में, अपने साथ बिताना चाहिए।
पत्नी: लेकिन, मैं अकेले रहकर बहुत रसहीन महसूस करूंगी।
मुल्ला: प्रियतमा, अगर तुम खुद को उबाऊ पाती हो, तो तुम दूसरों के लिए दिलचस्प कैसे हो सकती हो?
–हम अपना बहुत सारा समय और ऊर्जा, दूसरों के साथ अपने संबंधों पर खर्च करते हैं। लेकिन, अपने स्वयं के संबंध पर शायद ही कभी समय खर्च करते हैं। “यदि आपका स्वयं के साथ कोई रिश्ता नहीं है, तो अन्य सभी रिश्ते खोखले हो जाते हैं। और अगर आपका खुद के साथ रिश्ता गहरा और स्थिर है, तो आप स्वाभाविक रूप से अपने आस-पास के किसी भी तरह के रिश्ते को संभालने का कौशल विकसित कर लेते हैं।‘’
#2: संदेह से मुक्ति
मुल्ला की पत्नी अपनी सास से कहती है: मैं आपसे प्यार करती हूं, अम्मी।
सास: सच में?
मुल्ला की पत्नी: दरअसल, इतना नहीं.
सास: मुझे पता था! मुल्ला!!
–हमारे मन की प्रवृत्ति हमेशा सकारात्मक बातों पर संदेह करने और नकारात्मक बातों से चिपके रहने की होती है। संदेह रिश्तों को नष्ट कर देता है। अतः हमें हमारे दिमाग को संदेह और भ्रम से मुक्त रखना चाहिए।
#3: मांग प्यार को नष्ट कर देती है
मुल्ला की पत्नी (गुस्से में): मुल्ला!!
मुल्ला: हां, प्रियतमा(मुस्कुराते हुए)
मुल्ला की पत्नी: आपने इस साल मुझे केवल चार ही जन्मदिन के उपहार क्यों दिए है? पिछले साल तो पांच उपहार दिए थे!! तो क्या अब तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते?
मुल्ला: मैं तुमसे उतना ही प्यार करता हूं, लेकिन, अब कीमतें बढ़ गई हैं!
–उपहार देना और ध्यान देना हर रिश्ते का एक हिस्सा है। हालांकि, कुछ समय बाद, मांग बढ़ने लगती है, क्योंकि, हम उस प्यार का सबूत चाहते हैं। यह मांग बहुत आसानी से रिश्ते पर बोझ बन सकती है।
#4: शुद्ध इरादा और उत्तम अभिव्यक्ति
मुल्ला की पत्नी एक पार्टी के लिए तैयार हो रही है।
मुल्ला (प्यार से): तुम इस ड्रेस में पतली लग रही हो, मेरी जान!
मुल्ला की पत्नी: क्या आप यह कहना चाह रहे हैं कि, मैं अपनी बाकी सभी पोशाकों में मोटी दिखती हूं?!
मुल्ला: नहीं, मैं सोच रहा हूं कि, शायद चश्मा बदलने का समय आ गया है।
–अक्सर हम यह देखते हैं कि, हम कहना और करना कुछ चाहते हैं, लेकिन समझा कुछ और ही जाता है। इससे गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं। इसलिए, शुभ कामना करने, क्षमा करने और आशीर्वाद देने की आदत हमें डालनी चाहिए।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2c6swx8z
https://tinyurl.com/yc5a26x5
https://tinyurl.com/57c2nr9n
https://tinyurl.com/ynkrxj6f
चित्र संदर्भ
1. मुल्ला नसरुद्दीन और उनकी मज़ेदार कहानियों के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. खच्चर पर सवार मुल्ला नसरुद्दीन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. अहमद योसेरी द्वारा लिखित एक गोहा कहानी के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बुखारा में नसरुद्दीन होद्जा की मूर्ती को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी की किताब को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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