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1949 में आज़ादी मिलने के शुरुआती दिनों में आधुनिक मुंबई के उत्तरी उपनगरों में ज्यादातर जंगल, खेत और गाँव ही थे। इस दौरान भारत सरकार द्वारा आरे (Aarey) नाम के जंगल की 1,300 हेक्टेयर ज़मीन, बॉम्बे (मुंबई) के डेयरी विकास बोर्ड (Dairy Development Board) को दे दी गई थी। इसके बाद बॉम्बे के दुग्ध आयुक्त, दारा खुरोदी के नेतृत्व में, आरे को आरे मिल्क कॉलोनी (Aarey Milk Colony) में बदल दिया गया। इसने भारत में दूध उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बॉम्बे के दुग्ध आयुक्त, दारा खुरोदी को डेयरी उद्योग में उनके योगदान के लिए 1963 में मैगसेसे पुरस्कार (magsaysay award) से सम्मानित किया गया था। बाद में आरे मिल्क कॉलोनी को एक पर्यटक आकर्षण केंद्र में बदल दिया गया।
बाद के वर्षों में जैसे-जैसे मुंबई का विकास और विस्तार हुआ, वैसे-वैसे इन जंगलों की जगह, आधुनिक शहरों का निर्माण होने लगा। बाद में मिल्क कॉलोनी के दायरे में आने वाली भूमि की क़ीमत भी बहुत अधिक बढ़ गई।
आरे को बिल्डरों के लिए प्रमुख अचल संपत्ति, आदिवासी ग्रामीणों के लिए एक ख़तरनाक घर और पर्यावरण की परवाह करने वालों के लिए "मुंबई का आखिरी हरा फेफड़ा" माना जाता है। आरे में विकास कार्यों को लेकर उठे हालिया विवाद ने मिल्क कॉलोनी को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है। दरअसल राज्य सरकार ने आरे की 30 हेक्टेयर भूमि पर मेट्रो रेल कार शेड (metro rail car shed) बनाने की योजना बनाई है, जिसके लिए 2,700 से अधिक पेड़ों को काटने की आवश्यकता होगी।
मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (Mumbai Metro Rail Corporation (MMRC) के खिलाफ मुंबई निवासियों के महीनों के विरोध के बावजूद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरे को जंगल के रूप में मान्यता देने के अनुरोध को खारिज कर दिया, और एमएमआरसी ने तुरंत पेड़ों को काटना शुरू कर दिया। जब तक सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ काटने पर रोक लगाने का आदेश दिया, तब तक कम से कम 2,141 पेड़ काटे जा चुके थे।
1940 के दशक से पहले, बंबई के लोगों को दैनिक ज़रूरतों के लिए आवश्यक दूध, स्थानीय किसानों द्वारा प्रदान किया जाता था। हालाँकि यह किसान शहर के चारों ओर गंदे शेडों में अपनी भेंसो को पालते थे। उस समय दूध काफ़ी महँगा होता था और साफ़ भी नहीं होता था। 1946 में, दारा खुरोदी, जो डेयरी फार्मिंग में विशेषज्ञ थे, को बॉम्बे के दूध आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था।
उन्होंने एक विशेष कॉलोनी बनाने का प्रस्ताव रखा जहां मुंबई के सभी भैंस और डेयरी किसान स्थानांतरित हो सकें। इस नई कॉलोनी में मवेशियों की उचित देखभाल की जाएगी और दूध का संग्रह, प्रसंस्करण तथा व्यवस्थित तरीके से वितरण किया जाएगा। सरकार ने खुरोदी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 1951 में प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने वहां एक पौधा लगाकर आरे मिल्क कॉलोनी का उद्घाटन किया।
भैंस पालकों को आरे में जाने के लिए और उन्हें मनाने के लिए, खुरोदी ने व्यक्तिगत रूप से उनके साथ समय बिताया। आरे में, उन्हें रहने के लिए स्थिर और सुरक्षित आवास प्रदान किए गए, जिसमें जानवरों के लिए उचित अस्तबल, आरामदायक क्वार्टर, शौचालय और यहां तक कि उनके बच्चों के लिए एक स्कूल भी बनाया गया था। इसके अतिरिक्त, डेयरी विकास बोर्ड ने मवेशियों के लिए चारे के रूप में विशेष "पैरा घास" भी उगाई।
एक आम डेयरी किसान का दिन सूरज उगने से पहले ही शुरू हो जाता है। उसका सबसे पहला काम, गायों को भोजन और पानी देना होता है। किसान गायों के खाने के पैटर्न पर भी नज़र रखता है । वह जानवरों को किसी भी प्रकार की बीमारी से बचाने के लिए फार्म को साफ रखता है।
इसके बाद, किसान एक मशीन का उपयोग करके गायों का दूध निकालना शुरू करता है, जो हाथ से दूध निकालने की तुलना में अधिक सुरक्षित और कुशल है।
दूध निकालने के बाद, किसान खेत , खलिहानों और अन्य क्षेत्रों को भी साफ करते हैं, और उन कीटों पर नजर रखते हैं जो खेत या जानवरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
किसान उन जानवरों की भी देखभाल करता है, जो बीमार होते हैं या जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
देर दोपहर में, किसान फिर से गायों का दूध निकालता है। हालाँकि गायें दोपहर में कम दूध देती हैं। इसके बाद किसान गायों को खाना खिलाता है और उनकी जांच करता है, दूध भंडारण पर नजर रखता है और साफ-सफाई करता है।
दूसरी बार दूध निकालने के बाद, किसान दिन ख़त्म होने से पहले अपना बचा हुआ काम पूरा कर लेता है।
ब्याने के मौसम के दौरान, एक किसान बच्चे को जन्म देने वाली गायों की मदद के लिए खलिहान में रात भी बिता सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जरूरत पड़ने पर गायों को तुरंत मदद मिल सके।
आज, डेयरी उद्योग विश्व स्तर पर सबसे अधिक लाभदायक उद्योगों में से एक बन गया है। डेयरी फार्मों के बिना, दूध प्राप्त करना, (जो मनुष्यों के लिए कैल्शियम और खनिज जैसे पोषक तत्वों का एक प्रमुख स्रोत है।) बहुत कठिन होगा। वास्तव में, किसी भी अन्य व्यवसाय के लिए डेयरी फार्मिंग जितना उच्च रिटर्न देना बहुत मुश्किल है। यदि वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन किया जाए, तो डेयरी फार्मिंग कम निवेश पर भी 25-32% रिटर्न की गारंटी दे सकती है।
डेयरी फार्मिंग के कुछ प्रमुख फायदे निम्नवत् दिये गए हैं:
- डेयरी फार्मिंग, बारिश जैसी मौसम की स्थिति से प्रभावित नहीं होती है, इसलिए गर्म, शुष्क दिनों में भी दूध का उत्पादन करना संभव है।
- बाजार में दूध की कीमत हमेशा स्थिर रहती है, भले ही आपूर्ति मांग से अधिक हो।
- दूध की मांग लगातार बढ़ रही है। शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही अधिक डेयरी उत्पादों का सेवन कर रहे हैं।
-दूध का विपणन अन्य उत्पादों की तुलना में आसान होता है।
- डेयरी फार्मिंग एकमात्र ऐसा उद्योग है, जो मासिक आय की गारंटी देता है।
पहले, गाँवों और शहरों में बहुत से लोगों के पास अपनी गायें होती थीं और वे अपने पड़ोसियों को दूध बेचते थे। लेकिन आज, कम लोगों के पास गायें हैं, क्योंकि उनके पास उनकी देखभाल के लिए पर्याप्त जगह या समय नहीं है। हालाँकि कई जगहों पर, डेयरी फार्मिंग अभी भी लोकप्रिय है, लेकिन पहले की तुलना में अब कम फार्म हैं। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि किसानों को उनके दूध के लिए कम भुगतान किया जाता है। सभी स्तनधारियों की तरह, गायें भी बच्चों को जन्म देती हैं और अपने बच्चों को खिलाने के लिए दूध का उत्पादन करती हैं। एक गाय की गर्भावस्था लगभग नौ महीने तक चलती है, और वे आमतौर पर अपने बच्चों को सात महीने से एक साल तक पालती हैं। लेकिन डेयरी फार्मों में, बछड़ों को अक्सर उनकी मां से अलग कर दिया जाता है, ताकि दूध बेचा जा सके। ऐसा करना गायों के लिए तनावपूर्ण हो सकता है। नर बछड़ों को अक्सर बूचड़खानों में भेज दिया जाता है, जबकि मादाएं डेयरी गाय बन जाती हैं। लगातार दूध देने और बीमारी के कारण डेयरी गाय मुश्किल से केवल 3 से 4 साल ही जीवित रहती हैं, हालांकि आमतौर पर गायें 20 साल तक जीवित रह सकती हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, 1990 के दशक से जैविक दूध उद्योग काफी विकसित हो चुका है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/54t682dw
https://tinyurl.com/bp5nrw5t
https://tinyurl.com/3vzchp6p
चित्र संदर्भ
1. आरे मिल्क कॉलोनी में बंधे हुए मवेशियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मुंबई में आरे कॉलोनी के लोकेशन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. आरे मिल्क कॉलोनी में एक झील को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. आरे जंगलों की एक साँझ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. आरे कॉलोनी में खुले घास के मैदान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. गौशाला में बंधी गायों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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