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मई का महीना आ चुका है, और गर्मी तथा तापमान अपने चरम पर है। ऐसे दिनों में हर कोई फलों के राजा – आम का स्वाद तो लेता ही है!इसी वजह से, इन दिनों हम सभी आम का खूब आनंद ले रहे हैं। अतः आज के हमारे इस लेख का उद्देश्य, हम सभी के पसंदीदा ‘चौसा आम’ के पीछे की कहानी को उजागर करना एवं इसकी उत्पत्ति, विशेषताओं और स्वास्थ्य लाभों की खोज करना है। साथ ही, चौसा आम के ऐतिहासिक महत्व, विशेष रूप से शेर शाह सूरी के साथ इसके दिलचस्प संबंध पर प्रकाश डालते हुए, यह लेख चौसा आम की व्यापक लोकप्रियता और “आम के राजा” के रूप में इसकी प्रतिष्ठा पर प्रकाश डालता है। आइए,पढ़ते हैं।
हम हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के अनूठे आमों की कुछ सबसे स्वादिष्ट और पसंदीदा किस्मों को पेश किए बिना, आम के मौसम के पूरा होने की कल्पना ही नहीं कर सकते। इसी कारण, चौसा आम भी इसका अपवाद नहीं है।चौसा आम हमारे राज्य के कई खेतों में प्रचुर मात्रा में उगाया जाता है, और सार्वभौमिक रूप से पसंद भी किया जाता है। भारत में इसकी जड़ें होने के अलावा, इसी किस्म की कुछ विविध फसलें पाकिस्तान में भी उगाई जाती हैं।
ऐसा माना जाता है कि, यह किस्म संडीला के चीन्सा गांव से आती है। कहा जाता है कि, वहां एक खिड़की थी, जहां चौसा आम का पहला या मूल पेड़ लगाया गया था। शुरुआत में विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों के बीच ही यह आम रहस्य बनाए हुआ था। उन लोगों ने कभी इसका व्यवसाय नहीं किया। हालांकि, चौसा आम तब प्रमुखता से सामने आया, जब एक समान्य व्यक्ति ने इसका स्वाद चखा और इसे दुनिया के सामने लाने का फैसला किया।
दरअसल, आम की इस किस्म को ‘चौसा’ यह नाम वर्ष 1539 से मिलता है, जब शेर शाह सूरी (जन्म फरीद खान) चौसा (बक्सर से कुछ किलोमीटर दूर, बिहार में तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित एक गांव) में हुमायूँ के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य जुड़ाव में शामिल हुआ था। शेर शाह सूरी ने 26 जून 1539 को हुमायूँ को हराया, और अपनी पसंदीदा आम की दावत के साथ इस खुशी का जश्न मनाया। शेरशाह सूरी आम के प्रति इतना आकर्षित था कि, उसने अपनी जीत के उपलक्ष्य में इस किस्म का नाम ‘चौसा’ रख दिया और इस तरह इस असाधारण किस्म को अपना नाम तथा इतिहास में जगह मिल गई।
जबकि आज, चौसा आम की खेती मुख्य रूप से ग़ाज़ीपुर में की जाती है। इसी कारण, इस किस्म को ‘ग़ाज़ीपुरिया आम’ के नाम से भी जाना जाता था। बक्सर के करीब और हरदोई (मलीहाबाद के करीब स्थित दशहरी आम का क्षेत्र) में भी इस आम की कृषि मुख्य है। और, देश भर में एवं विदेशों में चौसा आम की यही से आपूर्ति की जाती है।
चौसा को इस मौसम में उपलब्ध सबसे मीठे आमों में से एक माना जाता है। हमारे राज्य की खासियत माना जाने वाले चौसा आम का छिलका सुनहरे-पीले रंग का होता है और गुदा मुलायम होता है। अपनी प्रकृति में यह रेशेदार नहीं है और इसमें एक अंतर्निहित सुगंध होती है, जो इस किस्म को स्वादिष्ट बनाती है। इस आम की एक अन्य विशेषता थोड़ा मोटा छिलका और एक बड़ा बीज भी है। फिर भी यह बेहद रसीला होता है, जो इसे आम के सबसे अच्छे किस्मों में से एक बनाता है।
दरअसल, चौसा आम गर्मियों के मौसम में देर से आता है। इसका उत्पादन जुलाई में शुरू होता है और अगस्त तक बना रहता है। यही इस आम का मौसम होता है। फल लगने से लेकर, इसकी कटाई तक की अवधि में लगभग 130 दिन लगते हैं, जो अन्य किस्मों की तुलना में थोड़ा लंबा भी है। कुछ गर्म क्षेत्रों में उगाए जाने वाले फलों का चक्र ऐसा होता है कि, रुक-रुक कर बारिश होती रहती है, जिससे फल लगने से लेकर कटाई तक का समय लंबा हो जाता है।
चौसा विटामिन सी से भरपूर होता है। इसके अलावा, इस आम में ऐसे अंतर्निहित गुण होते हैं, जहां इसके एंजाइम(Enzymes) हमारे शरीर के प्रोटीन को तोड़ते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इस कारण, सीमित मात्रा में आम खाना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। विटामिन सी ई के अलावा, चौसा आम विटामिन ए से समृद्ध होता हैं, और प्रचुर मात्रा में फाइबर प्रदान करते हैं।
इसी वजह से, चौंसा आम हमें विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जिसमें त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार, सामान्य रक्त पीएच स्तर(pH levels) का रखरखाव, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और संभावित कोलेस्ट्रॉल स्तर में कमी शामिल है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mu3ksfru
https://tinyurl.com/28v3ptwf
https://tinyurl.com/48cy6wvd
चित्र संदर्भ
1. टोकरी में रखे हुए चौसा आम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्लेट में रखे हुए चौसा आम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. चौसा आम के टुकड़ों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. आम के पेड़ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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