इत्र के विनिर्माण में कौन से वास्तविक फूलों का किया जाता है उपयोग? व जानें पूरी प्रक्रिया

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इत्र के विनिर्माण में कौन से वास्तविक फूलों का किया जाता है उपयोग? व जानें पूरी प्रक्रिया

अधिकांशतः हम सभी नियमित रूप से अथवा घर से बाहर जाते समय इत्र का उपयोग करते हैं। इत्र की खुशबू हमारे मन को तरो ताज़ा कर देती है। हम सभी ने इत्र के कई विज्ञापन देखे होंगे, जिनमें अक्सर दिखाया जाता है कि इत्र को लगाते ही आप फूलों के खेतों में पहुंच जाते हैं, या आपके ऊपर फूल बरसने लग जाते हैं। हालांकि विज्ञापन तो केवल आपको कल्पना की दुनिया में ले जाते हैं, लेकिन यह सच है कि इत्र के विनिर्माण में वास्तविक फूलों का उपयोग किया जाता है। इत्र के विनिर्माण में सबसे ज्यादा उपयुक्त किए जाने वाले खूबसूरत फूलों में से कुछ सफेद फूल हैं। इनकी मादक, विदेशी, मसालेदार और मीठी खुशबू कुछ ही समय में कमरे को भर देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सामग्रियों का उपयोग इत्र में कैसे किया जाता है? तो आइए आज हम इत्र बनाने के लिए फूलों के उपयोग के इतिहास के विषय में और इत्र बनाने में उपयोग किए जाने वाले शीर्ष पांच सबसे सुगंधित फूलों के विषय में जानते हैं। इसके साथ ही फूलों से खुशबू निकालने की विधि और प्रक्रिया भी सीखते हैं। अत्यंत प्राचीन काल से ही मनुष्यों द्वारा इत्र आदि का उपयोग किया जाता रहा है। हालांकि इसके उपयोग के शुरुआत की कोई सटीक तिथि या वर्ष निश्चित नहीं है। ऐसा माना जाता है कि मिस्रवासियों द्वारा चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में इसकी शुरुआत की गई। इस समय तक, वे पहले से ही सुगंधित तेल और बाम बनाने के लिए पौधों और फूलों का उपयोग करते थे। इन वस्तुओं को बनाने के लिए फूलों से अर्क निकालने के आविष्कारी तरीके विकसित हुए, जैसे कि दबाना और पीसना, और इस प्रकार, आसवन द्वारा आवश्यक तेलों के उत्पादन में पहला कदम उठाया गया। यह भी संभव है कि इससे पहले की सभ्यताओं में भी अपने देवताओं को फूल और जड़ी-बूटियाँ अर्पित की जाती थी। पुरातात्विक खोजों, मौखिक परंपराओं और बहुत प्रारंभिक लेखों द्वारा इसकी पुष्टि होती है। रोमन लेखन में वर्णन किया गया है कि पश्चिमी दुनिया में इत्र के उपयोग के प्रसार के बाद सुगंध का भरपूर उपयोग किया जाता था। प्रारंभ में इत्र का उपयोग मुख्य रूप से धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था जो धीरे-धीरे व्यक्तिगत रूप से किया जाने लगा। इससे इत्र उद्योग की ओर रुझान बढ़ा। मध्य युग में रोमन साम्राज्य के पतन के बाद, यूरोप (Europe) में फिर से इसका उपयोग मुख्यतः धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाने लगा। इसके बाद 13वीं शताब्दी की शुरुआत में पूर्व में व्यापार फिर से स्थापित हुआ और विदेशी फूलों, जड़ी-बूटियों और मसालों की मांग बढ़ने लगी। इस समय तक वेनिस (Venice) इत्र व्यापार के केंद्र के रूप में उभरा और यह व्यापार तेज़ी से पूरे यूरोप के अन्य देशों में फैल गया। 18 वीं शताब्दी के अंत तक इत्र और संबंधित सुगंध, सौंदर्य प्रसाधन आदि का निर्माण केवल प्राकृतिक स्रोतों से किया जाता था। इसके बाद इत्र बनाने के लिए कृत्रिम तरीकों में वृद्धि के साथ-साथ समग्र रूप से इत्र उद्योग में भी वृद्धि हुई। हालांकि आज भी इत्र बनाने के लिए कुछ लोगों द्वारा केवल प्राकृतिक तरीकों का भी उपयोग किया जाता है लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अब अधिकांशतः सिंथेटिक कच्चे माल के उपयोग और कृत्रिम तरीकों के प्रयोग का प्रचलन बढ़ गया है।
आइए अब इत्र बनाने में उपयोग किए जाने वाले पांच सबसे सुगंधित फूलों के बारे में जानें: चमेली (Jasmine): चमेली को लंबे समय से 'फूलों के राजा' के रूप में जाना जाता है। चमेली का अंग्रेज़ी शब्द 'जैस्मीन' फ़ारसी शब्द 'यास्मीन' से निकला है जिसका अर्थ है 'सुगंध'। चमेली की 200 से अधिक प्रजातियाँ हैं लेकिन केवल दो जैस्मीन संबैक (Jasmine sambac) और जैस्मीन ग्रैंडिफ्लोरम (Jasmine grandiflorum) का उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है। चमेली की खुशबू मादक, मसालेदार, थोड़ी मीठी और फलयुक्त होती है। जैस्मीन का पूर्ण अर्क चिपचिपा भूरा या पीला होता है। केवल 1 किलोग्राम पूर्ण अर्क प्राप्त करने के लिए लगभग 750 किलोग्राम फूलों की आवश्यकता होती है, जिसके कारण यह इत्र उद्योग में सबसे महंगा कच्चा माल माना जाता है। इसी कारण, अधिकांश खुशबू से जुड़े उत्पादों में चमेली की खुशबू अक्सर कृत्रिम रूप से बनाई जाती है। रजनीगंधा (Tuberose): इत्र उद्योग में रजनीगंधा को सबसे प्रबल सुगंध वाले फूलों में से एक माना जाता है। रजनीगंधा रात में खिलने वाली प्रजाति है और इसलिए इसे 'रात की रानी' भी कहते हैं। विक्टोरियन काल में इंग्लैंड में, युवा लड़कियों को इन फूलों के संपर्क में रहने या शाम को रजनीगंधा के बगीचों में जाने से मना किया जाता था, क्योंकि इस बात का डर था कि वे इन फूलों की खुशबू से मोहित हो जाएंगी। रजनीगंधा का पूर्ण अर्क एक मादक, और मसालेदार तरल पदार्थ है। इसका केवल 0.5 किलोग्राम पूर्ण अर्क प्राप्त करने के लिए लगभग 3600 किलोग्राम फूलों की आवश्यकता होती है। और यही कारण है कि यह इत्र उद्योग में अत्यंत महंगा कच्चा माल माना जाता है। इलंग इलंग (Ylang Ylang): इलंग इलंग को " ग़रीबों की चमेली" भी कहा जाता है। क्योंकि इसका 1 किलोग्राम पूर्ण अर्क का उत्पादन करने के लिए केवल 400 किलोग्राम फूलों की आवश्यकता होती है, इसके कारण यह सबसे किफायती प्राकृतिक कच्चा माल माना जाता है। चमेली की गंध को कृत्रिम रूप से बनाने के लिए इलंग इलंग का भी उपयोग किया जा सकता है। इसकी उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) से हुई है और अब यह अफ्रीका (Africa) कैरेबियन (Caribbean) और अमेरिका (America) में भी पाया जाता है। इलंग इलंग एक पेड़ पर या बेल के रूप में उग सकता है। इसके फूल बड़े, लंबे पीले या हरे रंग के होते हैं। उन्हें तब चुना जाता है जब वे सबसे अधिक सुगंधित होते हैं और जब उनमें हल्का लाल रंग विकसित हो जाता है। फ्रेंगिपानी (Frangipani): फ्रेंगिपानी को प्लुमेरिया (Plumeria) के नाम से भी जाना जाता है। इसके फूल सफेद, पीले या गुलाबी रंग के होते हैं जो पेड़ों पर उगते हैं। इनकी खुशबू अक्सर किसी विदेशी, उष्णकटिबंधीय और उमस भरी वस्तु की याद दिलाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये फूल मूल रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, कैरेबियन और ब्राज़ील के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। चमेली और रजनीगंधा की तरह, ये फूल रात में सबसे अधिक सुगंधित होते हैं। फ्रेंगिपानी की गंध को नारियल जैसे तेलों के साथ मिश्रित करके अक्सर इत्र में उपयोग किया जाता है। नार्सिसस (Narcissus): नार्सिसस संभवतः एकमात्र जंगली फूल है जिसका उपयोग वर्तमान में व्यावसायिक सुगंधों में किया जाता है। यह जंगली फूल दक्षिणी यूरोप और उत्तरी अफ़्रीका के घास के मैदानों और जंगलों का मूल निवासी है। यह पूरे एशिया और मध्य पूर्व में भी व्यापक रूप से उगाया जाता है। अन्य सफेद फूलों की तरह, नार्सिसस की सुगंध समृद्ध, मादक और मसालेदार होती है। यह अन्य सफेद फूलों की तुलना में काफी मीठा होता है। इसका केवल 300 ग्राम पूर्ण अर्क प्राप्त करने के लिए लगभग 500 किलोग्राम फूलों की आवश्यकता होती है। इसलिए यह अत्यंत महंगा कच्चा माल माना जाता है।
आइए अब एक गतिविधि के माध्यम से फूलों से सुगंधित यौगिकों के निष्कर्षण को देखते हैं जिससे आप अपना स्वयं का सुगंधित फूलों वाला तेल बना सकते हैं:
अर्क निकालने के लिए आवश्यक सामग्री:
- जैतून का तेल या संबंधित तेल (जैसे मकई का तेल या तिल का तेल)
- फूल
- एक ढक्कन वाला डिब्बा
- छलनी
- मापने के लिए चम्मच/कप।
- सुगंधित फूलों वाला तेल बनाने के चरण:
सुनिश्चित करें कि आपने प्रयोग शुरू करने से पहले सभी निर्देशों को पढ़ लिया है ताकि आप समझ सकें कि प्रत्येक चरण में क्या करना है।
1. सबसे पहले अपने पसंदीदा फूल चुनें।
2. फूलों की पंखुड़ियां अलग कर दें और उन्हें मूसल और ओखली का उपयोग करके थोड़ा सा कुचलने के बाद एक जार में भर दें।
3. अब इसमें एक निश्चित मात्रा में तेल डालें, जिससे कि सभी पंखुड़ियां उसमें डूब जाएं। फिर जार को बंद करके उसे हिलाएं।
4. सुनिश्चित करें कि जार का ढक्कन अच्छी तरह से बंद है। इसके बाद इसे 24 घंटे के लिए किसी अंधेरे स्थान पर रख दें।
5. 24 घंटे के बाद जार में से तेल निकालकर उसे एक छलनी से छान लें।
अब आपका स्वयं का बनाया हुआ सुगंधित फूलों वाला तेल तैयार है। इस तेल में फूलों के प्राकृतिक गुण मिश्रित हो जाते हैं।

संदर्भ
https://shorturl.at/mCN37
https://shorturl.at/clwJL
https://shorturl.at/gBQ25

चित्र संदर्भ
1. इत्र वाले फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (pixexid)
2. इत्र के साथ महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. इत्र शंकु पहने मिस्रवासियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. चमेली के फूल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. रजनीगंधा के फूल को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
6. इलंग इलंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. फ्रेंगिपानी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. नार्सिसस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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