मध्य प्रदेश से अलग हो कर 26 वां राज्य का नाम क्यों पड़ा छत्तीसगढ़, जानें वजह

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
01-05-2024 09:18 AM
Post Viewership from Post Date to 01- Jun-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2052 101 2153
मध्य प्रदेश से अलग हो कर 26 वां राज्य का नाम क्यों पड़ा छत्तीसगढ़, जानें वजह

क्या आप जानते हैं कि जब 1947 में हमारे देश भारत को स्वतंत्रता मिली, उस समय भारत के मानचित्र पर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का नाम नहीं था। इनके स्थान पर मध्य प्रांत, संयुक्त प्रांत, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, मध्य भारत, मद्रास प्रेसीडेंसी जैसे राज्य हुआ करते थे। भारत में कुल 17 राज्य थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 8 केंद्र शासित प्रदेशों के साथ 28 हो गई है।
इन राज्यों को कई बार क्षेत्रीय, भाषाई एवं धार्मिक आधारों पर पुनर्गठित किया गया तथा इनसे विभिन्न अलग नए राज्य बनाए गए। वर्ष 2000 में 1 नवंबर को मध्य प्रदेश को एक बार फिर से पुनर्गठित किया गया। इसमें छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग कर भारत का 26वां राज्य बनाया गया। तो आइए आज इस राज्य के इतिहास के बारे में जानते हैं और विभाजन का कारण समझते हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी भी जानते हैं। मध्य भारत में स्थित, छत्तीसगढ़ भारत का 9वां सबसे बड़ा राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र, उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में ओडिशा और झारखंड और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से लगती है। औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के तहत, वर्तमान छत्तीसगढ़ में एक प्रभाग शामिल था जिसमें पूर्वी राज्य एजेंसी के तहत 14 सामंती रियासतें शामिल थीं। उस संभाग का मुख्यालय रायपुर था। 1 नवंबर 2000 तक छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रदेश का हिस्सा था।
अगस्त 2000 में छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य बनाने के लिए, भारतीय संसद द्वारा मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित किया गया। छत्तीसगढ़ वैदिक एवं पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ मौजूद प्राचीन मंदिरों और उनके खंडहरों से पता चलता है कि यहां विभिन्न कालखंडों में वैष्णव, शैव, शाक्त और बौद्ध संस्कृतियों का प्रभाव रहा है।
भारत के हृदय में स्थित छत्तीसगढ़ को भगवान श्री राम की कर्मभूमि भी कहा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य प्राचीन कला, सभ्यता, संस्कृति, इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। चाहें रामगढ़ पहाड़ी पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मौर्य काल की सीताबेंगरा गुफाओं की बात की जाए, चाहें तो जोगीमारा गुफाओं में प्राचीन ब्राह्मी शिलालेखों की, छत्तीसगढ़ राज्य में भारत के अत्यंत प्राचीन इतिहास की छवि प्रत्यक्ष परिलक्षित होती है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है। यहाँ मल्हार में शुंग काल स्थल की खुदाई के दौरान भगवान विष्णु की सबसे पुरानी मूर्तियों में से एक प्राप्त हुई है। छठी और बारहवीं शताब्दी के बीच, शरभपुरिया, पांडुवंशी (मेकला और दक्षिण कोसल के), सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों का इस क्षेत्र पर प्रभुत्व था। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र पर 11वीं शताब्दी में चोल वंश के राजेंद्र चोल प्रथम और कुलोथुंगा चोल प्रथम द्वारा आक्रमण किया गया था। अंततः छत्तीसगढ़ का अधिकांश भाग हैहयवंशी साम्राज्य के अधीन हो गया, जिन्होंने मध्य छत्तीसगढ़ पर शासन किया और कांकेर जैसे छोटे राज्यों को अपने अधिकार में रखा। हैहयवंशियों ने 700 वर्षों तक इस क्षेत्र पर शासन किया। इसके बाद 1740 में मराठों ने उन पर आक्रमण करके इस क्षेत्र को अपने अधीन कर लिया। 1758 में छत्तीसगढ़ के अंतिम स्वतंत्र शासक मोहन सिंह की मृत्यु के बाद छत्तीसगढ़ को सीधे मराठा नागपुर साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया गया। छत्तीसगढ़ 1741 से 1845 तक मराठा शासन (नागपुर के भोंसले) के अधीन रहा। इसके बाद 1845 से 1947 तक मध्य प्रांत के छत्तीसगढ़ डिवीजन के रूप में यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया।
1845 में अंग्रेजों ने रतनपुर के स्थान पर रायपुर को यहाँ की राजधानी बना दिया। 1905 में, संबलपुर जिले को ओडिशा में स्थानांतरित कर दिया गया और सरगुजा की संपत्ति वाले क्षेत्र को बंगाल से छत्तीसगढ़ में स्थानांतरित कर दिया गया। 'राज्य पुनर्गठन अधिनियम', 1956 के तहत छत्तीसगढ़ को 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश में मिला दिया गया। 44 वर्षों तक यह राज्य मध्यप्रदेश का हिस्सा बना रहा। अब प्रश्न उठता है कि छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से क्यों अलग किया गया? वास्तव में छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग करने की मांग हाल फिलहाल में नहीं उठी थी। छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य बनाने की मांग पहली बार 1920 के दशक में उठी। हालाँकि, इस तरह की मांगें नियमित अंतराल पर सामने आती रहीं, लेकिन इसके लिए एक सुव्यवस्थित आंदोलन कभी शुरू नहीं किया गया था।
केवल कई सर्वदलीय मंच बनाकर और आमतौर पर याचिकाओं, सार्वजनिक बैठकों, सेमिनारों, रैलियों और हड़तालों के द्वारा इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास किया गया। 1924 में रायपुर कांग्रेस इकाई द्वारा भी यह मुद्दा उठाया गया और त्रिपुरी में भारतीय कांग्रेस में भी इस पर चर्चा की गई थी। छत्तीसगढ़ के लिए क्षेत्रीय कांग्रेस संगठन बनाने पर भी चर्चा की गई। 1954 में, ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ की स्थापना के समय भी छत्तीसगढ़ के रूप में एक अलग राज्य की स्थापना की मांग रखी गई, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद 1955 में मध्यभारत की नागपुर विधानसभा में यह मांग उठाई गई। 1990 के दशक में, छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की मांग ने ज़ोर पकड़ लिया, जिसके परिणामस्वरूप एक राज्यव्यापी राजनीतिक मंच का गठन हुआ। इस मंच को ‘छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण मंच’ के नाम से जाना जाता है। मंच का नेतृत्व चंदूलाल चद्रकर द्वारा किया गया और इसके तहत कई सफल क्षेत्र-व्यापी हड़तालें और रैलियां आयोजित की गईं, जिनमें से सभी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त था। इसके बाद नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने पृथक छत्तीसगढ़ विधेयक को मंज़ूरी के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा में भेजा, जहां इसे सर्वसम्मति से मंज़ूरी मिलने के बाद लोकसभा में प्रस्तुत किया गया। लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद 25 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने विधेयक पर अपने हस्ताक्षर कर दिए और भारत सरकार ने 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग करने का दिन निर्धारित किया।
नए राज्य का नाम छत्तीसगढ़ निश्चित किया गया। वास्तव में छत्तीसगढ़ नाम की उत्पत्ति के बारे में कई सिद्धांत हैं। पहली बार 1795 में एक आधिकारिक दस्तावेज़ में छत्तीसगढ़ नाम का इस्तेमाल किया गया था। सबसे लोकप्रिय सिद्धांत के अनुसार, छत्तीसगढ़ का नाम क्षेत्र में मौजूद 36 प्राचीन किलों (छत्तीस का अर्थ 36 और गढ़ का अर्थ किला) के कारण रखा गया। पुराने राज्य में 36 सामंती क्षेत्र थे: रतनपुर, विजयपुर, खरौंद, मारो, कौतगढ़, नवागढ़, सोंधी, औखर, पदरभट्टा, सेमरिया, चंपा, लाफा, छुरी, केंदा, मतीन, अपरोरा, पेंड्रा, कुरकुटी-कांड्री, रायपुर , पाटन, सिमागा, सिंगारपुर, लवन, ओमेरा, दुर्ग, सारधा, सिरासा, मेंहदी, खल्लारी, सिरपुर, फिगेश्वर, राजिम, सिंघनगढ़, सुवरमार, टेंगनागढ़ और अकलतरा।
हालाँकि, अधिकांश इतिहासकार इस सिद्धांत से असहमत हैं क्योंकि अब तक संपूर्ण 36 किलों की खोज या पहचान नहीं की जा सकी है। इसके नाम के विषय में एक अन्य सिद्धांत, जो विशेषज्ञों और इतिहासकारों के बीच अधिक लोकप्रिय है, वह यह है कि छत्तीसगढ़ चेदीसगढ़ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है "चेदियों का साम्राज्य"। क्योंकि प्राचीन काल में, छत्तीसगढ़ क्षेत्र आधुनिक ओडिशा के कलिंग के चेदि राजवंश का हिस्सा था। मध्यकाल में 1803 तक, वर्तमान पूर्वी छत्तीसगढ़ का एक बड़ा हिस्सा ओडिशा के संबलपुर साम्राज्य का हिस्सा था।

संदर्भ
https://shorturl.at/psTY2
https://shorturl.at/jzERT

चित्र संदर्भ

1. छत्तीसगढ़ के मानचित्र और सिरपुर, छत्तीसगढ़, में लक्ष्मण मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. छत्तीसगढ़ के मानचित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में स्थित चित्रकोट जलप्रपात को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भोरमदेव मंदिर, छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में कवर्धा के पास स्थित है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मल्हार छत्तीसगढ़ में 6वीं-7वीं शताब्दी के भीम कीचक मंदिर, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. छत्तीसगढ़ में नया रायपुर में मंत्रालय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. छत्तीसगढ़ के एक स्कूल में छात्रों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.