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अटाला मस्जिद जौनपुर की प्रमुख मस्जिदों में से आती है। इस मस्जिद का निर्माण यहाँ पर स्थित अटाला देवी के मंदिर को हटा कर किया गया है। जब जौनपुर में 1359 ईस्वी में सुल्तान फिरोज शाह आया तो उस समय वह यहाँ पर स्थित मंदिर को तोड़ने की सोचा पर खैर-उद-दीन के द्वारा लिखे तथ्य के आधार पर वहां के हिन्दुओं ने इसका विरोध किया तो फिरोज ने इसे तोड़ने का ख्याल त्याग दिया। कालांतर में सुल्तान इब्राहीम शाह का समय आने पर वह मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया और उस स्थान पर अटाला मस्जिद का निर्माण हुआ। यह मस्जिद सन 1408 में बनकर तैयार हो गयी थी। खैर-उद-दीन यह भी कहते हैं की इब्राहीम शाह ने अपने मुख्य कर्मचारियों को यहाँ पर शुक्रवार को व ईद के नमाज के लिए बोला। सभी शर्की सुल्तानों द्वारा अटाला में रोज नमाज पढ़ा जाता था। सिकंदर लोदी के आने के बाद यह मस्जिद काफी हद तक तोड़ दी गयी थी। लेकिन सन 1860 में मुंशी हैदर द्वारा इसका संरक्षण किया गया। अटाला मस्जिद जौनपुर कला का प्राचीनतम उदहारण है। यह मस्जिद जौनपुर के समस्त मस्जिदों में सबसे ज्यादा सुन्दर और सजाई हुयी मस्जिद है।
यह मस्जिद 258 वर्ग फीट में स्थित है तथा इसका आँगन 177 फीट का है जिसमे तीन दरवाजे लगाये गए हैं प्रथम दरवाजा मुख्य दरवाजा है और अन्य दरवाजे मुख्य दरवाजों से छोटे हैं। इस मस्जिद के प्रत्येक मेहराब सुन्दरता के साथ बनाये गएँ हैं तथा इनपर काली पट्टी से घेरा गया है। इस मस्जिद में काले संगेमरमर का प्रयोग किया गया है। इस मस्जिद के प्रत्येक मेहराबों को कलाकृतियों से अलंकृत किया गया है। मस्जिद के प्रमुख कक्ष के प्रमुख द्वार (प्रथम चित्र) के ड्योढ़ी के ऊपर विशिष्ट प्रकार से अलंकरण किया गया है तथा इसकी दीवारों पर भी विभिन्न प्रकार के अलंकरण किये गए हैं। अटाला के द्वारों पर तारे का निशान भी बनवाया गया है जो की इस्लामिक इमारतों में बड़े पैमाने पर मिलता है। इस मस्जिद में जनाना के लिए भी स्थान बनवाया गया है जो की आंगने के तीन तरफ बने दो मंजिला ईमारत के दूसरी मंजिल पर है। यहाँ की छत और दीवारे भी अलंकृत की गयी हैं। जौनपुर कला का हीरा इसका प्रोप्य्लों है यह मस्जिद इजिप्ट के एक मंदिर के प्रोप्य्लों की याद दिलाता है। अटाला मस्जिद आज पूरे भारत की सुन्दर मस्जिदों में से एक है तथा अपने प्रकार की यह एकलौती मस्जिद भी है। अटाला मस्जिद जौनपुर में बड़े पैमाने पर पर्यटकों को आकर्षित करने का दम रखती है। तथा इसकी कलाकृतियाँ यहाँ के विशिष्ट कला को प्रदर्शित करती हैं।
1.द शर्की सल्तनत ऑफ़ जौनपुर, मियां मुहम्मद सईद
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