जरूर पढ़े, लुईस ममफोर्ड के शहरों के विकास एवं आधार से संबंधित सिद्धांत तथा विचार

नगरीकरण- शहर व शक्ति
26-04-2024 10:01 AM
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जरूर पढ़े, लुईस ममफोर्ड के शहरों के विकास एवं आधार से संबंधित सिद्धांत तथा विचार

एक समय में लुईस ममफोर्ड(Lewis Mumford) को अमेरिकी वास्तुकला, कला और शहरी जीवन के विशेषज्ञ के रूप में व्यापक तौर पर पहचाना जाने लगाथा। क्योंकि, वे पुस्तकों और पत्रिकाओं में अपने कार्यों के माध्यम से व्यापक सामाजिक व्यवस्था से संबंधित थे। आइए, आज उनकी दो सबसे मशहूर पुस्तकों “टेक्नोलॉजीज एंड सिविलाइजेशन(Technologies and Civilization)” और “द सिटी इन हिस्ट्री(The City in History)” के बारे में बात करते हैं।और, जानने की कोशिश करते हैं कि, हम अपने शहर जौनपुर में, उसमें लिखित सिद्धांतों के आधार पर क्या बदलाव ला सकते हैं।
लुईस ममफोर्ड (19 अक्टूबर, 1895 – 26 जनवरी, 1990) एक अमेरिकी इतिहासकार, समाजशास्त्री, प्रौद्योगिकी दार्शनिक और साहित्यिक आलोचक थे। वह शहरों और शहरी वास्तुकला के अध्ययन के लिए विशेष रूप से विख्यात थे। जबकि, एक लेखक के रूप में उनका पेशाथोड़ा विस्तृत था। ममफोर्ड स्कॉटिश सिद्धांतकार(Scottish theorist) सर पैट्रिक गेडेस(Sir Patrick Geddes) के काम से प्रभावित थे, और उन्होंने अपने सहयोगी ब्रिटिश समाजशास्त्री विक्टर ब्रैनफोर्ड(Victor Branford) के साथ मिलकर काम किया। साथ ही, ममफोर्ड फ्रैंक लॉयड राइट(Frank Lloyd Wright), क्लेरेंस स्टीन(Clarence Stein), फ्रेडरिक ओसबोर्न(Frederic Osborn), एडमंड एन. बेकन(Edmund N. Bacon) और वन्नेवर बुश(Vannevar Bush) के समकालीन और मित्र भी थे। गेडेस द्वाराभारतीय शहरों के सर्वेक्षण वाले उदाहरण का अनुसरण करते हुए, ममफोर्ड ने भी “क्षेत्रीय सर्वेक्षणों” की एक श्रृंखला पर कामकिया।उन्होंने यह, न्यूयॉर्क(New York) महानगरीय क्षेत्र के आस-पास व्यवस्थित रूप से घूमते हुए, इमारतों और शहर के जीवन पर स्केच बनाते हुए एवं नोट्स लेकर पूर्ण किया। ममफोर्ड के दादाजी उन्हें हर सप्ताहांत पूरे शहर में सैर पर ले जाते थे, और ममफोर्ड ने अपने सर्वेक्षणों को पूरा करने के लिए इस अनुभव का लाभ उठाया था। एक तरफ, वर्ष 1931 से अपने पेशेवर जिंदगी की शुरुआत करते हुए, उन्होंने द न्यू यॉर्कर(The New Yorker) के लिए काम किया।वहां उन्होंने 30 वर्षों से अधिक समय तक शहरी मुद्दों पर वास्तुशिल्प आलोचना और टिप्पणी लिखी।शहरी जीवन पर अपने शुरुआती लेखन में, ममफोर्ड मानव क्षमताओं के बारे में आशावादी थे, और उन्होंने लिखा था कि, मानव सभी मानव जाति के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए बिजली और जन संचार का उपयोग करेगा। हालांकि, बाद में उन्होंने अधिक निराशावादी रुख अपनाया था। ममफोर्ड की पुस्तक ‘द सिटी इन हिस्ट्री’ ने गैर काल्पनिक श्रेणी के लिए, 1962 का अमेरिकी राष्ट्रीय पुस्तक पुरस्कार जीता था। इस प्रभावशाली पुस्तक में ममफोर्ड ने शहरी सभ्यताओं के विकास का पता लगाया। शहरी फैलाव की कड़ी आलोचना करते हुए, ममफोर्ड ने तर्क दिया कि, आधुनिक शहरों की संरचना पश्चिमी समाज में देखी जाने वाली कई सामाजिक समस्याओं के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार है। ममफोर्ड के अनुसार, समाधान प्रकृति और मानव आध्यात्मिकता के बीच एक जैविक संबंध की आवश्यकता को समझने में निहित है। शहरों का भौतिक डिजाइन और उनके आर्थिक कार्य प्राकृतिक पर्यावरण और मानव समुदाय के आध्यात्मिक मूल्यों के साथ उनके संबंधों के लिए गौण हैं।
‘द सिटी इन हिस्ट्री’ पुस्तक में, ममफोर्ड एक ऐसी दुनिया के लिए तर्क देते हैं, जिसमें प्रौद्योगिकी शासक नहीं होती है, बल्कि जिसमें वह प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करती है। उनकी आदर्श दृष्टि को “जैविक शहर(organic city)” के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जहां संस्कृति तकनीकी नवाचार द्वारा हड़पी नहीं जाती, बल्कि इसके साथ पनपती है। ममफोर्ड ने इन शहरों की तुलना युद्धों, अत्याचारियों, गरीबी आदि के आसपास बनाए गए शहरों से की है। हालांकि, यह पुस्तक शहर पर हमला नहीं है, बल्कि इसके विकास का मूल्यांकन है, यह कैसे हुआ और यह कहां जा रहा है। ममफोर्ड ने इस पुस्तक में अपनी प्रस्तावना में क्षमाप्रार्थनापूर्वक लिखा है कि, उनकी “विधि व्यक्तिगत अनुभव और अवलोकन की मांग करती है,” और इसलिए उन्होंने “स्वयं को जहां तक संभव हो सके शहरों और क्षेत्रों तक ही सीमित रखा है”। दूसरी ओर, अपने एक अन्य मौलिक कार्य –‘टेक्निक्स एंड सिविलाइजेशन(Technics and Civilization)’ में, लुईस ममफोर्ड पूरे इतिहास में मौजूद, मनुष्यों और प्रौद्योगिकी के बीच के जटिल संबंधों की पड़ताल करते हैं। साथ ही,वह हमारे समाजों और संस्कृतियों को आकार देने पर इसके गहरे प्रभाव का खुलासा करते हैं। इस पुस्तक में विभिन्न तकनीकी प्रणालियों के विकास और मानव विचार, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचनाओं पर उनके प्रभाव का पता लगाकर, ममफोर्ड ने एक मनोरम कथा का अनावरण किया है, जो प्रगति की पारंपरिक समझ को चुनौती देती है। सूक्ष्म विश्लेषण और गहन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के साथ, यह पुस्तक पाठकों को तकनीक और सभ्यता के लगातार विकसित हो रहे जाल में उनकी भूमिका की आलोचनात्मक जांच करने के लिए प्रेरित करती है।
इसी पुस्तक में ममफोर्ड इस विचार की खोज करते हैं कि, प्रौद्योगिकी न केवल हमारे समाज को आकार देती है, बल्कि यह मानव व्यवहार को भी प्रभावित करती है। उनका तर्क है कि, मशीनों और स्वचालन के आगमन से मानव जीवन का मशीनीकरण हो गया है, जिससे व्यक्ति औद्योगिक मशीन का हिस्सा बन गए हैं। जैसे-जैसे मनुष्य कार्य करने के लिए मशीनों पर निर्भर होते जा रहे हैं, वे प्राकृतिक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं, और अपनी स्वयं की शिल्प कौशल और रचनात्मकता से संपर्क खो रहे हैं। इसके अलावा, ममफोर्ड उदाहरण देते है कि, कैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग नियंत्रण और प्रभुत्व के साधन के रूप में किया गया है। वह चर्चा करते हैं कि, कैसे सरकारों और निगमों ने व्यक्तियों की निगरानी करने के लिए तकनीकी प्रगति का उपयोग किया है, जिससे स्वायत्तता और स्वतंत्रता का नुकसान हुआ है। अतः वे तकनीकी प्रगति के सामने मानवीय मूल्यों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, शक्ति के एक उपकरण के रूप में, प्रौद्योगिकी के उपयोग की आलोचना करते है।
समाज और मानव व्यवहार पर प्रभाव के अलावा, ममफोर्ड प्रौद्योगिकी और प्राकृतिक दुनिया के बीच संबंधों का भी पता लगाते है। वे चर्चा करते हैं कि, कैसे तकनीकी प्रगति अक्सर पर्यावरणीय गिरावट और प्राकृतिक आवासों के विनाश की कीमत पर हुई है। ममफोर्ड का तर्क है कि, प्राकृतिक दुनिया पर प्रभाव पर विचार किए बिना, प्रगति की खोज लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है। वह प्रौद्योगिकी के प्रति अधिक संतुलित दृष्टिकोण की वकालत करते हैं, जो पर्यावरण के संरक्षण और भावी पीढ़ियों की भलाई पर विचार करता है।
प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी शक्ति को समाहित करने वाला एक उल्लेखनीय उदाहरण मध्ययुगीन गोथिक वास्तुकला(Gothic architecture) के विकास में निहित है। एक सांस्कृतिक और सभ्यतागत प्रतीक के रूप में, कैथेड्रल (Cathedral) की भूमिका की जांच करते हुए, ममफोर्ड ने एक आकर्षक कथा का खुलासा किया कि, कैसे निर्माण तकनीकों और तकनीकी प्रगति में बदलाव ने एक प्रार्थना स्थल के रूप में. राजसी कैथेड्रल के निर्माण की अनुमति दी थी। हालांकि, उन्हीं तकनीकी प्रगतियों ने, जिन्होंने इन वास्तुशिल्प चमत्कारों के निर्माण को प्रेरित किया, अनपेक्षित परिणाम भी लाए। ऐसी असाधारण संरचनाओं के निर्माण के लिए श्रम और सामग्री निष्कर्षण दोनों के संदर्भ में महत्वपूर्ण संसाधनों की आवश्यकता होती है। लकड़ी, पत्थर और सीसा जैसी सामग्रियों की मांग के कारण अंततः वनों की कटाई, पारिस्थितिक क्षरण और संसाधन की कमी हुई। इसके अलावा, कैथेड्रल निर्माण पर संसाधनों और श्रम की एकाग्रता ने अक्सर सामाजिक असमानताओं को बढ़ा दिया, जिससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों को परियोजना की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं का बोझ उठाना पड़ा।

संदर्भ
https://tinyurl.com/y2r9zn2m
https://tinyurl.com/bdferv76
https://tinyurl.com/mr2cbyat

चित्र संदर्भ
1. लुईस ममफोर्ड और एक पुराने शहर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. लुईस ममफोर्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. 1886 में पैट्रिक गेडेस की तस्वीर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. न्यूयॉर्क शहर का इतिहास (1876) को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. टेक्निक्स एंड सिविलाइजेशन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. गोथिक वास्तुकला से निर्मित एक ईमारत संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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