Post Viewership from Post Date to 15- Apr-2024 (5th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1392 | 143 | 1535 |
आज दुनिया के लगभग 100 से अधिक देशों में विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार के लिए होम्योपैथी पद्धति का उपयोग किया जाता है। होम्योपैथी एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति है जिसका इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है। होम्योपैथी दवाओं के जहाँ कोई दुष्प्रभाव नहीं होते वहीं इनकी कीमत भी बहुत अधिक नहीं होती। चिकित्सा जगत में होम्योपैथी के योगदान को मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homeopathy Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन होम्योपैथी के संस्थापक, जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन (Dr Christian Friedrich Samuel Hahnemann) के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य चिकित्सा के एक रूप में होम्योपैथी के बारे में जागरूकता फैलाना और इसकी सफलता दर में सुधार की दिशा में कार्य करना है। हमारे देश में भी होम्योपैथी का तेजी से विस्तार हो रहा है। हमारे जिले जौनपुर के हर क्षेत्र में भी होम्योपैथी क्लीनिक देखे जा सकते हैं। हालांकि लोगों में होम्योपैथी के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ साथ अभी भी लोगों के मन में इस चिकित्सा पद्धति को लेकर कई भ्रांतियां हैं। उदाहरण के लिए, क्या इसके कोई दुष्प्रभाव होते हैं, क्या यह वास्तव में प्रभावी है या इससे उपचार में बहुत अधिक समय लगता है? तो आइए आज विश्व होम्योपैथी दिवस के मौके पर ऐसे ही कुछ मिथकों और उनके पीछे की सच्चाई के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही आइए यह भी समझते हैं कि होम्योपैथी के बारे में विज्ञान की क्या अवधारणा है?
होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली इस सिद्धांत पर आधारित है कि शरीर में यदि किसी पदार्थ के अधिक होने पर कोई बीमारी हो जाती है और यदि उसी पदार्थ का कम मात्रा में सेवन किया जाए, तो वह बीमारी ठीक हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि इस छोटी खुराक से शरीर का उपचार तंत्र उत्तेजित हो जाता है। होम्योपैथी का लक्ष्य शरीर की जन्मजात जीवन शक्ति के प्रवाह में सुधार लाना है जिससे शरीर स्वयं खुद को उपचारित कर सके। होम्योपैथी चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली दवाएं प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पदार्थों, जैसे पौधों और जानवरों के अर्क और खनिजों से प्राप्त की जाती हैं। इन पदार्थों को तनुकृत (बार-बार पतला) करके दवाएं तैयार की जाती हैं। कई होम्योपैथिक दवाओं को इतना पतला कर दिया जाता है कि उनमें से किसी भी मूल पदार्थ का पता नहीं चल पाता है।
होम्योपैथी के बारे में भी लोगों के बीच मिथक काफी प्रचलित हैं।
इसलिए, होम्योपैथी के बारे में कुछ सबसे आम मिथकों को दूर करना और यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि वास्तव में सच्चाई क्या है:
मिथक 1: होम्योपैथी एक बहुत धीमी प्रक्रिया है:
सच तो यह है कि होम्योपैथी एक धीमी प्रक्रिया नहीं है। बल्कि इसमें इलाज में लगने वाला समय मरीज़ पर और इस बात पर निर्भर करता है कि वह डॉक्टर के पास कब जाता है। गंभीर पुरानी बीमारी के इलाज के लिए निश्चित रूप से अधिक समय की आवश्यकता होती है। लेकिन किसी बीमारी के लक्षण दिखने के बाद मरीज़ जितनी जल्दी डॉक्टर के पास पहुंचे चिकित्सक के पास जाते हैं, उसका निदान भी उतनी ही जल्दी हो पाता है।
मिथक 2: इसकी दवाएं प्रयोगिक औषध हैं:
कई वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि होम्योपैथिक दवाएं कोई प्रयोगिक औषध प्रभाव नहीं उत्पन्न करती हैं। अब तक होम्योपैथिक दवाओं से दुनिया भर में लाखों लोगों का इलाज किया जा चुका है। सभी होम्योपैथिक दवाओं को तनुकृत किया जाता है, जिससे उनका उपयोग सुरक्षित हो जाता है।
मिथक 3: होम्योपैथिक दवाओं में सिर्फ पानी होता है:
यह सर्वथा गलत है। होम्योपैथी की सभी दवाएं तनुकरण और अनुक्रमण की एक संयुक्त प्रक्रिया से गुजरती हैं। वर्तमान में अब लगभग 4,000 होम्योपैथिक दवाएं उपलब्ध हैं और वे सभी साक्ष्य-आधारित हैं।
मिथक 4: होम्योपैथी शल्य चिकित्सा का एक विकल्प है:
यह एक और भ्रामक धारणा है जिसे व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। सच तो यह है कि होम्योपैथी शल्य चिकित्सा का विकल्प नहीं होती है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सर्जिकल स्थितियों का इलाज केवल शल्य चिकित्सा द्वारा किया जा सकता है, होम्योपैथी से नहीं।
मिथक 5: होम्योपैथी में किसी निदान की आवश्यकता नहीं होती है:
निदान और जांच किसी भी चिकित्सा पद्धति के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। और यह इस तथ्य से संबंधित है कि होम्योपैथी में भी आवश्यकता पड़ने पर सावधानीपूर्वक निदान, अनुसंधान और जांच की भी आवश्यकता होती है।
मिथक 6: होम्योपैथी दवाओं में स्टेरॉयड (steroids) होते हैं:
कई लोगों का मानना है कि होम्योपैथिक दवाओं में स्टेरॉयड होते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि स्टेरॉयड के बजाय, होम्योपैथिक दवाओं में केवल प्राकृतिक तत्व होते हैं। इसका एक प्रमाण यह है कि होम्योपैथिक दवाएं मीठी होती हैं जबकि स्टेरॉयड का स्वाद कड़वा होता है।
मिथक 7: होम्योपैथी के साथ कोई अन्य दवा का सेवन नहीं किया जा सकता:
होम्योपैथिक दवाएं लेते समय चिंता की कोई बात नहीं है। इनका सेवन अन्य दवाओं के साथ किया जा सकता है और इससे कीमोथेरेपी के कारण होने वाले कई दुष्प्रभावों को कम करने में भी मदद मिल सकती है। हालाँकि, कुछ मामलों में, यदि उपचार में हस्तक्षेप होता है तो चिकित्सक कुछ दवाओं को प्रतिबंधित कर सकते हैं।
मिथक 8: होम्योपैथिक दवाएं मधुमेह रोगियों के लिए नहीं हैं:
यद्यपि होम्योपैथिक दवाओं में ग्लूकोज के बजाय लैक्टोज नामक एक जटिल शर्करा होती है जो मधुमेह के रोगियों के लिए हानिकारक होती है, होम्योपैथिक दवाएं तरल रूप में भी उपलब्ध हैं, जो मीठा नहीं होती हैं।
मिथक 9: होम्योपैथी से गंभीर बीमारियों का इलाज संभव नहीं है:
वास्तव में, होम्योपैथी के द्वारा पुरानी और तीव्र दोनों बीमारियों का उपचार संभव है। इनमें उल्टी, बुखार और दस्त शामिल हैं। होम्योपैथी केवल उन स्थितियों के लिए प्रभावी नहीं है जहां तत्काल अस्पताल में भर्ती होने और संपूर्ण उपचार की आवश्यकता होती है।
वास्तव में, होम्योपैथी दुनिया भर में व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली चिकित्सा प्रणाली है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या को रोकने के लिए योग्य चिकित्सकों द्वारा उपयोग की जाने वाली सही प्रक्रियाओं और दवाओं को जानना हमेशा महत्वपूर्ण होता है। होम्योपैथी ने लाखों लोगों के लिए अच्छे परिणाम दिए हैं। और उपरोक्त मिथक बिल्कुल निराधार हैं। होम्योपैथी का उपयोग स्वास्थ्य स्थितियों की अत्यंत व्यापक श्रेणी के लिए किया जाता है।
सबसे आम रोग जिनके लिए लोग होम्योपैथिक उपचार लेना पसंद करते हैं, वे हैं:
- दमा
- कान के संक्रमण
- सूखा रोग
- मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ, जैसे अवसाद, तनाव और चिंता
- एलर्जी, जैसे खाद्य एलर्जी
- सूजन
- वात रोग
- उच्च रक्तचाप
कुछ चिकित्सक यह भी दावा करते हैं कि होम्योपैथी के द्वारा मलेरिया या अन्य बीमारियों का उपचार भी संभव है। हालांकि इसका समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं देखभाल उत्कृष्टता संस्थान’ (National Institute for Health and Care Excellence (NICE) भी किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के उपचार में होम्योपैथी का उपयोग करने की अनुशंसा नहीं करता है।
ऑस्ट्रेलिया (Australia) में, 2015 में, 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान परिषद' (National Health and Medical Research Council (NHMRC) ने उपलब्ध नैदानिक साक्ष्यों की अपनी समीक्षा के आधार पर होम्योपैथी पर एक वक्तव्य जारी करते हुए निष्कर्ष निकाला कि इस बात का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है कि होम्योपैथी किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए प्रभावी है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि साक्ष्य के मूल्यांकन में शामिल अध्ययनों को कई कठोर मानदंडों को पूरा करना आवश्यक था (उदाहरण के लिए, 150 से अधिक प्रतिभागियों का नमूना आकार, पद्धतिगत गुणवत्ता की उच्चतम रेटिंग और अन्य उपाय)। होम्योपैथी पर NHMRC का वक्तव्य इंगित करता है कि होम्योपैथी का उपयोग उन स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए नहीं किया जाना चाहिए जो पुरानी, या गंभीर हैं। आधुनिक विज्ञान में होम्योपैथी एक विवादास्पद विषय है। होम्योपैथी के सिद्धांत में अंतर्निहित कई प्रमुख अवधारणाएँ मौलिक वैज्ञानिक अवधारणाओं के अनुरूप नहीं हैं जैसा कि हम उन्हें समझते हैं।
होम्योपैथी की सुरक्षा और दुष्प्रभावों के बारे में विज्ञान की क्या अवधारणा है, आइए जानते हैं:
1. जबकि कई होम्योपैथिक उत्पाद अत्यधिक तनुकृत होते हैं, हो सकता है कि होम्योपैथिक के रूप में लेबल किए गए कुछ उत्पाद वास्तविक न हों; उनमें पर्याप्त मात्रा में सक्रिय तत्व हो सकते हैं, जिससे दुष्प्रभाव या दवा परस्पर क्रिया हो सकती है। इस प्रकार के होम्योपैथिक उत्पादों से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव की सूचना भी प्राप्त हुई है।
2. 2012 में की गई एक व्यवस्थित समीक्षा से यह निष्कर्ष निकला कि कुछ होम्योपैथिक उत्पादों (जैसे कि जिनमें पारा या लौह जैसी भारी धातुएं होती हैं जो अत्यधिक तनुकृत नहीं होते हैं) का उपयोग करने से या एक प्रभावी पारंपरिक उपचार के स्थान पर अप्रभावी होम्योपैथिक का उपयोग करने से प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं।
3. तरल होम्योपैथिक उत्पादों में अल्कोहल हो सकता है। FDA अनुमोदित पारंपरिक दवाओं की तुलना में इनमें अल्कोहल का उच्च स्तर हो सकता है।
4. होम्योपैथिक चिकित्सा इस तथ्य पर आधारित है कि प्राकृतिक तत्वों को तनुकृत करके ग्रहण करने से व्यक्ति के शरीर में उत्तेजना का अनुभव होता है। हालांकि इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
5. FDA द्वारा भी उपभोक्ताओं को होम्योपैथिक लेबल वाले विभिन्न उत्पादों के बारे में चेतावनी दी गई है। उदाहरण के लिए, 2017 में, इसके द्वारा उपभोक्ताओं को सचेत किया गया था कि कुछ होम्योपैथिक दाँत निकालने की गोलियों में विषाक्त पदार्थ बेलाडोना (belladonna) की अत्यधिक मात्रा थी। इसके अलावा 2015 में भी उपभोक्ताओं को होम्योपैथिक के रूप में लेबल किए गए अस्थमा उत्पादों पर भरोसा न करने की चेतावनी दी गयी थी, क्योंकि सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिए FDA द्वारा उनका मूल्यांकन नहीं किया जाता है।
सबसे अधिक कठोरता से किए गए नैदानिक अनुसंधान परीक्षणों की जांच करने वाली अत्यधिक सम्मानित संस्था 'कोक्रेन समीक्षाओं' (Cochrane reviews) द्वारा किए गए शोधों में भी प्रयोगिक औषध प्रभाव से परे होम्योपैथी के लाभ प्रमाणित नहीं हुए हैं। अतः अत्यधिक गंभीर एवं पुरानी बीमारियों के उपचार के लिए जो लोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के स्थान पर होम्योपैथी चुनते हैं, वे अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकते हैं। जो लोग इस बात पर विचार कर रहे हैं कि होम्योपैथी का उपयोग करना चाहिए या नहीं, उन्हें पहले एक पंजीकृत स्वास्थ्य चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
संदर्भ
https://t.ly/KO9c2
https://t.ly/kQykk
चित्र संदर्भ
1. होम्योपैथी की दवांए बेचते एक मेडिकल स्टोर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. होम्योपैथी की दवाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारत में एक होम्योपैथिक फार्मेसी में होम्योपैथिक दवाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. छोटे जानवरों के लिए होम्योपैथिक इलाज के बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. होम्योपैथिक गोलियों या ग्लोब्युल (globules) को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.