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बुनाई को दुनिया के सबसे प्राचीन शिल्पों में से एक माना जाता है। बुनाई के लिए प्रयोग होने वाला बैकस्ट्रैप करघा (Backstrap Loom), करघे का सबसे प्रारंभिक रूप है, जिसकी उत्पत्ति मेसोपोटामिया और मिस्र (Mesopotamia And Egypt) की प्रतिष्ठित सभ्यताओं में हुई थी। चलिए, आज दुनिया में बुनाई और बुनाई के लिए जरूरी करघे के इतिहास और सांस्कृतिक प्रभाव के बारे में जानने का प्रयास करते हैं। साथ ही आज हम हमारे जौनपुर में हाथ से बुनी जाने वाली बेहतरीन दरियों के बारे में भी जानेंग।
बुनाई, की जड़ें लगभग 12,000 साल पहले के नवपाषाण युग से जुड़ी हुई हैं। बुनाई प्रक्रिया की खोज से पहले भी, इसके मूल सिद्धांतों का उपयोग बाड़, आश्रय और सुरक्षात्मक टोकरियाँ बनाने के लिए किया जाता था। क्योंकि इन चीजों को बनाने के लिए पेड़ों की शाखाओं और टहनियों को आपस में जोड़ा या बुना ही जाता था।
बुनाई, कपड़ा उत्पादन करने की एक प्रमुख विधि मानी गई है। इसके अंतर्गत ऊर्ध्वाधर धागों के एक सेट (ताना) को क्षैतिज धागों के एक सेट (बाना) के साथ जोड़ा जाता है।
बुनाई, मैन्युअल (Manually) रूप से या मशीनों से की जा सकती है । इन यंत्रों को “करघा” कहा जाता है। करघा, की शुरुआत तो एक साधारण लकड़ी के फ्रेम से हुई थी, लेकिन समय के साथ यह एक परिष्कृत इलेक्ट्रॉनिक बुनाई मशीन (Sophisticated Electronic Knitting Machine) के रूप में विकसित हो गया है। हालाँकि आज बुनाई काफी हद तक एक मशीनीकृत प्रक्रिया बन गई है, लेकिन फिर भी हाथ से बुनाई का अभ्यास आज भी किया जाता है।
लगभग 20,000 से 30,000 साल पहले, प्रारंभिक इंसानों ने पौधों के रेशों को एक साथ मोड़कर पहली स्ट्रिंग (String) विकसित की थी। डोरी और धागे का उत्पादन करने की इस क्षमता ने बुनाई, कताई और सिलाई की नींव रखी। पाषाण युग के मनुष्यों द्वारा स्ट्रिंग और धागे के शुरुआती प्रयोगों से, पहली बार बुने हुए वस्त्रों का निर्माण हुआ। इस दौरान अनेक उपयोगी वस्तुएँ बनाने के लिए अलग-अलग आकार के धागों और डोरियों को एक साथ बाँधा और जोड़ा गया।
नवपाषाण युग के दौरान, मनुष्यों ने अपने बुनाई कौशल को और अधिक निखारा। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दौरान प्रत्येक घर में दैनिक उपयोग के लिए कपड़ा तैयार किया जाता था। हज़ारों वर्षों तक बुनाई एक परिवार केंद्रित गतिविधि बनी रही।
11वीं शताब्दी तक, आज उपयोग में आने वाले कई बुनाई पैटर्न (Knitting Pattern) का आविष्कार किया जा चुका था। अब कुशल बुनकरों ने अत्यधिक विशिष्ट कपड़े का उत्पादन करना शुरू कर दिया था। लगभग इसी समय, बुनाई का कार्य, पारिवारिक स्तर से उठकर विशिष्ट कार्यस्थलों की ओर स्थानांतरित होने लगा।
औद्योगिक क्रांति (1760-1815) के दौरान भाप और पानी से चलने वाले करघों के विकास के साथ ही कपड़ा बुनाई उद्योग में भी मशीनीकरण का उदय देखा गया। 1733 में फ्लाई शटल (Fly Shuttle) के आविष्कार ने बुनाई से कपड़े के उत्पादन की दर को दोगुना कर दिया, जिससे बुनकरों को बाने के धागे को मैन्युअल रूप से ताने में डालने की आवश्यकता समाप्त हो गई।
1800 के दशक की शुरुआत में जैक्वार्ड मशीन (Jacquard Machine) का विकास हुआ। यह एक क्रांतिकारी उपकरण था जो करघे को संचालित करने के लिए पंच कार्ड तंत्र (Punch Card Mechanism) का उपयोग करता था। इस यंत्र को आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान की नींव भी माना जाता है। जैक्वार्ड मशीन से सुसज्जित करघे पर बुने गए कपड़ों में अत्यधिक जटिल पैटर्न बनाए जा सकते हैं।
औद्योगिक क्रांति के दौरान कपड़ा उत्पादन में तकनीकी प्रगति ने बुनकरों की भूमिका को ही बदल दिया। बड़ी मात्रा में सस्ता कपड़ा आसानी से उपलब्ध हो गया, जिससे बुनाई एक विनिर्माण उद्योग के रूप में बदल गई। कपड़ा श्रमिकों ने आधुनिक श्रमिक आंदोलनों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज, हमारी अधिकांश कपड़ो की ज़रूरतें व्यावसायिक रूप से बुने हुए कपड़े से ही पूरी होती हैं।
बुनाई के लिए प्रयुक्त करघे ने दुनिया भर में समाजों के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को आकार देने में अहम् भूमिका निभाई है। लंबे समय से करघे पर तैयार किए गए वस्त्र, कलात्मक अभिव्यक्ति और धन और प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में काम करते रहे हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी करघे ने बहुत बड़ा प्रभाव छोड़ा है। करघों के आविष्कार और विकास ने कपड़ा उद्योग के विस्तार को प्रेरित किया, जिससे व्यापार, फैशन और प्रौद्योगिकी में प्रगति हुई।
हालांकि करघा प्रौद्योगिकी में तकनीकी प्रगति के बावजूद, पारंपरिक बुनाई तकनीक और हाथ से बनाए गए करघे आज भी सांस्कृतिक महत्व के प्रतीक के रूप में कई समाजों में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए हैं। आज भी दुनिया भर के कारीगर बुनाई की सदियों पुरानी कला का ही अभ्यास करते हैं, हाथ से बुने हुए कपड़े बनाते हैं जो उनके समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास को प्रतिबिंबित करते हैं।
हाल के वर्षों में, हस्तनिर्मित और कारीगर उत्पादों की लोकप्रियता ने हाथ से बुने हुए वस्त्रों की मांग को बढ़ावा दिया है। पारंपरिक बुनाई में फिर से बढ़ रही रुचि न कारीगरों के लिए फिर से आर्थिक रास्ते खोल दिए हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी इस प्राचीन शिल्प के संरक्षण में योगदान दिया है।
भारत को कपड़ा उत्पादन के सबसे पुराने केंद्र के रूप में जाना जाता है। आज भी कांचीपुरम की शानदार, हाथ से बुनी रेशम साड़ियों से लेकर बंगाल की जटिल जामदानी मलमल तक, भारतीय बुनकर ऐसे वस्त्र बुनते रहते हैं जो देश की विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिध्वनि करते हैं।
हमारे जौनपुर में भी विभिन्न प्रकार के हाथ से बुने हुए ऊनी कालीन, (जिन्हें दरी भी कहा जाता है।) स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार किए जाते हैं। पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके, ऊनी कालीन या दरी बनाने की कला जौनपुर जिले की मढि़या तहसील से सटे क्षेत्र में सदियों से लोकप्रिय रही है। इन उत्कृष्ट कालीनों को स्थानीय कारीगरों द्वारा सावधानीपूर्वक हाथ से बुना जाता है।
इन कालीनों को बनाने की प्रक्रिया में कुशल कारीगर ऊन का उपयोग करके जटिल पैटर्न और डिज़ाइन बनाते हैं।
ये दरियां अपने स्थायित्व, गर्माहट और सौंदर्यपूर्ण आकर्षण के लिए जानी जाती हैं। इन कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किए गए उत्पाद निर्यात के माध्यम से अन्य क्षेत्रों तक भी पहुंचते हैं। इससे कारीगरों को न केवल आजीविका मिलती है, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं। जौनपुर में विशेष रूप से, लगभग 85 औद्योगिक इकाइयाँ चल रही हैं, जिनमें करंजा कला के पास एक कपास मिल और आटा मिलें, खाद्य प्रसंस्करण और इस्पात विनिर्माण जैसे कई अन्य उद्यम शामिल हैं।
संदर्भ
Https://Tinyurl.Com/5h5rkt9x
Https://Tinyurl.Com/4m2e4v3f
Https://Tinyurl.Com/5edark8j
चित्र संदर्भ
1. टहनियों को काटते व्यक्ति और दरी की बुनाई करती एक महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, Look and Learn)
2. टहनियों की छत को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
3. हाथ से बुनाई करती युवती को दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
4. मशीनीकृत बुनाई की शुरुआत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. रेशों को प्रथक करती मशीन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. करघे के शुरुआती प्रयोग को दर्शाता एक चित्रण (rawpixel)
7. विद्युत संचालित करघे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. बुनाई करती महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
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