जौनपुर की एक मस्जिद को दर्शाने के लिए प्रयोग की गई एक्वाटिंट प्रिंटिंग क्या है?

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जौनपुर की एक मस्जिद को दर्शाने के लिए प्रयोग की गई एक्वाटिंट प्रिंटिंग क्या है?

फोटोग्राफी का जन्म आधिकारिक तौर पर 1822 में हुआ था, जब एक फ्रांसीसी आविष्कारक जोसेफ नाइसफोर निपस (Joseph Nicephore Niépce) ने पहली तस्वीर खींची थी। लेकिन फोटोग्राफी के आगमन से पहले लोग तस्वीर खींचने के लिए किन तरीकों का इस्तेमाल करते थे? यह समझने के लिए, हमें एक्वाटिंट प्रिंटिंग (Aquatint Printing) की प्रक्रिया को गहराई से समझने की ज़रूरत है। यह प्रक्रिया 18वीं सदी के अंत में टोन्ड प्रिंट (Toned Prints) तैयार करने की पसंदीदा विधि बन गई थी। एक्वाटिंट, इंटैग्लियो प्रिंट मेकिंग (Intaglio Printmaking) में उपयोग की जाने वाली एक तकनीक है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से रेखाओं के बजाय शेड्स “Shades” (छाया) चित्र बनाने के लिए किया जाता है। इसी कारण यह अक्सर जलरंग चित्र या वॉश चित्र (Wash Picture ) जैसा भी प्रतीत होता है। इंटैग्लियो मुद्रण की एक विधि है जहां छवि को एक सतह पर उकेरा जाता है, और नक्काशीदार रेखा या दबा हुआ भाग स्याही को बनाए रखता है। इस प्रक्रिया में, राल यानी पाउडर रोजिन (Powdered Rosin) जैसे एसिड-प्रतिरोधी सामग्री (Acid-Resistant Material) के बारीक कणों को गर्म करके तांबे की एक प्रिंटिंग प्लेट के संपर्क में लाया जाता है। फिर इस प्लेट को अम्ल यानी एसिड (Acid) के घोल में डुबोया जाता है। एसिड, धातु को कणों के चारों ओर संक्षारित करता है, जिसके परिणामस्वरूप छोटे इंडेंटेड सर्कल (Indented Circles) का एक दानेदार पैटर्न (Grainy Pattern) बनता है। मुद्रित क्षेत्रों के आकार को प्लेट के उन हिस्सों पर वार्निश (Varnish) लगाकर समायोजित किया जा सकता है जो अंतिम डिज़ाइन में सफेद दिखाई देने चाहिए। प्लेट द्वारा अम्ल के घोल में बिताए गए समय को बदलकर विभिन्न रंगों को प्राप्त किया जा सकता है। यह तकनीक पहली बार 1760 के दशक में फ्रांस में विकसित की गई थी। अठारहवीं सदी के अंत और उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में इसने ब्रिटेन में लोकप्रियता हासिल की। इसका उपयोग अक्सर अन्य इंटैग्लियो तकनीकों के संयोजन में भी किया जाता है।
'एक्वाटिंट' शब्द लैटिन शब्द 'एक्वा+'टिंट' (Aqua+'tint')' से मिलकर बना है, जहां एक्वा का अर्थ पानी और 'टिंट' का अर्थ रंग होता है, जो इस तकनीक द्वारा उत्पन्न प्रभावों का उपयुक्त वर्णन करता है। इस शब्द को इंग्लैंड के मानचित्र-निर्माता पॉल सैंडबी (Paul Sandby) द्वारा अपने काम के परिणामों का वर्णन करने के लिए गढ़ा गया था। एक्वाटिंट, उत्कीर्णन और ड्राई पॉइंट (Engraving And Drypoint) से अलग है, क्योंकि वहां छवि को एसिड के गलने से बने निशानों और रेखाओं से बनाया जाता है। लेकिन एक्वाटिंट में विभिन्न प्रकार के टोनल अंतर (Tonal Differences) बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। एक्वाटिंट, 1830 के दशक तक लोकप्रिय था, लेकिन बाद में टिंटेड लिथोग्राफी ने इसकी जगह ले ली। एक्वाटिंट 18वीं शताब्दी के अंत में, विशेष रूप से चित्रकारों के बीच, टोंड प्रिंट बनाने के लिए एक व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली विधि थी। हालांकि इसकी लोकप्रियता के बावजूद, एक्वाटिन्ट्स की जटिल बनावट को फ्रांसिस्को गोया (Francisco Goya) को छोड़कर, ज्यादातर प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा अनदेखा किया गया था। फ्रांसिस्को गोया को इस तकनीक का अग्रणी गुरु माना जाता है। फ्रांसिस्को गोया के निधन के बाद, एक्वाटिंट की लोकप्रियता घटने लगी लेकिन एडगर डेगास (Edgar Degas), केमिली पिसारो (Camille Pissarro) और मैरी कसाट (Mary Cassatt) सहित कुछ कलाकारों के एक समूह ने फिर से इस पर प्रयोग करना शुरू कर दिया। 20वीं सदी में एक अन्य तकनीक, शुगर एक्वाटिंट “” (जिसे शुगर लिफ्ट (Sugar Lift) के रूप में भी जाना जाता है) ने पाब्लो पिकासो (Pablo Picasso) और जॉर्जेस राउल्ट (Georges Rouault ) जैसे चित्रकारों के प्रयासों के कारण लोकप्रियता हासिल कर ली। इसके अतिरिक्त, आधुनिक प्रिंट निर्माता भी अक्सर पारंपरिक राल के स्थान पर दबावयुक्त प्लास्टिक स्प्रे (Plastic Spray) का उपयोग करते हैं। ऊपर दिए गए चित्र में थॉमस डेनियल (Thomas Daniels) द्वारा बनाई गई "मस्जिद एट जौनपुर (Masjid At Jaunpur)" शीर्षक वाली एक कलाकृति को दिखाया गया है। इसे भारत की सबसे पहली ओरिएंटलिस्ट एक्वाटिंट पेंटिंग (Orientalist Aquatint Paintings) में से एक माना जाता है। यह कलाकृति कला प्रिंटों के संग्रह का एक हिस्सा है।
दिलचस्प बात यह है कि विलियम होजेस (William Hodges) द्वारा इसके प्रवेश द्वार का एक पूर्व चित्रण भी मौजूद है। इस चित्रण को "सेलेक्ट व्यूज़ इन इंडिया (Select Views In India)" नामक श्रृंखला में "चुनारगढ़ में एक मस्जिद का दृश्य" शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया था। चुनारगढ़, या चुनार, गंगा नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध स्थल है। कई ब्रिटिश यात्री विभिन्न संरचनाओं की खोज के लिए यहां पर रुके थे। डेनियल के समय में, चट्टान के शीर्ष पर स्थित पुराने मुगल किले का उपयोग घायल या बीमार यूरोपीय सैनिकों के लिए एक स्टेशन के रूप में किया जाता था।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2zkuj72b
https://tinyurl.com/mzunn3kz
https://tinyurl.com/5dx973fe
https://tinyurl.com/ycznnd2f

चित्र संदर्भ
1. थॉमस डेनियल द्वारा बनाई गई "मस्जिद एट जौनपुर (Masjid At Jaunpur)" शीर्षक वाली एक कलाकृति को संदर्भित करता एक चित्रण (tallengestore)
2. एक्वाटिंट करती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. मुद्रित एक्वाटिंट के प्रदर्शन अनुभाग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. फ़िलिबर्ट-लुई डेब्यूकोर्ट नामक एक्वाटिंट प्रिंट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia) 5. एक्वाटिंट बॉक्स, जिसका उपयोग प्लेट पर रेज़िन पाउडर लगाने के लिए किया जाता है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. फ्रांसिस्को गोया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. थॉमस डेनियल द्वारा बनाई गई "मस्जिद एट जौनपुर" शीर्षक वाली एक कलाकृति को संदर्भित करता एक चित्रण (tallengestore)

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