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जौनपुर को अपने ऐतिहासिक 'शाही' किलों और भव्य मस्जिदों के लिए जाना जाता है। लेकिन यहां पर एक और ऐसी संरचना है, जो बहुत पुरानी है और ज़िले के संचालन में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। हम बात कर रहे हैं, “जौनपुर नगर निगम (Jaunpur Municipal Corporation)” की, जो 21 विकास खंडों में बंटा हुआ है। आज के इस लेख में हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर एक शहर को नगर पालिका, ज़िले और ब्लॉक जैसी छोटी इकाइयों में क्यों विभाजित किया जाता है? साथ ही हम यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर नगर निगम के पास इस पूरी व्यवस्था को संचालित रखने के लिए पैसा कहाँ से आता है? तो चलिए यह सब समझने की, शुरू करें पूरी कार्यवाही!
भारत में, एक राज्य को व्यवस्थित रूप से प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें ज़िलों और ब्लॉकों (districts and blocks) के रूप में जाना जाता है।
इनमे से प्रत्येक इकाई की अपनी अलग ज़िम्मेदारियाँ और भूमिकाएँ होती हैं:
➦ज़िला: ज़िला किसी भी राज्य के भीतर प्राथमिक प्रशासनिक प्रभाग होता हैं। इसकी ज़िम्मेदारियों में न्याय प्रशासन और कानून व्यवस्था बनाए रखना तथा शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक सेवाओं का प्रावधान शामिल है। इस प्रकार एक ज़िला, राज्य के प्रशासनिक ढांचे की रीढ़ के रूप में कार्य करता है।
➦ब्लॉक: ब्लॉक ज़िलों के भीतर स्थित छोटे प्रशासनिक उपविभाग होते हैं। ये ज़मीनी स्तर पर विकास कार्यक्रमों और योजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ब्लॉक, ज़िला प्रशासन और ग्राम-स्तरीय संस्थानों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी प्रदान करके, और यह सुनिश्चित करते हैं कि विकास कार्यक्रमों का लाभ सभी इच्छित लाभार्थियों तक पहुंचे।
किसी भी राज्य को ज़िलों और ब्लॉकों के रूप में विभाजित कर देने से वहां पर प्रशासन करना और सुविधाओं को वांछित व्यक्ति तक पहुचाना आसान हो जाता है। इस विकेंद्रीकरण से स्थानीय स्तर पर अधिक कुशल और प्रभावी निर्णय लेने तथा सेवा वितरण करना आसान हो जाता है। इसके अलावा, यह व्यवस्था सरकार को राज्य के भीतर विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों की विविध आवश्यकताओं को समझने, और उनपर अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाती है।
भारत में 100,000 या उससे अधिक की आबादी वाले शहर के प्रशासन की ज़िम्मेदारी नगर पालिका के कंधों पर होती है। इसे नगर परिषद या नगर पालिका परिषद के रूप में भी जाना जाता है। नगर पालिकाएँ स्थानीय स्वशासन का एक रूप हैं, जिसे संवैधानिक (74वें संशोधन) अधिनियम, 1993 (Constitution (74th Amendment) Act, 1993) में उल्लिखित कुछ कर्तव्य और ज़िम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इस संशोधन के अनुच्छेद 243Q के तहत, प्रत्येक राज्य में ऐसी इकाइयाँ स्थापित करना अनिवार्य हो गया है।
इन स्थानीय निकायों की संरचना त्रि-स्तरीय होती है, जिसमें शामिल हैं:
➦ नगर निगम
➦ नगर पालिका/नगर परिषद
➦ टाउन बोर्ड (Town Board)
इन स्थानीय निकायों द्वारा अपने द्वारा प्रशासित क्षत्रों में सुविधाओं को प्रदान करने और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सुचारू रूप से धन की आवश्यकता पड़ती है। ये फंड विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
➦ कर राजस्व (Tax Revenue): इसमें मकान, मनोरंजन, बिजली, पानी (कुछ शहरों में), वाहन, संपत्ति और भूमि पर वसूला जाने वाला कर शामिल हैं। ये कर नगर निकाय की आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
➦ टोल टैक्स (Toll Tax): टोल टैक्स नगर पालिका के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत होता है। ऑटो रिक्शा (auto rickshaws) को छोड़कर सभी वाणिज्यिक वाहनों से टोल टैक्स वसूला जाता है।
➦ वाणिज्यिक गतिविधियाँ: नगर निकाय वाणिज्यिक गतिविधियों जैसे होटल, पर्यटन केंद्र और नगरपालिका संपत्ति के किराये और बिक्री से भी आय उत्पन्न करते हैं।
➦ वित्तीय अनुदान और ऋण: राज्य सरकार से वित्तीय अनुदान सभी नगर निकायों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत साबित होता है। यदि नागरिकों के कल्याण के लिए विशेष परियोजनाएँ चलाई जाती हैं, तो राज्य सरकार से ऋण भी प्रदान किया जाता है।
➦ व्यावसायिक कर: यह कर सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के सभी नियोक्ताओं से एकत्र किया जाता है।
संक्षेप में समझें तो आय के ये विविध स्रोत नगर निगम निकायों को अपने संबंधित शहरों और कस्बों को प्रभावी ढंग से प्रशासित करने, आवश्यक सेवाओं के प्रावधान और विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में सक्षम बनाते हैं। हालांकि इस पूरी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए होनहार और बौद्धिक रूप से सक्षम अधिकारियों की भी आवश्यकता पड़ती है। इस संदर्भ में हमारे जौनपुर के माधोपट्टी नामक एक गांव के योगदान के बारे में सुनकर आप भी गदगद हो जायेंगे।
दरअसल हमारे जौनपुर ज़िले का एक छोटा सा गाँव “माधोपट्टी”, 51 से अधिक आईएएस और पीसीएस (51 IAS and PCS (Provincial Civil Services) अधिकारियों के गृहनगर के तौर पर उल्लेखनीय प्रतिष्ठा अर्जित कर चुका है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गाँव के लगभग 75 परिवारों के होनहार आईएएस, भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), और आईपीएस (IPS) जैसे सिविल सेवा क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे हैं, या दे चुके हैं।
इस गांव के उम्मीदवार लगातार यूपीएससी परीक्षाओं (UPSC examinations) में सफल हुए हैं, और उनकी सफलता का श्रेय उनके समर्पण और कड़ी मेहनत को जाता है। गाँव की उपलब्धि का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि स्थानीय त्योहारों के दौरान, गाँव की सड़कें, लाल और नीली बत्ती लगी कारों से अटी रहती हैं, जो यहाँ पर अधिकारियों की उच्च संख्या का संकेत देती हैं।
दिलचस्प बात यह है कि यह उपलब्धि केवल पुरुषों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस गांव की कई महिलाएं भी बिना किसी कोचिंग कक्षा या प्रशिक्षण के भी आईएएस और आईपीएस जैसे उच्च अधिकारी पद तक पहुंची हैं!
माधोपट्टी को पहली बार तब पहचान मिली जब एक ही परिवार से कई आईएएस अधिकारी निकल गए। 1995 में इस गांव के विनय सिंह आईएएस अधिकारी बने, उनके बाद उनके भाई छत्रपाल सिंह, अजय कुमार सिंह और शशिकांत सिंह सिविल सेवा अधिकारी बने। 1955 में परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विनय कुमार सिंह बिहार के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए, और उनके भाई छत्रपाल सिंह ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया। आज माधोपट्टी गाँव, सिविल सेवा के क्षेत्र में सफलता और ईमानदारी का प्रतीक बन गया है। माधोपट्टी की यह कहानी एक समुदाय के भविष्य को आकार देने में शिक्षा और समर्पण की शक्ति को रेखांकित करती है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/y42khxm9
https://tinyurl.com/3tn4me5f
https://tinyurl.com/zusnhvhj
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर की नगर पालिका परिषद् के गेट को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. भारत की प्रशासनिक संरचना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कार्यालय नगर पालिका को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक टोल गेट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मानचित्र में माधोपट्टी गांव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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