समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 726
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
रूमी उन मशहूर सूफीयों में से एक है जिन्होंने शायरी को लोगों तक सूफ़ीवाद को पहुँचाने का माध्यम बनाया।
आखिर क्या है सूफ़ीवाद?
मान्यता है कि सूफ़ीवाद इराक के बसरा नगर में तक़रीबन कुछ एक हज़ार साल पहले जन्मा, जिसकी प्रथम अन्वेषक राबी-अल-अदावियाह नाम की औरत थी। राबिया, अल ग़ज़ाली, अल अदहम, अत्तार, रूमी, हाफ़िज़ और ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती कुछ मशहूर सूफी शख़्सियत हैं। सूफीवाद इस्लाम का एक रहस्यवादी पंथ है और वे मानते हैं कि उनका स्त्रोत खुद पैगम्बर मुहम्मद हैं। सूफ़ी नाम कैसे मिला इसका कोई ठोस मत नहीं है, कुछ लोगों के हिसाब से ये उन्नी शब्द सोफोस (Sophos) मतलब ज्ञान से निकला है, कुछ लोगों के हिसाब से इसका मूल अरबी शब्द सफ़: (पवित्र) से है और किसी का यह मानना है कि सूफी यह शब्द सुफ़ (ऊन) से आया क्यूंकि सूफी दरवेश ऊन से बने कपड़े पहनते थे। सूफ़ियों के तरीके अथवा सिलसिले होते हैं जो उनके गुरु, उनके मुर्शिद के नाम से जाने जाते हैं जैसे चिश्ती, मदरिया, बेक्ताशी, नक्शबंदी, निमातुल्लाही आदि। सूफी संतों को फ़क़ीर अथवा दरवेश कहते हैं।
जौनपुर में मदरिया सिलसिला-
मदरिया सिलसिला के प्रथम अन्वेषक थे सूफी संत सईद बदिउद्दीन जिंदा शाह मदार जिन्हें क़ुतुब उल मदर के नाम से जाना जाता था।
मदरिया सिलसिला सामजस्यपूर्ण धारणा, कर्मकांड से ज्यादा धिक्र पर ज़ोर देने में, जिसमें आप अपने मन में अल्लाह का नाम स्मरण करते हैं, इन सिद्धांतों पर खड़ा हुआ है।
मदरिया सिलसिला का प्रसार बिहार से उत्तरप्रदेश और बंगाल की तरफ हुआ और उसके प्रचार एवं प्रसार में सबसे बड़ा हाथ था शर्की सुल्तानों का। जौनपुर सुलतान इब्राहिम शर्की ने मदरिया सिलसिला को राजाश्रय दिया। हज़रत मीर अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी ने सुल्तान इब्राहिम शाह शर्की को एक ख़त लिखा था जिसमें पूरे उत्तर भारत के प्रमुख सिलसिलों के बारे में लिखा था और जिसमें मदरिया सिलसिला बहुत ज्यादा प्रसिद्ध था। सूफी संत सईद बदिउद्दीन जिंदा शाह मदार जौनपुर सुल्तान इब्राहिम शाह शर्की के बहुत करीबी सल्लागार एवं मुख्य वज़ीर थे। उनके गुजर जाने पर सुल्तान इब्राहिम ने उनकी कब्र पर दरगाह बनवाई। यह दरगाह मकानपुर, ज़िला कानपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
1. सोशल एंड कल्चरल हिस्ट्री ऑफ़ बंगाल वॉल्यूम 1: अब्दुर रहीम
2. मदरिया सिलसिला इन इंडियन पर्सपेक्टिव: आनंद भट्टाचार्य
3. रसैल-अर-रोवी-जिलिद 1, 2 और 3: हज़रत मौलवी जलालुद्दीन अहमद रसैल-अर-रोवी
4. सूफ़ी सेंटस एंड श्राइन्स इन इंडिया: जॉन ए. सुभान
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.