समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 24- Mar-2024 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2157 | 274 | 2431 |
‘काव्य’ शब्द न केवल संस्कृत भाषा की शब्दावली का एक हिस्सा है, बल्कि, यह भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी एक आम शब्द है। काव्य को प्रायः कविता, तथा काव्यशास्त्र को काव्यात्मक कहा जाता है। परंतु भारतीय ग्रंथों के अनुसार, काव्य का मुख्य उद्देश्य सौंदर्यपरक न होकर नैतिक है। अतः आइए आज जानते हैं कि, वास्तव में काव्य और कविता का अर्थ क्या है? साथ ही, काव्य और कविता के बीच अंतर को भी समझते हैं।
काव्य, अत्यंत प्राचीन काल से ही भारत में महाकाव्यों के रूप में प्रचलित एक संस्कृत साहित्यिक शैली है। काव्य को छंदशास्र का पर्याय भी माना जा सकता है, जिसमें अलंकारों की एक विस्तृत श्रृंखला भी विकसित की गई है। इनमें रूपक और उपमा अलंकार प्रमुख हैं। इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण अलंकार अतिशयोक्ति है। काव्य में एक विशेष प्रभाव प्राप्त करने के लिए, भाषा का सावधानीपूर्वक उपयोग किया जाता है। जबकि, कभी-कभी पांडित्य का दिखावटी प्रदर्शन, और विविध तथा जटिल छंदों का कुशल उपयोग किया जाता है।
काव्य शैली कीशास्त्रीय अभिव्यक्ति तथाकथित महाकाव्य (“महान कविता”),लयबद्ध गीतों और संस्कृत रंगमंच के माध्यम से की जाती है। अश्वघोष, कालिदास, बाना, दंडिन, माघ, भवभूति और भारवि आदि इसी काव्य के महान प्रणेता या कहें कि स्वामी थे।
डॉ. गणेश त्र्यंबक देशपांडे द्वारा लिखित ‘भारतीय साहित्यशास्त्र’ के अनुसार, भारतीय काव्यशास्त्र लगभग दो हजार वर्षों की अवधि में कुछ चरणों में विकसित हुआ है।भारतीय काव्यशास्त्र ने अपनी विशेष परिपक्वता एक अत्यंत लंबी अवधि के दौरान प्राप्त की है। उन्होंने अपनी पुस्तक में, काव्यशास्त्र के विकास के पांच चरणों की गणना की है। वे चरण निम्नलिखित हैं–
१.क्रियाकल्प (लगभग दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व);
२.काव्यलक्षणा (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईसवी तक);
३.काव्य-अलंकार (छठी शताब्दी ईसवी से 850 ईसवी तक );
४.साहित्य (850 ईसवी से 1100 ईसवी तक); और,
५.साहित्य-पद्धति (1100 ईसवी से 1650 ईसवी तक )
गणेश त्र्यंबक देशपांडे जी के अनुसार, भरत का नाट्यशास्त्र, भारतीय काव्यशास्त्र (क्रियाकल्प) के पहले चरण का प्रतिनिधित्व करता हैं। जहां कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, मंच प्रबंधन और सौंदर्य प्रसाधनों के विविध तत्वों ने सामंजस्यपूर्ण ढंग से मिलकर, एक आनंददायक नाटक अर्थात, ‘दृश्य-काव्य’ का सफलतापूर्वक निर्माण किया है।
जबकि, दूसरे चरण (काव्यलक्षणा) के दौरान, काव्यशास्त्र रंगमंच से स्वतंत्र हो गया। इस दौरान ज्यादातर काव्य के सामान्य स्वरूप को लेकर मतभेद भी रहे। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईसवी तक इस अवधि को भामह और दंडिन के कार्यों द्वारा चिह्नित किया गया है।
छठी शताब्दी ईसवी से 850 ईसवी तक तीसरे चरण (काव्य-अलंकार) में, भामह और दंडिन से लेकर रुद्रत तक,अलंकार (अलंकरण), गुण (लक्षण) और रस की अवधारणाओं को थोड़ी अधिक स्पष्टता प्राप्त हुई। इस समय, कविता के साथ जुड़े विशिष्ट सौंदर्य (सौंदर्यम या शोभा) और अत्यधिक आनंददायक कविता रचने के साधनों पर चर्चा हुई।
चौथा चरण साहित्य और व्याकरण की बुनियादी अवधारणाओं के विश्लेषण और समझ का काल था। यह मम्मा से आनंदवर्धन तक, लगभग, 850 से 1100 ईसवी तक का काल था। इसी काल में काव्य अलंकार, द्वाणी आदि की पूर्व अवधारणाओं से स्वतंत्र हो गया।
और, पांचवा चरण (साहित्य-पद्धति) कविता के सभी पहलुओं का व्यवस्थित अध्ययन था। यह वह काल था जो, 1100 ईसवी से 1650 ईसवी तक चला था, और, यह जगन्नाथ पंडिता के साथ समाप्त हुआ।
दरअसल, “काव्य” और “कविता” समान शब्द हैं, क्योंकि, ये दोनों ही शब्द पद्य में लिखी गई साहित्यिक कृतियों को संदर्भित करते हैं। हालांकि, दोनों के बीच कुछ अंतर हैं। “काव्य” एक संस्कृत शब्द है, जो विशेष रूप से एक साहित्यिक कार्य को संदर्भित करता है। यह कुछ विशेषताओं का प्रतीक भी है, जैसे कि, परिष्कृत भाषा का उपयोग, ज्वलंत कल्पना, भावनाओं और सौंदर्यशास्त्र पर ध्यान केंद्रित करना। काव्य आमतौर पर भारतीय साहित्य, विशेषकर शास्त्रीय संस्कृत साहित्य से जुड़ा है।
दूसरी ओर, “कविता” एक अधिक सामान्य शब्द है जो भाषा या सांस्कृतिक संदर्भ की परवाह किए बिना, पद्य में लिखे गए साहित्यिक कार्यों को संदर्भित करता है। जबकि, कविता काव्य की कुछ विशेषताओं को भी अपना सकती है, और इसके कई अलग-अलग रूप और शैलियां भी हो सकती हैं।
संदर्भ
http://tinyurl.com/yndtzvy2
http://tinyurl.com/5er79vk5
http://tinyurl.com/3eydzzv7
चित्र संदर्भ
1. हिन्दी काव्य बनाम कविता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, प्रारंग चित्र संग्रह)
2. हिंदी पांडुलिपि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. डॉ. गणेश त्र्यंबक देशपांडे द्वारा लिखित ‘भारतीय साहित्यशास्त्र' को संदर्भित करता एक चित्रण (Amazon)
4. गोस्वामी तुलसीदास अवधी हिंदी कवि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. माँ पर लिखी गई एक कविता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.