भारत की सन फार्मास्युटिकल और सिप्ला कैसे बनी दुनिया की दिग्गज फार्मा कंपनियां?

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20-02-2024 09:26 AM
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भारत की सन फार्मास्युटिकल और सिप्ला कैसे बनी दुनिया की दिग्गज फार्मा कंपनियां?

आज हमारा देश भारत तीव्र गति से विकास कर रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था सबसे मजबूत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसका एक प्रमुख कारण देश के विभिन्न उद्योग एवं व्यापार हैं। औषधीय (Pharmaceutical) और जैव प्रौद्योगिकी (Biotech) क्षेत्र में भी हमारे देश भारत का वैश्विक स्तर पर एक अहम स्थान है। देश में कई फार्मास्युटिकल कंपनियां हैं, जो देश को दिन प्रति दिन नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रही हैं। भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग मात्रा के हिसाब से फार्मास्युटिकल उत्पादन के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। इस क्षेत्र में सन फार्मास्युटिकल (Sun Pharmaceutical) और सिप्ला (Cipla) दोनों भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनियां हैं। कोई अन्य कंपनी शायद ही इन दोनों कंपनियों की बराबरी करने या उनसे आगे निकलने में सक्षम है। तो आइए आज इन दोनों शीर्ष कंपनियों, उनके उत्पादों और बाजार पर इनकी पकड़ के विषय में जानते हैं। 1983 में स्थापित, सन फार्मा, एक वैश्विक फार्मास्युटिकल फर्म है जो लगभग 40 विनिर्माण सुविधाओं के साथ दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में फार्मास्युटिकल सूत्रण (pharmaceutical formulations) और सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (Active Pharmaceutical Ingredients (APIs) विकसित करती और बेचती है। इसके API उत्पादों में एब्सोरिका (Absorica), एकैम्प्रोसेट कैल्शियम (Acamprosate Calcium), एलेंड्रोनेट सोडियम (Alendronate Sodium), एमीफोस्टीन ट्राइहाइड्रेट (Amifostine trihydrate), बुडेसोनाइड (Budesonide) और कार्वेडिलोल (Carvedilol) शामिल हैं।
इसके अलावा सन फार्मा द्वारा मनोचिकित्सा, संक्रमणरोधी, न्यूरोलॉजी, हृदयरोगविज्ञान, आर्थोपेडिक, मधुमेह विज्ञान, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, नेत्र विज्ञान, वृक्‍कविज्ञान, मूत्रविज्ञान, त्वचाविज्ञान, स्त्री रोग, श्वसन, कैंसरविज्ञान, दंत चिकित्सा आदि से संबंधित एवं पोषण प्रदान करने वाली दवाएं विकसित की जाती हैं। दुनिया भर में इस फर्म के कई अनुसंधान और विकास केंद्र (R&D) हैं, जिनमे 50 से अधिक देशों के 37,000 से अधिक बहुसांस्कृतिक कर्मचारी कार्यरत हैं। ब्राज़ील (Brazil), मैक्सिको (Mexico), रूस (Russia), रोमानिया (Romania) और दक्षिण अफ़्रीका (South Africa) जैसे देशों में इसका व्यापार अति शीघ्रता से फैल रहा है। कंपनी द्वारा टैबलेट, कैप्सूल, इंजेक्शन, इन्हेलर, मलहम, क्रीम और द्रव पदार्थ सहित विभिन्न खुराक रूपों में लगभग 2000 उच्च गुणवत्ता वाले यौगिकों के साथ उत्पाद तैयार किये जाते हैं। सन फार्मा के स्टार्टअप की कहानी गुजरात के वापी में तब शुरू हुई, जब कंपनी के संस्थापक और प्रबंध निदेशक, दिलीप सांघवी ने, अपने पिता के जेनरिक दवाओं के डीलरशिप के व्यवसाय को छोड़कर, दूसरों द्वारा निर्मित दवाओं को बेचने के बजाय, अपनी फार्मास्यूटिकल्स का उत्पादन करने पर विचार किया। दिलीप सांघवी ने केवल 10,000 रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ अपना पहला विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया। शुरुआती दिनों में यह फार्मा कंपनी केवल मनोरोग संबंधी दवाएं बनाती थी लेकिन जल्द ही कंपनी का कारोबार पूरे देश में फैल गया। और 1997 तक सन फार्मा द्वारा एक अमेरिकी कंपनी काराको फार्मा (Caraco Pharma) का अधिग्रहण भी कर लिया गया। सन फार्मा का दृष्टिकोण "मूल्यवान दवाओं के अग्रणी प्रदाता के रूप में वैश्विक स्तर पर लोगों तक पहुंचना" है। कंपनी ऐसी दवाएं पेश करना चाहती है जो अधिकांश लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती हों। वर्तमान में सन फार्मा द्वारा गले के उपचार के लिए फरिंगोसेप्ट (Faringosept), मल्टीविटामिन रिवाइटल (Revital), सामयिक दर्दनाशक दवाओं के लिए वोलिनी (Volini) जैसे ब्रांड नामों के साथ चिकित्सीय खंडों, विशेष दवाओं, जेनेरिक दवाओं और ओवर-द-काउंटर (over-the-counter (OTC)/उपभोक्ता स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों की एक विस्तृत विविधता का उत्पादन किया जाता है। इसके अतिरिक्त कोल्डएक्ट और फ्लुस्टैट (Coldact & Flustat), ब्रस्टन (Brustan), पेनामोल और पैडुडेन (Painamol & Paduden), गेस्टिड (Gestid), एस्पेंटर (Aspenter), एस्पाकार्डिन (Aspacardin), चेरिकोफ (Chericof) और न्यूड्रेट और फोर्टिफिकाट (Nudrate & Fortifikat) जैसे ब्रांडों की अन्य औषधियों का उत्पादन भी किया जाता है।
सन फार्मा के उत्पादों की 72% से अधिक बिक्री भारत से बाहर के बाजारों में होती है, मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में। संयुक्त राज्य अमेरिका सन फार्मा के लिए सबसे बड़ा बाजार क्षेत्र है जहां से कंपनी को अपने कुल राजस्व का 30% प्राप्त होता है। जबकि शेष राजस्व भारत, , अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में इसके 44 वैश्विक केंद्रों से प्राप्त होता है।
एक सर्वे के मुताबिक, भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जो सबसे सस्ती दवा उपलब्ध कराते हैं। भारत को यह श्रेय दिलाने में भारतीय फार्मा कंपनियों ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन्हीं कंपनियों में एक देश की तीसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी सिप्ला, एशियाई और अफ्रीकी देशों में भी एक बड़ा नाम है। यह कंपनी 86 देशों में दवा की आपूर्ति करती है। पिछले साल 14,518 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाने वाली सिप्ला का सफर काफी दिलचस्प रहा है। सिप्ला की शुरुआत एक छोटी लैब से हुई। इसकी स्थापना ख्वाजा अब्दुल हमीद ने की थी। हमीद 1923 में जामिया मिलिया इस्लामिया के रसायन विज्ञान विभाग में प्रवक्ता थे। पीएचडी (PhD) करने के लिए उन्होंने यहां से नौकरी छोड़ दी और जर्मनी चले गए। जर्मनी से पीएचडी करने के बाद जब हमीद 1927 में भारत लौटे तो उस समय चिकित्सा के क्षेत्र में भारत में जर्मनी का रुतबा कायम था। यहां बड़े पैमाने पर जर्मनी से दवाइयां आयात की जाती थीं। ऐसे में उन्होंने देश में फार्मास्युटिकल कारोबार को विकसित करने का संकल्प लिया। उनका मानना ​​था कि अगर देश को आगे ले जाना है तो तकनीक और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ना होगा। इसी विचारधारा के साथ उन्होंने 1935 में एक छोटी सी लैब शुरू की। प्रारंभ में उन्होंने इसका नाम 'इंडियन इंडस्ट्रियल एंड फार्मास्युटिकल केमिस्ट' (Indian Industrial and Pharmaceutical Chemist) रखा। हालाँकि, बाद में इसका नाम बदलकर सिप्ला कर दिया गया। उस दौरान HIV की रोकथाम के लिए ज्यादातर दवाओं के उत्पादन पर अमेरिका और यूरोप की कंपनियों का एकाधिकार था, जिसके कारण ये दवाएँ बहुत महँगी थीं। सिप्ला ने उस एकाधिकार को तोड़ने और सस्ती कीमतों पर ऐसी दवाएं बेचने का संकल्प लिया और घोषणा की कि वह HIV से पीड़ित महिलाओं को मुफ्त में दवा वितरित करेगी। सिप्ला के इस कदम से विदेशी कंपनियों को तगड़ा झटका लगा, विदेशी कंपनियों ने सिप्ला पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, लेकिन सिप्ला नहीं रुकी और साल दर साल तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती गई।
सिप्ला के गैर-कार्यकारी चेयरमैन डॉ. यूसुफ ख्वाजा हमीद का मानना है कि यदि पश्चिमी देशों की फार्मा कंपनियां आपस में पेटेंट की लड़ाई बंद कर दें, तो करोड़ों लोगों की जान बच सकती है। उनके ऐसे बयानों के कारण कंपनियां उन्हें 'समुद्री डाकू' कहती हैं। वहीं, अफ्रीका में HIV रोकथाम दवाओं की आपूर्ति के कारण उन्हें रॉबिनहुड के नाम से जाना जाता है। सिप्ला ने अपने विभिन्न उत्पादों के साथ पूरे भारत संग दक्षिण अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और अन्य प्रमुख विनियमित और उभरते बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। दुनिया भर में अपनी 47 विनिर्माण इकाइयों के साथ सिप्ला द्वारा 85 बाजारों के लिए 50 खुराक रूपों और 1,500 जेनेरिक उत्पादों का उत्पादन किया जाता है। कंपनी के पोर्टफोलियो में श्वसन, एंटी-रेट्रोवायरल (anti-retroviral), हृदयरोगविज्ञान, मूत्रविज्ञान, एंटी-संक्रामक (anti-infective), सीएनएस (CNS) और अन्य प्रमुख चिकित्सीय यौगिक और दवाएं शामिल हैं।
आइए अब आगे सिप्ला और सन फार्मास्युटिकल की वित्तीय स्थिति के विषय में तुलनात्मक रूप से देखते हैं:
वित्तीय वर्ष 2023 में सिप्ला और सन फार्मा का राजस्व साल दर साल 4.54% और 13.53% की वृद्धि के साथ क्रमशः 22,753.12 करोड़ रुपये और 43,885.68 करोड़ रुपये था। जबकि चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound annual growth rate (CAGRs) क्रमशः 8.91% और 10.85% दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2023 में साल दर साल 11.24% और 151.35% की वृद्धि के साथ सिप्ला और सन फार्मा का शुद्ध मुनाफा 2,832.89 करोड़ रुपये और 8,560.84 करोड़ रुपये रहा।
हालांकि राजस्व और शुद्ध लाभ वृद्धि के मामले में सन फार्मा ने सिप्ला से बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सन फार्मा की तुलना में सिप्ला का शुद्ध मुनाफा बढ़ा है, जबकि सन फार्मा के मुनाफ़े में पिछले पांच वर्षों में उतार चढ़ाव दर्ज किया गया है, हालांकि इसमें धीरे-धीरे सुधार भी हुआ है। फिलहाल दोनों कंपनियां राजस्व के मामले में अच्छी दर से बढ़ रही हैं। वित्त वर्ष 2023 में सिप्ला और सन फार्मा का परिचालन लाभ मार्जिन (Operating Profit Margins (OPM) पिछले 5 वर्षों में 20.46% और 23.44% की औसत से क्रमशः 21.93% और 25.50% रहा। इसी तरह 2023 में, सिप्ला और सन फार्मा का शुद्ध लाभ मार्जिन (Net Profit Margins (NPM) पिछले 5 वर्षों में 10.93% और 11.56% की औसत से क्रमशः 12.30% और 19.60% रहा। सिप्ला के OPM में साल दर साल वृद्धि दर्ज की जा रही है, जबकि सन फार्मा के OPM में उतार चढ़ाव देखा जा रहा है। हालांकि सिप्ला और सन फार्मा के NPM में सुधार हो रहा है। वास्तव में ये दोनों कंपनियां फार्मास्युटिकल उद्योग में अग्रणी हैं, जिनके पास भारत में दवा प्रबंधन और विनिर्माण में दशकों का अनुभव है। हालांकि सन फार्मा, फार्मास्युटिकल उद्योग की सबसे बड़ी कंपनी है और वित्तीय वृद्धि के मामले में इसने सिप्ला को पीछे छोड़ दिया है। दोनों ही कंपनियां अपनी अलग अलग दवाओं एवं उत्पादों के माध्यम से अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की क्षमता रखती हैं।

संदर्भ
https://t.ly/SraWy
https://shorturl.at/aiBGX
https://shorturl.at/bsFOT

चित्र संदर्भ
1. सन फार्मास्युटिकल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, needpix)
2. हाथ में इंजेक्शन के साथ खड़ी महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (The Hindu Chronicle)
3. सन फार्मास्युटिकल के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. दवाइयों के निर्माण को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. दवाइयों के परीक्षण को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. बाज़ार प्रदर्शन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)

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