जल वितरण प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. ओवरहेड वाटर टावर

मेरठ

 18-06-2021 09:32 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

भारत के शहरों में पारंपरिक रूप से जल भंडारण का मतलब था, पानी की झीलों या हौज, बाओली, सीढ़ियों वाले कुएं, मंदिर जलाशय आदि में होने वाला जल भंडारण। लेकिन ओवरहेड वाटर टावर (Overhead Water Towers) या जल मीनार, जिसमें पंप के माध्यम से पानी का संग्रहण किया जाता है, के आविष्कार के कुछ ही समय बाद इसकी शुरूआत भारत में भी हो गयी।अमेरिका (America) में 1860 का लुइसविले वाटर टावर (Louisville Water Tower),पानी के भंडारण के लिए इस तरह के दुनिया के सबसे शुरुआती पंपों में से एक है।लुइसविले वाटर टावर, लुइसविले, केंटकी (Kentucky) शहर के पूर्व में स्थित है, जो विश्व का सबसे पुराना सजावटी जल मीनार है, तथा इसे सबसे प्रसिद्ध वाटर टावर,शिकागो (Chicago) वाटर टावर से पहले बनाया गया था।वास्तविक जल मीनार और उसका पंपिंग स्टेशन दोनों ही अपनी वास्तुकला के लिए राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल के रूप में नामित किए गए हैं।वाटर टावर,एक प्रकार की ऊंची इमारत है, जो पानी की टंकी को सहारा देती है।पानी की टंकी को इतनी ऊंचाई पर इसलिए बनाया जाता है, ताकि पीने योग्य जल और अग्नि सुरक्षा हेतु आपातकालीन जल भंडारण प्रदान करने के लिए वितरण प्रणाली पर पर्याप्तरूप से दबाव बनाया जा सके।पानी के टावर,बिजली की कटौती के दौरान भी पानी की आपूर्ति करने में सक्षम हैं, क्यों कि वे घरेलू और औद्योगिक जल वितरण प्रणालियों में पानी को संचरित या वितरित करने के लिए पानी की ऊंचाई (गुरुत्वाकर्षण के कारण) द्वारा उत्पादित हाइड्रोस्टेटिक दबाव पर निर्भर हैं। हालांकि, वे बिजली के बिना लंबे समय तक पानी की आपूर्ति नहीं कर सकते, क्योंकि आमतौर पर टावर को फिर से भरने के लिए पंप की आवश्यकता होती है। जल मीनार या टावर एक जलाशय के रूप में भी कार्य करते हैं, क्यों कि जब पानी की खपत अत्यधिक होती है, तब इनकी मदद से ही पानी की जरूरतों को पूरा किया जाता है। जिस समय पानी का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है, उस समय टावर में पानी का स्तर कम हो जाता है,और फिर रात के दौरान पंप के जरिए टावर को फिर से भर दिया जाता है। भारत में इस प्रकार का दुनिया का सबसे बड़ा वाटर टावर 1911 में कोलकाता या कलकत्ता में स्थापित किया गया था, जिसे तल्ला या तल्लाह टैंक कहा जाता है।
इसे बनने में करीब दो वर्षों का समय लगा तथा अपने निर्माण के अनेकों वर्षों बाद भी यह शहर के लिए प्रमुख जल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।इस टैंक की जल धारण क्षमता 45,000 क्यूबिक मीटर है।गिरने की व्यापक आशंकाओं के बावजूद भी टावर ने द्वितीय विश्व युद्ध और बिहार और बंगाल में 1934 में आए भयानक भूकंपों को सहन किया।कोलकाता के निवासियों को फ़िल्टर्ड पानी की आपूर्ति के लिए लगभग 482 एकड़ भूमि पर यह टैंक बनाया गया था। भले ही 1911 में कलकत्ता में स्थापित किया गया तल्ला टैंक दुनिया का सबसे बड़ा वाटर टावर हो, लेकिन यह ध्यान देने योग्य बात है, कि भारत में इससे भी पहले वर्ष 1899 में एक वाटर टावर ब्रिटिश छावनी द्वारा मेरठ में स्थापित किया गया था। 122 साल पुराना मेरठ का यह जल टावर आज भी काम कर रहा है। इसका आकार मेरठ में उपयोग किए जा रहे आधुनिक वाटर टावरों की तुलना में बहुत अलग तथा अद्वितीय है। प्रत्येक मेरठ वासी अपने शहर की इस सबसे पुरानी पानी की टंकी से भली-भांति अवगत हैं।1890 के दशक में बनी इस पानी की टंकी को देखकर कोई भी इसकी उम्र का पता नहीं लगा सकता है। मेरठ में जिस समय इस पानी की टंकी का निर्माण किया गया था, तब एकमात्र यह ही पानी की आपूर्ति का साधन हुआ करती थी। जिनके पास आपूर्ति का कनेक्शन नहीं था, उन्हें नहर या हैंड पंप के ज़रिए पानी लेना पड़ता था।अंग्रेज़ों द्वारा 1910 में जारी किये गए मेरठ छावनी के चित्रों वाले पोस्टकार्ड में भी इस टंकी को एक प्रमुख स्थान दिया गया था, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है।
यह टंकी मेरठ के मुस्तफा महल (अब, कैसल व्यू) के ठीक सामने स्थित है।सदर बाज़ार के पीछे वेस्ट एंड रोड पर मौजूद इस टंकी की ज़िम्मेदारी वर्तमान समय में मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (Military Engineering Services) द्वारा निभाई जा रही है। मेरठ की यह टंकी भले ही अब पुरानी हो गयी है, लेकिन सेवा के नज़रिए से इसका महत्व वर्तमान समय में और भी अधिक हो गया है, तथा इसके जरिए आस-पास के इलाकों में आज भी पानी की आपूर्ति की जा रही है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3cKB1wG
https://bit.ly/3iK74kd
https://bit.ly/3ztMxGK
https://bit.ly/2UdYkcd
https://bit.ly/2SG9Nk2
https://bit.ly/3pVUBeQ

चित्र संदर्भ
1. आपूर्ति के लिए ओवरहेड टैंकों में भरा जाता है भूजल जिसका एक चित्रण (flickr)
2. तल्लाह पंपिंग स्टेशनका एक चित्रण (wikimedia)
3. मेरठ की पुरानी टंकी का दुर्लभ चित्र (prarang)

RECENT POST

  • पंचायती राज दिवस विशेष: जानें भारत में पंचायती राज का विकास क्यों व कैसे हुआ?
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     25-04-2024 09:34 AM


  • विश्व पुस्तक दिवस पर पांडुलिपियों का दर्शन, भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे में
    धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक

     24-04-2024 09:32 AM


  • आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     23-04-2024 10:26 AM


  • विश्व पृथ्वी दिवस पर जानें, क्या अंटार्कटिका को पर्यटन के लिए खुला होना चाहिए या नहीं?
    जलवायु व ऋतु

     22-04-2024 09:59 AM


  • ये हैं देश-दुनिया के सबसे सुंदर पक्षी, जिनकी एक झलक ही मन मोह लेती है
    पंछीयाँ

     21-04-2024 10:10 AM


  • महावीर ने कैसे साबित किया कि क्षमादान ही है, महादान
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     20-04-2024 10:07 AM


  • वाराणसी के एक अंग्रेज मानचित्रकार जेम्स प्रिंसेप ने किया था ब्राह्मी लिपि का गूढ़वाचन
    ध्वनि 2- भाषायें

     19-04-2024 09:41 AM


  • विश्वभर के संकटग्रस्त प्राकृतिक व् सांस्कृतिक विरासत स्थल, तथा इनके संरक्षण का महत्त्व
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     18-04-2024 09:46 AM


  • राम नवमी विशेष: कई समानताओं के बावजूद चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होते हैं, बड़े अंतर
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:37 AM


  • भारत में वस्त्र और हथकरघा क्षेत्र कैसे बना रोज़गार सृजन की आधारशिला
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     16-04-2024 09:37 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id