क्या आपने ओपेनहाइमर (Oppenheimer) फ़िल्म देखी है? इस फ़िल्म की कहानी, ‘प्लूटोनियम’ (Plutonium) के इर्द गिर्द घूमती है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे इस शक्तिशाली तत्व का इस्तेमाल, पहला परमाणु बम बनाने में किया गया और इसका दुनिया पर क्या असर हुआ। प्लूटोनियम एक दिलचस्प तत्व है। परमाणु विज्ञान में यह एक अहम भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों ने 1940 के दशक की शुरुआत में इसकी खोज की थी! यह परमाणु हथियार बनाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया था। ओपेनहाइमर फ़िल्म प्लूटोनियम बनाने की जटिलताओं को समझाती है। आज के इस लेख में, हम प्लूटोनियम के विभिन्न उपयोगों के बारे में जानेंगे। हम इसके भौतिक और रासायनिक गुणों को भी देखेंगे। अंत में, हम चर्चा करेंगे कि वैज्ञानिकों ने प्लूटोनियम की खोज कैसे की और यह परमाणु विज्ञान में क्यों महत्वपूर्ण है।
प्लूटोनियम की खोज, 1941 में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले (University of California, Berkeley) के वैज्ञानिकों ने की थी। इस टीम में जोसेफ़ डब्ल्यू. कैनेडी (Joseph W. Kennedy), ग्लेन टी. सीबॉर्ग (Glenn T. Seaborg), एडवर्ड एम. मैकमिलन (Edwin M. McMillan) और आर्थर सी. वोहल (Arthur C. Wahl) शामिल थे। उन्होंने साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) में ड्यूटेरॉन (Deuteron) के साथ यूरेनियम-238 (Uranium-238) पर बमबारी करके प्लूटोनियम की खोज की। इस प्रक्रिया से, नेपच्यूनियम-238 (Neptunium-238) का निर्माण हुआ, जो बाद में बीटा क्षय (Beta Decay) के माध्यम से प्लूटोनियम-238 में बदल गया। प्लूटोनियम रेडियोधर्मी (Radioactive) भी है, यानी इसके विभिन्न रूप हैं, जिन्हें आइसोटोप (Isotopes) कहा जाता है, जैसे 238, 239, 240, 241, 242, 244, क्षय होने पर विकिरण (Radiation) छोड़ते हैं।
इस महत्वपूर्ण खोज को 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) समाप्त होने के बाद तक जनता के साथ साझा नहीं किया गया था। सीबॉर्ग ने मार्च 1941 में प्लूटोनियम के बारे में एक शोध पत्र लिखा था, लेकिन इसे तुरंत प्रकाशित नहीं किया गया था। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि प्लूटोनियम-239 (Plutonium-239) का इस्तेमाल परमाणु बम (Atomic Bomb) बनाने के लिए किया जा सकता था। बाद में, सीबॉर्ग ने शिकागो विश्वविद्यालय (University of Chicago) में प्लूटोनियम उत्पादन प्रयोगशाला (Plutonium Production Lab) का नेतृत्व किया, जिसे मेट लैब (Met Lab) के नाम से भी जाना जाता है। यह गुप्त मैनहट्टन परियोजना (Manhattan Project) का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य युद्ध के दौरान परमाणु हथियार विकसित करना था।
18 अगस्त, 1942 को वैज्ञानिकों की टीम ने लगभग 1 माइक्रोग्राम (Microgram) की एक छोटी मात्रा में प्लूटोनियम बनाया। इससे उन्हें प्लूटोनियम का परमाणु भार (Atomic Mass) पता लगाने में मदद मिली। मैनहट्टन परियोजना ने अंततः "ट्रिनिटी टेस्ट" (Trinity Test) के लिए पर्याप्त प्लूटोनियम का उत्पादन किया, जो 16 जुलाई, 1945 को हुआ था। यह परीक्षण पहली बार था जब "द गैजेट" (The Gadget) नामक परमाणु बम को सोकोरो, न्यू मैक्सिको (Socorro, New Mexico) के पास विस्फ़ोटित किया गया था। लॉस एलामोस प्रयोगशाला (Los Alamos Laboratory) के निदेशक रॉबर्ट ओपेनहाइमर (Robert Oppenheimer) ने भगवद-गीता की एक पंक्ति को उद्धृत करके इस क्षण को याद किया।
ट्रिनिटी टेस्ट (Trinity Test) इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था। इस बम से करीब 20,000 टन, टी एन टी (TNT) के बराबर ऊर्जा निकली। इसके बाद युद्ध में इस्तेमाल किया गया पहला परमाणु बम, 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा (Hiroshima, Japan) पर गिराया गया। इस बम में यूरेनियम (Uranium) का इस्तेमाल किया गया था। इसके ठीक तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को नागासाकी (Nagasaki) पर "फैट मैन" (Fat Man) नामक दूसरा बम गिराया गया, जिसमें प्लूटोनियम (Plutonium) का इस्तेमाल किया गया था। इन घटनाओं ने द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई।
आइए, अब प्लूटोनियम के भौतिक और रासायनिक गुणों के बारे में जानते हैं!
भौतिक गुण (Physical Properties): प्लूटोनियम एक चमकदार, चांदी के रंग की धातु है। इसका परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass) 244 होता है। प्लूटोनियम, 641 डिग्री सेल्सियस (Degree Celsius) पर पिघलता है और 3232 डिग्री सेल्सियस पर उबलता है। 20 डिग्री सेल्सियस पर इसका घनत्व 19,840 किलोग्राम/मी³ (Kilogram per Cubic Meter) होता है। कमरे के तापमान पर प्लूटोनियम का विद्युत प्रतिरोध (Electrical Resistance) बहुत अधिक होता है! तापमान गिरने पर यह प्रतिरोध बढ़ जाता है। प्लूटोनियम के सात अलग-अलग रूप होते हैं। अब तक, वैज्ञानिकों ने प्लूटोनियम के लगभग 20 रेडियोधर्मी समस्थानिकों (Radioactive Isotopes) की पहचान की है।
रासायनिक गुण (Chemical Properties): प्लूटोनियम, हवा के संपर्क में आने पर रंग बदलता है। यह ऐसे यौगिक बना सकता है, जिनमें चार सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (Oxidation States) (+4, +3, +2 और +1) होती हैं। इसकी एक दुर्लभ ऑक्सीकरण अवस्था -3 भी होती है। प्लूटोनियम कई सामान्य धातुओं के साथ मिश्र धातु बना सकता है।
प्लूटोनियम का उपयोग कुछ पहले परमाणु बमों में किया गया था। इसका उपयोग, आज भी परमाणु हथियारों में किया जाता है। जब एक किलोग्राम प्लूटोनियम विस्फ़ोट करता है, तो यह 10,000 टन से अधिक रासायनिक विस्फ़ोटकों (Chemical Explosives) जितना शक्तिशाली विस्फ़ोट पैदा करता है। प्लूटोनियम परमाणु ऊर्जा के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह अंतरिक्ष मिशनों के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, इसने मार्स क्यूरियोसिटी रोवर (Mars Curiosity Rover) और न्यू हॉराइज़ंस अंतरिक्ष यान (New Horizons Spacecraft) को शक्ति प्रदान की है, जो प्लूटो (Pluto) की यात्रा कर रहा है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdctddu8
https://tinyurl.com/2vn9epfn
https://tinyurl.com/4z82ehf3
चित्र संदर्भ
1. परमाणु विस्फ़ोट और परमाणु संख्या (Atomic Number - 94) वाले तत्व प्लूटोनियम को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr, wikimedia)
2. प्लूटोनियम के इलेक्ट्रॉन शेल (Electron shell) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. प्लूटोनियम-238 ऑक्साइड की जांच करते रेडियोकेमिकल इंजीनियरिंग डेवलपमेंट सेंटर के कर्मचारियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. फ़ैट मैन नामक परमाणु बम के एक मॉडल को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. एक बड़े परमाणु विस्फ़ोट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)