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आखिर भारत ने क्‍यों किए परमाणु परीक्षण? व जानें पोखरण की दिलचस्प कहानी

interesting story of Pokhran

Lucknow
19-03-2024 09:50 AM

हम जानते हैं कि परमाणु हथियार इस दुनिया में मानव अस्तित्‍व के लिए हानिकारक हो सकते हैं। शुरुआत में इसे युद्धों को रोकने के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में यह शक्ति प्रदर्शन का हिस्‍सा बन गया। इसमें भारत भी पीछे नहीं रहा, हमारे देश में कुछ परमाणु हथियारों का परीक्षण किया गया। तो आइए आज समझते हैं कि भारत दुनिया में परमाणु शक्ति कैसे बना? इसके पीछे की कहानी क्या है? भारत के पहले दो ऑपरेशन क्या थे जिनके नाम स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha) और ऑपरेशन शक्ति थे और क्या वे सफल रहे? इसके साथ ही आइए यह भी जानें कि परमाणु परीक्षण पोखरण में ही क्यों किया गया? ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा, जिसे पोखरण-I के नाम से भी जाना जाता है, भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यह देश के पहले सफल परमाणु हथियार परीक्षण का प्रतीक है। 18 मई, 1974 को राजस्थान के पोखरण में भारतीय सेना के परीक्षण रेंज में आयोजित इस ऑपरेशन ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में उभारा। इस ऐतिहासिक घटना का भारत की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिसने वैश्विक परमाणु राजनीति की गतिशीलता को नया आकार दिया।
1962 के भारत-चीन युद्ध और सीमा क्षेत्र में चल रही सुरक्षा चिंताओं के बाद, भारत ने 1960 के दशक के अंत में अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू किया। इसका प्राथमिक उद्देश्य संभावित विरोधियों के खिलाफ निवारक क्षमता स्थापित करना और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करना था। परमाणु हथियारों के विकास को एक विकल्‍प के रूप में देखा गया। परीक्षण में लगभग 8 किलोटन की अनुमानित उपज वाला एक लघु परमाणु विस्फोट किया गया। विस्फोट से एक बड़ा झटका लगा, जिससे एक गहरा गड्ढा और मशरूम की आकृति के समान बादल बन गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने संयुक्त राज्य अमेरिका (United States America ), सोवियत संघ (Soviet Union) अब रूस (Russia), यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom), फ्रांस (France) और चीन (China) के बाद भारत को परमाणु शक्ति बनने वाला दुनिया का छठा देश बना दिया। ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा ने भारत को एक विश्वसनीय परमाणु निवारक प्रदान किया, जिससे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई। इस परीक्षण ने देश को जटिल वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग चुनौतियों में महारत हासिल करायी, जिसके बाद तकनीकी रूप से एक उन्नत देश के रूप में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ी।
इस परीक्षण का वैश्विक राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इस पर विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाएँ शुरू हो गईं, जिससे परमाणु अप्रसार और हथियार नियंत्रण पर बहस शुरू हो गई। इस परीक्षण ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में सुर्खियों में ला दिया, जिसने दक्षिण एशिया और उससे आगे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की गतिशीलता को प्रभावित किया।
इस परीक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मिली-जुली प्रतिक्रिया आईं। जहां कुछ देशों ने परमाणु परीक्षण पर वास्तविक वैश्विक रोक को तोड़ने के लिए भारत की आलोचना की, वहीं अन्य ने भारत के अपने बचाव के अधिकार को स्वीकार किया और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए शांतिपूर्ण बातचीत की वकालत की। भारत ने दूसरा परमाणु परीक्षण क्यों किया- पहला परीक्षण आयोजित होने के चौबीस साल बाद, भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा परमाणु ऊर्जा आयोग ने 11 मई, 1998 को पांच और परमाणु परीक्षण किए। मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता में लौटे और उनके आने के बाद तुरंत ही दोबारा परमाणु परीक्षण को मंजूरी दे दी गयी। 1998 के चुनाव घोषणापत्र में एक बार फिर स्पष्ट रूप से भारत में मिसाइल कार्यक्रम में तेजी लाने के अलावा "परमाणु हथियार शामिल करने" का आह्वान किया गया था। पोखरण परमाणु परीक्षण को भारत को 200 किलोटन तक की पैदावार के साथ विखंडन और थर्मोन्यूक्लियर (thermonuclear) बम बनाने की क्षमता देने के लिए डिज़ाइन किया गया था। भारत ने चीन की परमाणु क्षमता और चीन की सहायता से परमाणु हथियार प्राप्त करने के पाकिस्तान के तत्काल प्रयासों के जवाब में परमाणु परीक्षण करने का विकल्प चुना।
व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT) पर भारत की स्थिति भी सैद्धांतिक है। भारत ने कहा है कि वह अपने मौजूदा भेदभावपूर्ण रूप में सीटीबीटी पर न तो हस्ताक्षर करेगा और न ही उसकी पुष्टि करेगा। दूसरी ओर, भारत ने अतिरिक्त परमाणु परीक्षणों पर अपनी स्वैच्छिक और एकतरफा प्रतिबंध को बनाए रखने का वादा किया है। पोखरण में ही क्यों किया गया परमाणु परीक्षण- रेतीले तूफ़ान अमेरिकी जासूसी उपग्रहों को स्पष्ट दृश्य देखने में बाधा डालते हैं। साथ ही, दिन के समय तापमान 50 डिग्री से अधिक बढ़ने के कारण इन्फ्रारेड सेंसर ऐसी गतिविधि नहीं पकड़ पाते हैं। परीक्षण की गोपनीयता बनाए रखने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया।।। परीक्षण करने के बाद सरकार ने घोषणा की कि उसका इरादा परमाणु हथियार बनाने का नहीं है बल्कि वह सिर्फ भारत को परमाणु तकनीक में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है।

संदर्भ :
https://shorturl.at/awBEW
https://shorturl.at/HLV79
https://t.ly/VFXcn

चित्र संदर्भ
1. एक परमाणु विस्फोट को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
2. थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस शक्ति I का परीक्षण पोखरण-II के दौरान किया गया! को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. परमाणु विस्फोट के ग्राउंड जीरो पर मौजूद इंदिरा गाँधी को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
4. एक परमाणु विस्फोट के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. बमबारी अभ्यास के दौरान एक ए-4 स्काईवॉक विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)

https://prarang.in/Lucknow/24031910168





जानें हमारे सामान्य जीवन को प्रभावित करने वाली सूर्य राशि का महत्व!

Know the importance of Sun sign affecting our normal life

Lucknow
18-03-2024 09:57 AM

जैसा कि हम सब जानते हैं, हमारा ब्रह्मांड अनगिनत तारों, ग्रहों, उपग्रहों और खगोलीय वस्तुओं से भरा हुआ है। दूर से देखने पर तारों के अनेक समूह दिखाई देते हैं। इसमें सूर्य को, ग्रहों के मंत्रिमंडल रूपी समूह में राजा का दर्जा प्राप्त है, और उसकी एक विशेष ‘राशि’ भी है। कहा जाता है कि, ज्योतिष-शास्त्र में सूर्य चिन्ह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तो आइए आज समझते हैं कि, राशि क्या होती है; यह कैसे और क्यों महत्वपूर्ण है तथा यह कैसे काम करती है। राशि चक्र अर्थात कुंडली में सूचीबद्ध 12 राशियां, इस बात से निकटता से जुड़ी हुई हैं कि, पृथ्वी अंतरिक्ष में कैसे घूमती है। हम इन संकेतों को नक्षत्रों से प्राप्त करते हैं, जो उस पथ को चिह्नित करते हैं, जिस पर सूर्य वर्ष भर मार्गक्रमण करता प्रतीत होता है। अतः आप सोच सकते हैं कि, कुंडली की तारीखें उस समय से मेल खाती हैं, जब सूर्य प्रत्येक नक्षत्र से गुजरता है। लेकिन, अधिकतर समय ऐसा नहीं होता है, क्योंकि, ज्योतिष शास्त्र और खगोल विज्ञान(Astronomy) दरअसल दो अलग-अलग प्रणालियां हैं। साथ ही, पृथ्वी, सूर्य और तारों की गति की बारीकी से जांच करने पर पता चलता है कि, राशि चक्र आपकी कल्पना से कहीं अधिक जटिल है। जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, तब सूर्य विभिन्न नक्षत्रों से गुजरता हुआ प्रतीत होता है। जिसप्रकार, चंद्रमा हमें हर रात आकाश में थोड़े अलग स्थान पर दिखाई देता है, वैसे ही, दूर स्थित सितारों के सापेक्ष सूर्य का स्थान प्रत्येक दिन पूर्व दिशा में बदलता रहता है। यहां एक बात पर गौर करें कि, सूर्य वास्तव में गतिमान नहीं है। हमें इसकी गति का भ्रम, इसके चारों ओर होने वाली पृथ्वी की गति के कारण होता है।
एक पूर्ण वर्ष के दौरान, सूर्य विभिन्न नक्षत्रों के सामने या “अंदर” दिखाई देता है। किसी महीने में, सूर्य मिथुन राशि में दिखाई देता है, जबकि, उसके अगले महीने, कर्क राशि में दिखाई देता है। इस प्रकार, अखबारों की कुंडली में सूचीबद्ध तारीखें यह बताती हैं कि, सूर्य किसी विशेष ज्योतिषीय राशि में कब प्रकट होता है। उदाहरण के लिए, 21 मार्च से 19 अप्रैल के बीच का समय, मेष राशि के लिए रखा गया है। फिर भी आपका ज्योतिषीय चिन्ह या राशि आपको यह नहीं बताती है कि, आपके जन्म के दिन सूर्य किस नक्षत्र में था। वास्तव में, राशि चक्र में 12 सूर्य राशियां हैं। इस तथ्य से भी हम परिचित हैं। वे राशियां मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु हैं। साथ ही, प्रत्येक चिन्ह या राशि, 4 तत्व समूह अर्थात अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल में से एक से संबंधित होती हैं। प्रत्येक सूर्य चिन्ह एक या दो शासकों अथवा खगोलीय पिंडों से भी जुड़ा होता है, जो अन्य खगोलीय पिंडों की तुलना में किसी विशेष चिन्ह पर अधिक प्रभाव डालते हैं। इस प्रकार, मकर राशि शनि ग्रह के साथ, कुंभ राशि यूरेनस और शनि के साथ, मीन राशि नेपच्यून और बृहस्पति के साथ, मेष राशि मंगल और प्लूटो के साथ, वृषभ शुक्र और पृथ्वी के साथ, मिथुन राशि बुध के साथ तथा कन्या राशि बुध के साथ जुड़ी हुई है।
जबकि, कर्क राशि चंद्रमा के साथ, सिंह राशि सूर्य के साथ, शुक्र के साथ तुला, मंगल और प्लूटो के साथ वृश्चिक और बृहस्पति के साथ धनु राशि जुड़ी हुई हैं।
दरअसल, सूर्य राशि हमारी पहचान से जुड़ी है। यह उस महत्वपूर्ण शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो आपको अपने सच्चे स्वभाव की उच्चतम अभिव्यक्ति की तलाश करने के लिए प्रेरित करती है। हमारी सूर्य राशि, हमारे द्वारा खुद के अस्तित्व, जीवन के अनुभव के बारे में विचार और अपने व्यक्तित्व को व्यक्त करने को दर्शाती हैं। यह उस ऊर्जा का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो हमें पुनर्जीवित महसूस कराने के लिए आवश्यक होती है। उदाहरण के लिए, आपकी राशि का तत्व, आपकी आत्म-अभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और आप कैसे कायाकल्प करते हैं, इसे समझने में सहायक होती है।
१. यदि आपका सूर्य तत्त्व वायु राशि से जुड़ा है, तो आपकी राशि मिथुन, तुला, या कुंभ हो सकती हैं। अतः आप खुद को बौद्धिक रूप से अभिव्यक्त करना पसंद करते हैं, और अक्सर सामाजिक परिवेश में तरोताजा हो जाते हैं।
२. यदि आपका सूर्य तत्त्व अग्नि चिन्ह से जुड़ा है, तो आपकी राशि मेष, सिंह, या धनु होगी। फिर आप प्रेरणाओं और आकांक्षाओं से प्रेरित होते हैं और शारीरिक गतिविधि एवं अपने लक्ष्यों के प्रति मेहनत करके कायाकल्प करते हैं।
३. यदि आपका सूर्य तत्त्व पृथ्वी चिन्ह से जुड़ा है, तो आपकी राशि वृषभ, कन्या, या मकर होगी। ऐसी स्थिती में आप भौतिक आवश्यकताओं और व्यावहारिकता से प्रेरित होते हैं, और भौतिक दुनिया के साथ काम करने, उत्पादक होने और अपनी इंद्रियों को पोषण देने के माध्यम से तरोताजा होते हैं।
४. यदि आपका सूर्य तत्त्व जल राशि से जुड़ा है, तो आपकी राशि कर्क, वृश्चिक, या मीन हो सकती हैं। अतः आप गहरी भावनात्मक इच्छाओं से प्रेरित होते हैं और भावनात्मक अनुभवों और लोगों के साथ घनिष्ठ जुड़ाव के माध्यम से आनंदित होते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yc7kka47
https://tinyurl.com/2556dun7
https://tinyurl.com/3veydw2f

चित्र संदर्भ
1. एक ज्योतिष और बारह राशियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Look and Learn, Wikimedia)
2. आधुनिक राशियों की यह बारह राशियाँ हैं, जो पश्चिमी संस्कृतियों और भारतीय संस्कृति में एक ही हैं! को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
3. क्रांतिवृत्त पथ को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
4. ग्रहों के साथ राशि चक्र को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
5. राशी के प्रतीकों को संदर्भित करता एक चित्रण ( National Garden Bureau)

https://prarang.in/Lucknow/24031810159





इबादत के दौर में लखनऊ होता है गुलज़ार, ऐसे घुलती है यहां की हवा में रमजान की मिठास

Lucknow becomes vibrant during the period of prayer this is how the sweetness of Ramadan mingles in the air here

Lucknow
17-03-2024 08:59 AM

हम जानते हैं कि हमारे शहर लखनऊ में जिस तरह होली और दिवाली मनाई जाती है उसी तरह रमज़ान भी धूमधाम से मनाया जाता है। रमज़ान के महीने में हमारे लखनऊ शहर को बहुत सुंदर तरीके से सजाया जाता है तथा यहां का मशहूर चौक बाज़ार खरीदारों या ग्राहकों से गुलजार रहता है। रमज़ान की रौनक हर तरफ फैली हुई नजर आती है, इतना की रात्रि का अंधकार भी दिन जैसा प्रतीत होने लगता है। स्वादिष्ट व्यंजनों की महक चारों तरफ घुल जाती है। कोई गर्म कश्मीरी चाय की चुस्कियां ले रहा होता है तो कोई रबड़ी का स्वाद चख रहा होता है। यह नजारा लखनऊ में सिर्फ अकबरी गेट या मौलवी गंज का नहीं बल्कि पूरे शहर का है। तो आइए आज देखते हैं कि कैसे हमारे लखनऊ की हवा में रमज़ान की मिठास घुलती है और हमारे शहर में इसे कैसे मनाया जाता है।


संदर्भ:

https://tinyurl.com/2hpzmnht

https://tinyurl.com/24jn7naj

https://tinyurl.com/5hdhessw

https://tinyurl.com/2nwzvbj2

https://tinyurl.com/mpfjmtne  

 

https://prarang.in/Lucknow/24031710171





उल्लेखनीय हस्तियों ने लखनऊ में नगर निगम के इतिहास को दिलचस्प बना दिया!

the history of Municipal Corporation in Lucknow is interesting

Lucknow
16-03-2024 09:36 AM

लखनऊ शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के लिए, विश्व भर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों पर्यटक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर हमारे नगर में पधारते हैं। ऐसे में शहर को साफ़ रखना, यहां की धरोहरों का संरक्षण करना और शहर का निरंतर विकास करते रहना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है। इस संदर्भ में हमारे लखनऊ में नगर निगम की भूमिका बहुत अधिक मायने रखती है।
भारत में नगर निकायों का एक समृद्ध और व्यापक इतिहास रहा है। भारत में नगर निगमों की यात्रा 1688 में एक पूर्व प्रेसीडेंसी टाउन (Former Presidency Town) मद्रास में पहले नगर निगम की स्थापना के साथ शुरू हुई थी। इसके बाद 1726 में बॉम्बे (मुंबई) और कोलकाता में इसी तरह के निगमों का निर्माण हुआ। भारतीय संविधान में संसद और राज्य विधानसभाओं के भीतर लोकतंत्र की रक्षा के लिए विस्तृत नियम निर्धारित किये गए हैं। लेकिन संविधान में शहरों और कस्बों के संचालन के लिए स्थानीय स्वशासन की भूमिका को स्पष्ट नहीं किया गया है। संविधान में नगर पालिकाओं का कोई प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं मिलता है। नगर पालिकाओं का एकमात्र अप्रत्यक्ष संदर्भ राज्य सूची की प्रविष्टि 5 में मिलता है। इस प्रविष्टि के तहत स्थानीय स्वशासन की ज़िम्मे दारी राज्यों को सौंपी गई है।
शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक समान ढांचा स्थापित करने और स्वशासन की लोकतांत्रिक इकाइयों के रूप में उनकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए, भारतीय संसद ने संविधान में (74वां संशोधन) अधिनियम, 1992 (Constitution (74th Amendment) Act, 1992) लागू किया।
इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
1. संविधान में विशेष रूप से नगर पालिकाओं को समर्पित एक नए भाग IX-A का निर्माण।
2. तीन प्रकार की नगर पालिकाओं का वर्गीकरण:
- ग्रामीण से शहरी में परिवर्तित होने वाले क्षेत्रों के लिए नगर पंचायतें।
- छोटे शहरी क्षेत्रों के लिए नगर परिषदें।
- बड़े शहरी क्षेत्रों के लिए नगर निगम।
3. नगर पालिकाओं के लिए निश्चित कार्यकाल।
4. राज्य चुनाव आयोगों की स्थापना।
5. राज्य वित्त आयोग का गठन।
6. महानगर एवं जिला योजना समितियों का गठन।
इस अधिनियम को 20 अप्रैल 1993 के दिन देश के तत्कालीन राष्ट्रपति के द्वारा मंजूरी दे दी गई और यह 1 जून 1993 को लागू हुआ। इसके तहत सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (झारखंड और पुडुचेरी को छोड़कर) द्वारा स्थानीय लोकतंत्र और शासन को मजबूत करने हेतु नगर निकायों के लिए चुनाव कराए जाते हैं। एक नगर निगम एक विशिष्ट क्षेत्र के प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार होता है, जिसे नगरपालिका क्षेत्र (Municipal Area) कहा जाता है। यह क्षेत्र छोटे-छोटे वर्गों में विभाजित होता है, जिन्हें वार्ड (Wards) कहा जाता है। प्रत्येक वार्ड को वार्ड समिति में एक प्रतिनिधि मिलता है। जो लोग कम से कम 18 वर्ष के हैं वे इन प्रतिनिधियों को चुनने के लिए मतदान कर सकते हैं, जिन्हें पांच साल की अवधि के लिए पार्षद या नगरसेवक कहा जाता है। नगरपालिका क्षेत्र में वार्डों की संख्या, शहर की जनसंख्या पर निर्भर करती है।
संविधान की बारहवीं अनुसूची में नगर निगमों को कई प्रकार की ज़िम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। इन ज़िम्मेदारियों में शामिल हैं:
➲ शहरी नियोजन: इसमें नगर नियोजन और भूमि उपयोग का विनियमन और भवनों का निर्माण कराना शामिल है।
➲ आर्थिक और सामाजिक विकास: नगर निगम आर्थिक और सामाजिक विकास की योजना बनाने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
➲ जल आपूर्ति: घरेलू, औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जल आपूर्ति भी नगर निगम द्वारा ही सुनिश्चित की जाती है।
➲ सार्वजनिक स्वास्थ्य: इसमें स्वच्छता संरक्षण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है।
➲ अग्निशमन सेवाएँ: नगर निगम अग्निशमन (आग बुझाने) की सेवाएँ भी प्रदान करते हैं।
➲ पर्यावरण संरक्षण: नगर निगम शहरी वानिकी, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
➲ समाज कल्याण: दिव्यांगों और मानसिक रूप से अक्षम लोगों सहित समाज के कमज़ोर वर्गों के हितों की रक्षा करना नगर निगम की एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है।
➲ मलिन बस्ती सुधार: नगर निगम मलिन बस्ती के सुधार और उन्नयन का भी काम करते हैं।
➲ शहरी सुविधाएँ: हरे-भरे पार्क (Parks), उद्यान, खेल के मैदान, स्ट्रीट लाइटिंग (Street Lighting), पार्किंग स्थल (Parking Lots), बस स्टॉप (Bus Stops) और सार्वजनिक सुविधाओं जैसी शहरी सुविधाओं का निर्माण और इन्हें दुरुस्त रखने की ज़िम्मेदारी भी नगर निगम की ही होती है।
➲ सांस्कृतिक संवर्धन: नगर निगम सांस्कृतिक, शैक्षिक और सौंदर्य संबंधी पहलुओं को बढ़ावा देते हैं।
➲ दफ़न सेवाएँ: दफ़नाने और कब्रिस्तान, दाह संस्कार, श्मशान घाट और विद्युत शवदाह गृह का प्रबंधन भी नगर निगम द्वारा ही किया जाता है।
➲ पशु कल्याण: जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकना भी नगर निगम की ज़िम्मेदारी होती है।
➲ महत्वपूर्ण सांख्यिकी: जन्म और मृत्यु के पंजीकरण का काम भी नगर निगम के अधिकारी ही संभालते हैं।
कुल मिलाकर नगर निगम शहरी जीवन के प्रबंधन और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
लखनऊ नगर पालिका (Lucknow Municipality) की स्थापना 1860 में अंग्रेजों द्वारा की गई थी। उस समय के डिप्टी कलेक्टर (Deputy Collector) जी. कैम्पबेल स्क्वायर (G. Campbell Squire) के नेतृत्व में एक स्थानीय समिति का गठन किया था। यह समिति समय के साथ विकसित हुई, जिसके बाद यह एक स्थानीय निकाय और अंततः नगर निगम बन गई। लखनऊ के मेयर (Mayor) के रूप में कई उल्लेखनीय हस्तियों ने भी अपनी सेवा प्रदान की है। भारत की आज़ादी से पहले, बैरिस्टर सैयद नबीउल्लाह, मेयर के रूप में स्थानीय बोर्ड का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय थे। वह अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (All India Muslim League) के एक प्रमुख नेता थे। लखनऊ में जी कैंपबेल स्क्वायर और सैयद नबीउल्लाह दोनों के नाम पर सड़कें भी हैं।
स्वतंत्रता के बाद के युग में, लखनऊ के मेयरों में कैप्टन वी आर मोहन (Captain V.R Mohan), अखिलेश दास गुप्ता, डॉ एस सी राय (Dr S.C Rai), दिनेश शर्मा और संयुक्ता भाटिया जैसे बड़े नाम भी जुड़ गए।
शिक्षाविद् और परोपकारी, अखिलेश दास गुप्ता ने जनवरी 2006 से मई 2008 तक केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में कार्य किया। 1993 में उन्हें लखनऊ के मेयर के रूप में चुना गया था और वह उस समय दुनिया के सबसे कम उम्र के मेयरों में से एक थे। नवंबर 1996 में उन्हें राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया और उन्होंने तीन कार्यकाल तक सेवा की।
बलरामपुर अस्पताल के सर्जन डॉ एस सी राय, लखनऊ के पहले निर्वाचित मेयर थे, जिन्होंने 1995 से 2005 तक लगातार दो कार्यकाल तक शहर की सेवा की। उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने 2006 से लगातार तीन बार मेयर के रूप में जीत हासिल की। वह एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और भाजपा के कद्दावर नेता हैं। 2017 में, लखनऊ के लोगों ने अपनी पहली महिला मेयर, सामाजिक कार्यकर्ता संयुक्ता भाटिया को चुना, जिन्हें प्यार से 'माता जी' कहा जाता है। हाल के वर्षों में लखनऊ के नगर निगम प्रशासन ने शहर की तरक्की के संदर्भ में कई बड़े कदम भी उठाए हैं। लखनऊ शहर में कैमरे‚ ट्रैफिक लाइट (Traffic Lights)‚ फ्रंट लाइटिंग (Front Facade Lighting)‚ एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली (Integrated Traffic Management System) जैसी स्मार्ट निगरानी के कारण लखनऊ शहर अन्य शहरों की तुलना में अधिक विकसित प्रतीत होता है।
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी के अनुसार लखनऊ ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और घर-घर जाकर कचरा संग्रह प्रणाली में सुधार करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए हैं। 300 ओपन डंपिंग पॉइंट्स (Open Dumping Points) में से 41 पॉइंट्स को 47 पीसीटीएस (PCTS) मशीनों के साथ मैकेनाइज्ड ट्रांसफर स्टेशनों (Mechanised Transfer Stations) में परिवर्तित कर दिया गया है। लखनऊ नगर निगम द्वारा वाणिज्यिक और बाज़ार क्षेत्रों में कचरे के संग्रह के लिए अलग अलग स्थानों पर दो-दो कचरा संग्रह डिब्बे भी स्थापित किए गए हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2vn5kmfc
https://tinyurl.com/3b28rzeb
https://tinyurl.com/52w8ns9w
https://tinyurl.com/yw9n57bw

चित्र संदर्भ
1. नगर निगम लखनऊ भवन की ईमारत को संदर्भित करता एक चित्रण (yotube)
2. भारत की प्रशासनिक संरचना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लखनऊ नगर निगम के आधिकारिक लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. वाराणसी नगर निगम के स्वच्छता अभियान के बोर्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

https://prarang.in/Lucknow/24031610155





अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में हम अपने इतिहास से कौन से सबक सीख सकते हैं?

What lessons can we learn from our history in the field of waste management

Lucknow
15-03-2024 09:48 AM

आपको शायद अजीब लगेगा लेकिन किसी देश या संस्कृति की संपन्नता को मापने का एक तरीका यह भी है, कि वह संस्कृति अपने मल-मूत्र जैसे अपशिष्टों का प्रबंधन कैसे करती है। आधुनिक दुनियां में भी कई ऐसे देश हैं, जहां के शहरों में भी आपको राह चलते मल की दुर्गंध आ ही जाएगी। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज से हजारों साल पहले इंसानों की अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली आज के कई देशों की तुलना में बेहतर थी। चलिए जानते हैं कैसे? नवपाषाण काल (लगभग 8500 ईसा पूर्व) से पहले, इंसान भी दूसरे जानवरों की तरह ही रहते थे। इस दौरान वह प्रकृति द्वारा प्रदान की गई चीज़ों का उपयोग करते थे और अपने मल मूत्र जैसे अपशिष्ट को वापस पर्यावरण को ही लौटा देते थे। हमारे पूर्वज जल स्रोतों के पास रहते थे, और उनके द्वारा उपयोग की जाने वाले सभी वस्तुएं प्राकृतिक एवं नवीकरणीय थी। हालांकि, खेती और व्यापार की शुरुआत के साथ ही परिस्थितियां भी बदलने लगी। हम भीड़भाड़ वाले शहरों में रहने लगे, जहाँ अनगिनत लोग एक साथ रहते थे, काम करते थे, वस्तुओं का व्यापार करते थे और शासन करते थे। लेकिन इस कारण शहरों में बहुत सारा कचरा भी निर्मित होने लगा। हालांकि लगभग 4,000 ईसा पूर्व में बेबीलोन (Babylon) में इस कचरे को संभालने यानी मल-मूत्र, कचरा इकट्ठा करने के लिए पहला समाधान, (जमीन में एक साधारण छेद) दिखाई दिया था। बेबीलोन वासी, पहले से ही पानी को इधर-उधर ले जाना जानते थे। इसलिए उन्होंने अपने इस ज्ञान का उपयोग पानी और मिट्टी के पाइपों का उपयोग करके इन गड्ढों में अपशिष्ट धोने के लिए किया। इस प्रकार सीवेज प्रणाली (Sewage System) की शुरुआत हुई।
लगभग 4000 ईसा पूर्व, मेसोपोटामिया के लोग सीवेज निपटान और वर्षा जल संग्रह के लिए मिट्टी के पाइप का उपयोग करने वाले शुरुआती लोगों में से थे। इनमे से कुछ शुरुआती उदाहरण निप्पुर और एश्नुन्ना में बेल के मंदिर में पाए गए थे। 3200 ईसा पूर्व तक, उरुक शहर में शौचालयों के निर्माण के लिए ईंटों के प्रारंभिक उपयोग के प्रमाण मिलते हैं। इस तरह के मिट्टी के पाइपों को हट्टुसा में हित्तियों (Hittites) द्वारा भी अपनाया गया था, जिनमें ऐसे खंड थे जिन्हें आसानी से हटाया जा सकता था और रखरखाव के लिए प्रतिस्थापित किया जा सकता था। लगभग 2350-1810 ईसा पूर्व, सिंधु घाटी सभ्यता में भी उन्नत सार्वजनिक जल प्रणालियों को पेश किया गया। विशेष रूप से, लोथल में उस समय के शासक के निवास में निजी स्नान क्षेत्र और शौचालय थे, जो एक सांप्रदायिक जल निकासी प्रणाली से जुड़े थे। शहर में अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए परिष्कृत ईंट सीवर और सोख गड्ढे भी थे, जो पानी की आपूर्ति के लिए दो मुख्य कुओं द्वारा पूरक थे।
भूमिगत नालियों और जलाशयों के सुव्यवस्थित नेटवर्क के साथ-साथ, शहरी केंद्रों में सार्वजनिक और निजी स्नानघर भी थे। मोहनजोदड़ो में, बहुमंजिला इमारतों में पानी के निपटान के लिए टेराकोटा पाइप (Terracotta Pipe) का उपयोग किया जाता था। मोहनजोदड़ो और धोलावीरा सहित सिंधु बस्तियां अपनी विस्तृत सीवेज प्रणालियों, जल निकासी चैनलों और वर्षा जल संचयन सुविधाओं के लिए जानी जाती थीं।
प्राचीन रोमन काल के सीवरों का मुख्य काम वर्षा जल से छुटकारा पाना था। उन्हें मानव अपशिष्ट (जो आमतौर पर सड़कों पर फेंक दिया जाता था या खेती के लिए उपयोग किया जाता था) को निकालने के उद्देश्य से नहीं बनाया गया था। लेकिन इसके बावजूद रोमनों को अपनी सीवर प्रणाली पर गर्व था और वे कभी-कभी बड़ी सुरंगों का दौरा भी करते थे। रोमन भूगोलवेत्ता प्लिनी द एल्डर (Pliny The Elder) ने अपनी पुस्तक "नेचुरल हिस्ट्री (Natural History)" में सीवरेज के बारे में लिखा। उन्होंने लिखा है कि "भले ही ऊपर की सड़कों पर भारी पत्थर घसीटे गए और इमारतें उन पर गिरीं, लेकिन सुरंगें नहीं गिरीं।" वे भूकंप से भी बच गए।
कई वर्षों बाद, लुईस ममफोर्ड (Lewis Mumford) ने अपनी पुस्तक "द सिटी इन हिस्ट्री (The City In History)" (1961) में लिखा कि वह इस बात से आश्चर्यचकित थे कि सीवर कितने समय तक अस्तित्व में रह सकते थे और वे कितने मूल्यवान थे। हालांकि रोम ऐसी पहली संस्कृति नहीं थी, जिसने भूमिगत सीवरेज का निर्माण किया था। मिस्र वासियों ने इससे भी पहले से ही गुंबददार भूमिगत नालियों का उपयोग शुरू कर दिया था।
प्राचीन ग्रीस में, लोगों ने अपशिष्ट जल का उपयोग फसलों को खाद देने के लिए करना शुरू कर दिया क्योंकि वहां पर बड़ी नदियाँ नहीं थीं। उनका सीवेज सिस्टम कचरे को शहर के किनारे तक ले जाता, जहां से इसे पाइप के जरिए खेतों तक पहुंचाया जाता था। इस तरह से कृषि के लिए अपशिष्ट जल का उपयोग पहली बार किया गया। हालांकि रोमन साम्राज्य के दौरान, स्वच्छता पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। रोमनों ने अपशिष्ट जल के प्रबंधन के लिए सीवेज सिस्टम का निर्माण किया और बैठे हुए शौचालयों की शुरुआत की। लेकिन इन प्रगतियों के बावजूद लोग अपने कचरे को सड़कों पर ही फैंक देते थे। किंतु 100 ईसा पूर्व में एक कानून बनाया गया, जिसमे सीवेज सिस्टम के लिए अनिवार्य घरेलू कनेक्शन देने की बात कही गई। रोमनों ने भूरे पानी (स्नान से) और सीवेज के बीच भी अंतर निर्धारित किया। सार्वजनिक शौचालयों को फ्लश करने के लिए गंदे पानी का पुन: उपयोग किया गया। पुरातत्वविद् एंजेल मोरिलो (Angel Morillo) ने रोमन स्वच्छता प्रणाली की अनुकूलनशीलता और दीर्घायु पर प्रकाश डाला है, जिसमें कुछ सीवर 19 वीं शताब्दी तक भी चले थे।
मध्य युग में, रोमन स्वच्छता प्रगति को काफी हद तक भुला दिया गया था। पेरिस जैसे कुछ शहरों में कुछ रोमन सीवरों का प्रयोग अभी भी किया जाता था। लेकिन इसके बाद अधिकांश अपशिष्ट को नदी नालों में बहाया जाने लगा। सड़कों पर अपशिष्ट निपटान के कारण हैजा और प्लेग जैसी घातक महामारियाँ फैलने लगी, जिससे यूरोप की एक चौथाई मध्ययुगीन आबादी का सफाया हो गया। इस अवधि के दौरान, इबेरियन प्रायद्वीप के अरब शहरों ने स्वच्छता मानकों को बनाए रखा, वर्षा जल को महत्व दिया और इसे भूरे और अपशिष्ट जल से अलग किया। उन्होंने जीवन-निर्वाह उद्देश्यों के लिए वर्षा जल का उपयोग किया, गंदे पानी को घरों से दूर कर दिया और अपशिष्ट जल का अलग से प्रबंधन किया गया। लेकिन पुनर्जागरण के दौरान कला और विज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि देखी गई किंतु स्वच्छता के क्षेत्र में फिर से लापरवाही बढ़ने लगी। इस दौरान यूरोपीय शहर गंदे हो गए तथा खुले में शौच और गंदगी के ढेर भरे हुए थे। सीवर नदियों तक जाने वाली खाइयाँ मात्र बन कर रह गए थे। लंदन को भी इसी तरह की स्वच्छता चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जल प्रबंधन में प्रगति के बावजूद, शहर साफ-सफाई और स्वच्छता से जूझ रहा है। 1830 तक, लंदन का स्वच्छता संकट एक गंभीर बिंदु पर पहुंच गया था। शहर में "ग्रेट स्टिंक (Great Stink) " और हैजा का प्रकोप फ़ैल गया, जिसने कई लोगों की जान ले ली। 1847 में, अंग्रेजी चिकित्सक जॉन स्नो (John Snow) ने निष्कर्ष निकाला कि हैजा दूषित पेयजल से फैलता है। उनके सिद्धांत को विश्वसनीयता तब मिली जब कुछ जल पंपों को बंद करने से प्रकोप रुक गया। इसके बाद, लुई पाश्चर (Louis Pasteur) के शोध ने स्नो के दावे को सही साबित कर दिया, जिसमें हैजा और टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever) जैसी बीमारियों के लिए जल जनित सूक्ष्मजीवों (Water-Borne Microorganisms) को जिम्मेदार पाया गया। इसके बाद विधायी सुधार किये गए, मल-मूत्र निर्माण को प्रतिबंधित किया गया और सुरक्षित सेप्टिक टैंकों (Septic Tanks) को बढ़ावा दिया गया। 1857 में, हैम्बर्ग (Hamburg ) की मुख्य सीवेज प्रणाली की रूपरेखा तैयार की गई, जो स्वच्छता प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। हालाँकि, औद्योगिक क्रांति ने एक बार फिर से जल स्रोतों में रासायनिक प्रदूषण की मात्रा को बढ़ा दिया, जिससे मौजूदा मल संदूषण और अधिक बढ़ गया। जैविक अपशिष्ट उपचार में प्रगति के बावजूद, औद्योगिक अपशिष्टों ने भारी धातुओं और कीटनाशकों जैसे हानिकारक पदार्थों के साथ नदियों और महासागरों को प्रदूषित करना शुरू कर दिया। 1970 के दशक में जल प्रदूषण के खिलाफ एक वैश्विक आंदोलन देखा गया। लेकिन इसके बावजूद आज, विकासशील देशों में 90% अपशिष्ट जल अनुपचारित रहता है, जिससे सालाना पांच साल से कम उम्र के 1.8 मिलियन बच्चों की मौत हो जाती है। इस प्रकार स्वच्छ जल के लिए 10,000 वर्षों से चला आ रहा संघर्ष आज भी जारी है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/29j7hkz8
https://tinyurl.com/yuuh4adu
https://tinyurl.com/53w2sy39

चित्र संदर्भ
1. 'सिंधु घाटी के अपशिष्ट प्रबंधन आरेख कों संदर्भित करता एक चित्रण ( World History Encyclopedia)
2. मल त्यागते ज़ेबरा को संदर्भित करता एक चित्रण (wallpaperflare)
3. मेसोपोटामिया के स्थल अवशेषों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक जर्जर नाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wallpaperflare)
5. रोमन शहर में सीवरों की संरचना को संदर्भित करता एक चित्रण (garystockbridge617)
6. एक पेरिसियन सीवर् को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. पुराने रोमन शौचालयों को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix)
8. हैजा से पीड़ित लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. समुद्र में प्रवाहित होते दूषित जल को संदर्भित करता एक चित्रण (rawpixel)

https://prarang.in/Lucknow/24031510151





आज विश्व गणित दिवस के दिन घटे थे कुछ दिलचस्प संयोग!

Some interesting coincidences happened today on World Mathematics Day

Lucknow
14-03-2024 09:37 AM

आज पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जा रहा है। गणित प्रेमियों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। इस दिन को खासतौर पर छात्रों को गणित सीखने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु भी मनाया जाता है। हालांकि आज "अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस (International Mathematics Day)" के इतिहास और महत्व के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। गणित न केवल उपयोगी होती है, बल्कि मनोरंजक और सुंदर भी हो सकती है। यह हमें जिज्ञासु, रचनात्मक और खुश रहने में मदद करती है। हर साल 14 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसलिए आज का दिन पूरी तरह से गणित की सुंदरता को समर्पित होता है।
इसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना और हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना भी होता है। अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस की अवधारणा तुलनात्मक रूप से नई है। इसकी शुरुआत 2019 में शिक्षा, संस्कृति और विज्ञान के लिए काम करने वाली बड़ी संस्था यूनेस्को (UNESCO) द्वारा की गई थी।
इस विशेष दिन को यूनेस्को की कार्यकारी परिषद ने अपने 205वें सत्र में आधिकारिक तौर पर मान्यता दी थी। फिर, नवंबर 2019 में, यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन के 40वें सत्र के दौरान, 14 मार्च को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में अपनाया गया। उन्होंने 14 मार्च की तारीख इसलिए चुनी, क्योंकि प्रसिद्ध गणितज्ञ अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein ) का जन्म भी इसी दिन हुआ था। उन्होंने गणित का उपयोग करके ब्रह्मांड के बारे में कई आश्चर्यजनक चीजों की खोज की। इस दिन का मुख्य लक्ष्य लोगों को शिक्षा में गणित के महत्व के प्रति जागरूक करना, आधुनिक समाज और विज्ञान में गणित के उपयोग के प्रति जागरूकता फैलना और यहां तक कि आपदाओं के प्रबंधन में भी जागरूकता बढ़ाना है।
इस दिन के लिए हर साल एक नई थीम निर्धारित की जाती है। उदाहरण के लिए, 2021 में "'बेहतर दुनिया के लिए गणित (Mathematics for a Better World')" नामक थीम अपनाई गई थी।
चलिए अब एक नजर अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस की समयरेखा पर डालते हैं:
-2018: यूनेस्को की कार्यकारी परिषद ने अपने 205वें सत्र में अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस को अपनाया।
-2019: यूनेस्को के 40वें आम सम्मेलन ने पाई दिवस (Pi Day) को अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में तय किया।
-2020: गणित के पहले अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्घाटन समारोह 14 मार्च, 2020 को हुआ था।
-2021: गणित का पहला आभासी अंतर्राष्ट्रीय दिवस 'बेहतर दुनिया के लिए गणित' थीम के साथ मनाया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस की तारीखें

वर्ष तारीख दिन
2024 14 मार्च गुरुवार
2025 14 मार्च शुक्रवार
2026 14 मार्च शनिवार
2027 14 मार्च रविवार
2028 14 मार्च मंगलवार
गणित के बारे में एक अच्छी बात यह है कि गणित से जुड़े पुराने विचार अभी भी उपयोगी हैं। उदाहरण के लिए, कैलकुलस सीखने के लिए, आपको पहले बीजगणित सीखना होगा, जिससे सीखना अधिक मजेदार हो जाता है।
गणित दिवस की आवश्यकता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि आज कई युवाओं को गणित रास नहीं आती है। इसलिए आज का दिन हमें यह याद रखने में मदद करता है कि गणित हमारे दैनिक जीवन् में क्यों और कितनी महत्वपूर्ण है।
दिलचस्प बात यह है कि कई देश इस तिथि को पाई दिवस (Pi Day ) के रूप में भी मनाते हैं। यदि आप आज की तारीख को 3/14 के रूप में लिखते हैं, तो यह गणितीय स्थिरांक, पाई के मान (3.14) की भांति दिखाई देता है। संयोग की बात यह है कि 14 मार्च का दिन गणित के साथ-साथ भौतिकी प्रेमियों के लिए भी एक खास दिन है। दरअसल इसी दिन सर्वकालिक महान वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टीन का भी जन्म हुआ था। 76 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा इसी दिन इतिहास के सबसे प्रतिभाशाली भौतिक विज्ञानियों में से एक स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) का 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उन्होंने ब्रह्मांड के रहस्यों, विशेषकर ब्लैक होल (black holes) और गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया था। हॉकिंग ने ब्रह्मांड के बहुत छोटे से लेकर बहुत जटिल नियमों का अध्ययन किया। उन्होंने क्वांटम यांत्रिकी (quantum mechanics ) “” (भौतिकी की एक शाखा जो बताती है कि उपपरमाण्विक स्तर पर क्या होता है) के बारे में पूरी दुनिया को बताया। आइंस्टीन ने सामान्य सापेक्षता (general relativity ) के तहत ग्रहों, तारों और ब्लैक होल जैसी बड़ी चीज़ों के बारे में भी जानकारी हासिल की और उसे साझा किया है। स्टीफ़न हॉकिंग और अल्बर्ट आइंस्टीन को इतिहास के दो सबसे बुद्धिमान लोगों में गिना जाता है। उन्होंने ब्रह्मांड की कार्यशैली से जुड़ी आश्चर्यजनक खोजें की इसलिए हर कोई उनका सम्मान करता है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/2suhynm2
http://tinyurl.com/43czab93
http://tinyurl.com/bdetpydj

चित्र संदर्भ
1. प्रसिद्ध गणितज्ञ अल्बर्ट आइंस्टीन और सबसे प्रतिभाशाली भौतिक विज्ञानियों में से एक स्टीफन हॉकिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (DeviantArt, GoodFon)
2. अंतर्राष्ट्रीय गणित दिवस लेखन को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. हाथ में गणित की किताब पकड़े छोटी लड़की को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix)
4. गणित के अनुप्रयोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पाई दिवस की शुभकामनाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)
6. प्रसिद्ध गणितज्ञ अल्बर्ट आइंस्टीन और सबसे प्रतिभाशाली भौतिक विज्ञानियों में से एक स्टीफन हॉकिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)

https://prarang.in/Lucknow/24031410147





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